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Thursday, 21 November, 2024
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नेपाल सुप्रीम कोर्ट ने अगले दो दिन के भीतर शेर बहादुर देउबा को पीएम बनाने का आदेश दिया

नेपाल की सुप्रीम कोर्ट ने भंग प्रतिनिधि सभा को करीब पांच महीने में दूसरी बार बहाल करते हुए पीएम के पी शर्मा ओली को बड़ा झटका दिया है जो सदन में विश्वास मत हारने के बाद अल्पमत सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं.

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 नई दिल्ली: नेपाल की सुप्रीम कोर्ट ने अगले 28 घंटे के भीतर शेर बहादुर देउबा को प्रधानमंत्री नियुक्त किए जाने का आदेश दिया है. शीर्ष अदालत ने संसद विघटन के राष्ट्रपति के फैसले को लगातार दूसरी बार रद्द किया.

नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भंग प्रतिनिधि सभा को करीब पांच महीने में दूसरी बार बहाल करते हुए प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली को बड़ा झटका दिया है जो सदन में विश्वास मत हारने के बाद अल्पमत सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सोमवार को यह आदेश भी दिया कि दो दिन के अंदर नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा को प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाए.

प्रधान न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा की अध्यक्षता वाली पीठ ने पिछले हफ्ते इस मामले में सुनवाई पूरी की थी. पीठ में उच्चतम न्यायालय के चार अन्य वरिष्ठतम न्यायाधीश- दीपक कुमार करकी, मीरा खडका, इश्वर प्रसाद खातीवाड़ा और डॉ. आनंद मोहन भट्टाराई – शामिल हैं.

नेपाल की सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति विद्या भंडारी द्वारा संसद को भंग किए जाने के खिलाफ दायर 30 से अधिक याचिकाओं की सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाया. अब माना जा रहा है कि लंबे समय से नेपाल में चला आ रहा राजनातिक गतिरोध समाप्त हो जाएगा.

प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली की सिफारिश पर राष्ट्रपति भंडारी ने पांच महीने में दूसरी बार 22 मई को संसद के निचले सदन को भंग कर दिया था और 12 नवंबर तथा 19 नवंबर को मध्यावधि चुनाव कराने की घोषणा की थी.

उनके इस कदम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 30 याचिकाएं दायर की गयी थीं. 275 सदस्यीय सदन में विश्वास मत हारने के बाद प्रधानमंत्री ओली अभी अल्पमत सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं.

विपक्षी दलों के गठबंधन द्वारा भी एक याचिका दायर की गयी थी, जिसमें संसद के निचले सदन की बहाली और नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा को प्रधानमंत्री नियुक्त करने का अनुरोध किया गया है. इस याचिका पर 146 सांसदों के हस्ताक्षर हैं.

न्यायालय की संवैधानिक पीठ ने पांच जुलाई को विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई पूरी कर ली थी. इस संबंध में चार सदस्यीय न्याय मित्र ने भी अपनी राय दी है.

याचिकाकर्ताओं में से एक वरिष्ठ वकील दिनेश त्रिपाठी ने कहा कि न्यायालय सोमवार को अपना फैसला सुना सकता है. त्रिपाठी ने कहा कि न्यायालय अपना फैसला देते समय संविधान के प्रावधानों और अतीत के उदाहरणों को ध्यान में रखेगा और यह ऐतिहासिक फैसला होगा.

चुनाव आयोग ने पिछले हफ्ते आगामी मध्यावधि चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा की थी, जिसके तहत चुनाव प्रक्रिया 15 जुलाई से शुरू हो रही है.


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