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Friday, 22 November, 2024
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नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने संसद भंग करने को लेकर ओली सरकार को दिया कारण बताओ नोटिस

इस बीच सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के दोनों धड़ों के बीच पार्टी पर नियंत्रण को लेकर टकराव तेज हो गया है.

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नई दिल्ली: नेपाल के सर्वोच्च न्यायालय ने ओली सरकार द्वारा संसद भंग करने के फैसले पर नेपाल सरकार को कारण बताओ नोटिस जारी किया. अदालत ने सरकार के फैसले के खिलाफ शुक्रवार को सुनवाई के दौरान यह नोटिस दिया है.

इससे पहले नेपाल के प्रधान न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा की अध्यक्षता वाली एक संविधान पीठ अचानक संसद भंग करने के लिए प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली द्वारा उठाए गए कदम को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं पर शुक्रवार को सुनवाई की.

इस बीच सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के दोनों धड़ों के बीच पार्टी पर नियंत्रण को लेकर टकराव तेज हो गया है.

वहीं इससे पहले ‘माई रिपब्लिका’ समाचार पत्र की खबर दी थी कि प्रधान न्यायाधीश राणा की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय पीठ संसद के निचले सदन, 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा को भंग करने के लिए प्रधानमंत्री ओली के कदम पर फैसला सुनाएगी.

पांच सदस्यीय पीठ में न्यायमूर्ति बिश्वंभर प्रसाद श्रेष्ठ, न्यायमूर्ति तेज बहादुर केसी, न्यायमूर्ति अनिल कुमार सिन्हा और न्यायमूर्ति हरि कृष्ण कार्की शामिल हैं.

प्रधान न्यायाधीश राणा की एकल पीठ ने बुधवार को सभी रिट याचिकाओं को संवैधानिक पीठ को सौंप दिया था. संसद को भंग करने के सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए कुल 13 रिट याचिकाएं उच्चतम न्यायालय में दायर की गयी हैं.

बुधवार को सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकीलों ने संवैधानिक प्रावधानों का हवाला देते हुए दलील दी कि प्रधानमंत्री ओली को तब तक सदन को भंग करने का अधिकार नहीं है, जब तक कि कोई वैकल्पिक सरकार बनाने की कोई संभावना नहीं हो.

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री ओली की सिफारिश पर रविवार को राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी द्वारा प्रतिनिधि सभा भंग करने तथा मध्यावधि चुनाव की तारीखों की घोषणा करने के बाद नेपाल में राजनीतिक संकट पैदा हो गया. इस फैसले का नेपाली कांग्रेस सहित विभिन्न दलों ने विरोध किया है.

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