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Thursday, 14 November, 2024
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नेपाल के पीएम देउबा 2 अप्रैल को दिल्ली में मोदी से मिलेंगे, मैप विवाद के बाद रिश्तों को मजबूती देने की कोशिश

इस दौरे में, नेपाल 1950 की नेपाल-भारत मैत्री संधि की समीक्षा के मुद्दे को उठा सकता है. वहीं, भारत, नेपाल में नए कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट की घोषणा कर सकता है.

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नई दिल्ली: नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा अगले महीने तीन दिवसीय दौरे पर भारत आ रहे हैं. वह 2 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक में भाग लेंगे. बैठक में दोनों देश 1950 की भारत-नेपाल मैत्री संधि की समीक्षा कर सकते हैं. नेपाल में चीन की बढ़ती पैठ को देखते हुए भारत, नेपाल के साथ कनेक्टिविटी बढ़ाना चाहता है.

साल 2021 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से यह देऊबा की पहली भारत यात्रा होगी. वह इससे पहले चार बार नेपाल के प्रधानमंत्री रह चुके हैं. प्रधानमंत्री रहते हुए वह पिछली बार 2017 में भारत आये थे.

इस द्विपक्षीय बैठक में नेपाल, 1950 में हुई भारत-नेपाल मैत्री संधि की समीक्षा का मुद्दा उठा सकता है. नेपाल काफी समय से इसकी मांग करता रहा है. नेपाल, संधि के जरिए ‘दोनों पक्षों के संबंधों में संतुलन बनाने’ के साथ ही ‘रणनीतिक भागीदारी को अगले स्तर’ पर ले जाना चाहता है. यह जानकारी दिप्रिंट को सूत्रों से मिली है. इस द्विपक्षीय बैठक का बहुत समय से इंतजार किया जा रहा था.

अगस्त 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी की पहली नेपाल यात्रा के दौरान, संधि की समीक्षा करने का निर्णय दोनों देशों ने लिया था. हालांकि, तब से इस मामले में कोई प्रगति नहीं हुई है. साल 2015 में मधेशी आंदोलन की वजह से यह मामला ठंडा पड़ गया था. यहां तक कि पिछले साल तक नेपाल अपनी घरेलू राजनीतिक उथल-पुथल से जूझ रहा था.

साल 2020 में भारत और नेपाल के बीच रिश्ते काफी खराब हो गए. यह तब हुआ, जब पूर्व प्रधानमंत्री केपीएस ओली की अगुवाई में नेपाल ने अपने राजनीतिक नक्शे को एकतरफा तरीके से बदलते हुए, कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा जैसे विवादित क्षेत्रों को अपनी सीमा का हिस्सा बताया. ये इलाके भारत की सीमा में हैं और भारत शुरुआत से ही इस नक्शे को खारिज करता रहा है.

सूत्रों के मुताबिक, बातचीत में सीमा से जुड़े मुद्दे पर खास जोर होगा. सीमा से जुड़े विवादों को सुलझाने के लिए विदेश सचिव स्तर पर वार्ता शुरू करने को लेकर दोनों देश राजी हो सकते हैं.

दोनों देशों ने गृह सचिव स्तर की बैठकों को संस्थागत रूप दिया है और सीमा प्रबंधन के लिए ज्वाईंट वर्किंग ग्रुप (JWG) और बॉर्डर डिस्ट्रिक्ट कॉर्डिनेशन कमिटी (BDCCs) का गठन किया है.

नवंबर 2021 में मोदी और देउबा, COP-26 शिखर सम्मेलन के मौके पर ब्रिटेन के ग्लासगो में मिले थे और दोनों देशों के बीच रिश्ते मजबूत करने पर प्रतिबद्धता जताई थी.

जुलाई 2021 में देउबा पांचवी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बने. इस मौके पर भारत सबसे पहले शुभकामना देने वाले देशों में शामिल था.

भारत दौरे के दौरान देउबा वाराणसी भी जाएंगे. वहां वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी मिलेंगे. दोनों देश धार्मिक वजहों से भी जुड़े हुए हैं और इन दोनों देशों में हिंदू और बौद्ध समुदाय के लोग रहते हैं.


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कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट, अमेरिका और चीन

नेपाल में देउबा के सत्ता में आने के बाद, वहां के लोगों को उनसे काफी अपेक्षाएं हैं और उम्मीद की जा रही है कि वह नेपाल में राजनीतिक स्थिरता कायम करेंगे. ऐसे में नेपाल अपने कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए भारत से मदद की उम्मीद कर रहा है.

एक अन्य सूत्र ने दिप्रिंट को बताया कि इस दौरे से भारत को नए कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट शुरू करने की घोषणा करने के मौके मिलेंगे.

यह मोदी सरकार के लिए इसलिए भी ज़्यादा ज़रूरी है, क्योंकि चीन ने वहां पर जबरदस्त तरीके से पैठ बनाना शुरू कर दिया है. यहां तक कि चीन ने बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट के तहत कई महत्वपूर्ण कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट का वादा किया है. नेपाल बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट के लिए हामी भरने वाले देशों में है.

भारत, नेपाल में कई कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है. इनमें, क्रॉस-बॉर्डर रेलवे लिंक, विद्युतिकरण की परियोजनाओं के साथ ही सड़कों और पुलों के निर्माण शामिल हैं. सूत्रों के मुताबिक, इन प्रोजेक्ट की धीमी रफ्तार को लेकर नेपाल की नाराजगी है और वह भारत से इनमें तेजी लाने की उम्मीद कर रहा है.

प्रधानमंत्री मोदी ने साल 2014 में नेपाल के पहले दौरे में महाकाली नदी पर एक दशक पुरानी भारत-नेपाल पंचेश्वर बांध परियोजना को लेकर बातचीत की थी. लेकिन, विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) से जुड़ी समस्याओं की वजह से प्रोजेक्ट पर काम शुरू नहीं हो सका.

चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने शनिवार को देउबा से मुलाकात की है. इस मुलाकात में दोनों पक्षों ने विकास से जुड़ी नौ परियोजनाओं पर हस्ताक्षर किए हैं. इनमें क्रॉस बॉर्डर रेलवे का कनेक्टिविटी, पावर ग्रिड प्रोजेक्ट, वाणिज्य व व्यापार वगैरह शामिल हैं.

गौरतलब है कि नेपाल ने इस महीने की शुरुआत में अमेरिका के मिलेनियम चैलेंज कॉरपोरेशन (एमसीसी) को अनुमति दे दी है. इसके तहत इंन्फ़्रास्ट्रक्चर और राष्ट्रीय राजमार्गों को बेहतर बनाने के लिए वित्तीय मदद दी जाएगी. नेपाल के इस फैसले ने चीन को नाराज कर दिया है.

‘देउबा बेहतर स्थिति में हैं’

नेपाल में भारत के राजदूत रह चुके रंजीत राय के मुताबिक, दोनों पक्ष सीमा मुद्दे पर बातचीत शुरू कर सकते हैं.

उन्होंने कहा, ‘देउबा अब काफी बेहतर स्थिति में हैं और वे साझेदारी के लिए हमारा सहयोग चाहते हैं.’

काठमांडू डायलेमा: रिसेटिंग इंडिया-नेपाल टाइज किताब के लेखक राय ने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि हम पंचमेंश्वर डीपीआर को अगले तीन महीने में पूरा करने की दिशा में काम करेंगे. वे बीरगंज काठमांडू रेलवे से जुड़े अध्ययनों पर काम को आगे बढ़ाना चाहेंगे.’

उन्होंने कहा, ‘हमें एमसीसी पर हो रही चर्चा में भी दिलचस्पी लेनी चाहिए.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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