(शिरीष बी प्रधान)
काठमांडू, आठ सितंबर (भाषा) नेपाल की सत्तारूढ़ सीपीएन-यूएमएल ने लिपुलेख दर्रे के माध्यम से सीमा व्यापार फिर से शुरू करने के लिए भारत और चीन के बीच हुए समझौते पर आपत्ति जताई है और दोनों देशों से इस व्यवस्था से हटने का आग्रह किया है।
भारत और चीन पिछले महीने लिपुलेख दर्रे और दो अन्य व्यापारिक बिंदुओं के माध्यम से सीमा व्यापार फिर से शुरू करने पर सहमत हुए थे।
नेपाल लिपुलेख को अपना क्षेत्र बताता है, जिसे भारत ने स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया है और कहा है कि यह “न तो उचित है और न ही ऐतिहासिक तथ्यों और साक्ष्यों पर आधारित है”।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि पार्टी ने नेपाल सरकार से उच्च स्तरीय कूटनीतिक पहल के माध्यम से इस मुद्दे को सुलझाने का आग्रह किया है और कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख सहित काली नदी के पूर्व के क्षेत्र पर नेपाल के अधिकार होने की बात फिर दोहरायी है।
इसे ललितपुर जिले के गोदावरी नगर पालिका में 5-7 सितंबर को आयोजित प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली के नेतृत्व वाले सीपीएन-यूएमएल के दूसरे राष्ट्रीय सम्मेलन में पारित 28 सूत्री समकालीन प्रस्ताव में शामिल किया गया था।
उन्होंने कहा कि पार्टी ने दोनों देशों से लिपुलेख व्यापार समझौते को वापस लेने का आग्रह किया।
प्रस्ताव में प्रधानमंत्री और यूएमएल अध्यक्ष ओली की हालिया चीन यात्रा के दौरान लिपुलेख व्यापार मार्ग समझौते पर असहमति का उल्लेख किया गया तथा कहा गया कि इस रुख से नेपाल की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा बढ़ी है।
इसमें यात्रा के दौरान द्विपक्षीय और बहुपक्षीय कार्यक्रमों का भी उल्लेख किया गया, जिससे विदेशों में देश की छवि बेहतर हुई।
सम्मेलन में इस बात पर भी जोर दिया गया कि अध्यक्ष ओली के नेतृत्व में यूएमएल और नेपाली कांग्रेस के बीच सात सूत्री समझौते से राजनीतिक स्थिरता स्थापित हुई है।
नेपाल ने 2020 में एक राजनीतिक मानचित्र जारी करके सीमा विवाद को जन्म दिया था जिसमें कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख को देश का हिस्सा दिखाया गया था। भारत ने इन दावों का कड़ा खंडन किया था।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने हाल ही में कहा था कि भारत की स्थिति सुसंगत और स्पष्ट रही है। उन्होंने कहा, “लिपुलेख दर्रे के माध्यम से भारत और चीन के बीच सीमा व्यापार 1954 में शुरू हुआ था और दशकों से चल रहा है।”
जायसवाल ने कहा कि हाल के वर्षों में कोविड-19 महामारी और अन्य घटनाक्रमों के कारण व्यापार बाधित हुआ था और अब दोनों पक्ष इसे फिर से शुरू करने पर सहमत हुए हैं।
भाषा
प्रशांत नरेश
नरेश
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.