काठमांडू, 21 अगस्त (भाषा) नेपाल के सांसदों ने अपने देश की सरकार से लिपुलेख दर्रे के रास्ते भारत और चीन के बीच व्यापार के मुद्दे को कूटनीतिक रूप से हल करने का आग्रह किया।
लिपुलेख को नेपाल अपना क्षेत्र बताता है।
भारत और चीन ने मंगलवार को लिपुलेख दर्रे और दो अन्य व्यापारिक बिंदुओं के माध्यम से सीमा व्यापार फिर से शुरू करने पर सहमति व्यक्त की थी।
नेपाली विदेश मंत्रालय ने बुधवार को इस कदम पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह क्षेत्र नेपाल का अविभाज्य हिस्सा है।
भारत ने इस क्षेत्र पर नेपाल के दावों को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया और कहा कि यह ‘‘न तो न्यायोचित है और न ही ऐतिहासिक तथ्यों तथा साक्ष्यों पर आधारित है।’’
प्रतिनिधि सभा में सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के मुख्य सचेतक महेश कुमार बरतौला ने सरकार से क्षेत्र संबंधित इस मुद्दे को तुरंत हल करने का आह्वान किया।
उन्होंने सरकार से मामले को सुलझाने के लिए तत्काल कूटनीतिक कदम उठाने का आग्रह किया।
सीपीएन (माओवादी सेंटर) के मुख्य सचेतक हितराज पांडे ने चीन और भारत के बीच हाल ही में हुए समझौते के बारे में सदन को जानकारी देने की मांग की।
नेपाल ने 2020 में एक राजनीतिक मानचित्र जारी करके सीमा विवाद को जन्म दिया था जिसमें कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख को देश का हिस्सा दिखाया गया था। भारत ने इन दावों का कड़ा खंडन किया था।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बुधवार को नेपाल के दावों को खारिज कर दिया।
भाषा यासिर सुरेश
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