लंदन: पंजाब नेशनल बैंक से संबंधित दो अरब डॉलर के घोटाले में वांछित हीरा कारोबारी नीरव मोदी की प्रत्यर्पण रोकने संबंधी याचिका ब्रिटेन के एक उच्च न्यायालय ने खारिज कर दी है और इस तरह वह भारत को प्रत्यर्पण के खिलाफ अपनी अपील के पहले चरण में हार गया है. अब उसके पास मौखिक सुनवाई के वास्ते नए सिरे से अपील करने के लिए पांच दिन का समय है.
ब्रिटेन की गृह मंत्री प्रीति पटेल ने अप्रैल में नीरव मोदी को नई दिल्ली को प्रत्यर्पित किए जाने का आदेश दिया था. नीरव मोदी पीएनबी में फर्जीवाड़े और धनशोधन के आरोपों में भारत में वांटेड हैं.
उच्च न्यायालय के एक अधिकारी ने पुष्टि की कि अपील के लिए अनुमति मंगलवार को खारिज कर दी गई और अब 50 वर्षीय कारोबारी के लिए उच्च न्यायालय में संक्षिप्त मौखिक सुनवाई के वास्ते नए सिरे से अपील करने का मौका बचा है.
नीरव मोदी पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) से करीब 13 हजार करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के मामले में भारत में वांछित है.
इस साल 25 फरवरी को वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत ने फैसला दिया था कि हीरा कारोबारी के खिलाफ भारतीय अदालत में चल रहे मामले में उसे शामिल होना चाहिए और प्रत्यर्पित करने का फैसला कैबिनेट मंत्री पर छोड़ दिया.
मोदी पर अपने मामा मेहुल चोकसी के साथ मिलकर पंजाब नेशनल बैंक से धोखाधड़ी करने का आरोप है.
करीब दो साल की कानूनी लड़ाई के बाद जिला न्यायाधीश सैम्युल गूजी ने फैसला दिया कि मोदी के खिलाफ मामला है जिसका जवाब उसे भारतीय अदालत में ही देना है लेकिन ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे संकेत मिले कि भारत में उसके खिलाफ निष्पक्ष सुनवाई नहीं होगी.
सीबीआई ने 31 जनवरी 2018 को नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था जिनमें पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के तत्कालीन अधिकारी भी शामिल थे. यह प्राथमिकी बैंक की शिकायत पर दर्ज की गई थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि आरोपियों ने आपराधिक साजिश रच फर्जी तरीके से सार्वजनिक बैंक से ‘लेटर ऑफ अंडरटेकिंग’ जारी कराए.
लेटर ऑफ अंडरटेकिंग के मध्यम से बैंक विदेश में तब गांरटी देता है जब ग्राहक कर्ज के लिए जाता है.
इस मामले में पहला आरोप पत्र 14 मई 2018 को दाखिल किया गया जिसमें मोदी सहित 25 लोगों को आरोपी बनाया गया जबकि दूसरा आरोप पत्र 20 दिसंबर 2019 को दाखिल किया गया जिसमें पूर्व के 25 आरोपियों सहित 30 को नामजद किया गया.
नीरव मोदी सीबीआई द्वारा प्राथमिकी दर्ज किए जाने से पहले ही एक जनवरी 2018 को देश छोड़कर भाग गया था. इसके बाद जून 2018 में सीबीआई के अनुरोध पर इंटरपोल ने उसके खिलाफ रेडकॉर्नर नोटिस जारी किया.
ब्रिटिश पुलिस ने मार्च 2019 को उसे लंदन से गिरफ्तार किया और तब से उसने कई बार जमानत के लिए आवेदन किए लेकिन वेस्टमिंस्टर अदालत और लंदन उच्च न्यायालय ने उन्हें खारिज कर दिया.
वहीं, सीबीआई ने ब्रिटेन से प्रत्यर्पण अनुरोध के साथ दस्तावेजी सबूत और गवाही ब्रिटिश अदालत में पेश की.
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