लाहौर, 10 फरवरी (भाषा) पाकिस्तान की शीर्ष खुफिया एजेंसी ने 2008 के मुंबई हमले के भगोड़े अपराधियों और उनके परिजनों की सम्पत्तियों का ब्योरा पंजाब प्रांत (पाक) के राजस्व विभाग से मांगा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
मुंबई आतंकवादी हमले से संबंधित मुकदमे के 14 साल पूरे हो गये हैं, लेकिन पाकिस्तान में इनके संदिग्धों में से किसी को भी अभी तक सजा नहीं दी जा सकी है, जो यह साबित करता है कि पाकिस्तान ने इस मामले को कभी प्राथमिकता नहीं दी है और ऐसा लगता है कि इस मामले में दबाये जाने का प्रयास चल रहा है।
संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘एजेंसी के आतंकवाद-निरोधक दस्ते ने पंजाब प्रांत के राजस्व बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य को पत्र लिखकर मुंबई आतंकी हमले के भगोड़े अपराधियों और उनके परिजनों की सम्पत्तियों के ब्योरे की मांग की है।’’
इन अपराधियों में प्रतिबंधित संगठन लश्कर-ए-तैयबा का सदस्य मुल्तान निवासी अमजद खान, बूरेवाला का इफ्तिखार अली, बहावलपुर का शाहिद गफूर, साहिवाल का मुहम्मद उस्मान, लाहौर का अतीकुर रहमान, हफीजाबाद का रियाज अहमद, गुजरांवाला का मुहम्मद मुश्ताक, डीजी खान का मुहम्मद नईम, कराची का अब्दुल शकूर, मुल्तान का मुहम्मद सबीर, रहीम यार खां का शकील अहमद तथा बावनगर का अब्दुल रहमान शामिल हैं।
इनमें से अधिकतर अपराधी समुद्री मार्ग से मुंबई पहुंचने के लिए आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल नाव -अल हुसैनी और अल फौज नामक- के सदस्य थे।
इस मामले में कई साल से सुनवाई रुकी हुई है। एफआईए का कहना है कि चूंकि भारत ने गवाही दर्ज कराने और अन्य सबूत पेश करने के लिए 24 गवाहों को पाकिस्तान भेजने से इनकार कर दिया है, इसलिए यह मामला आगे नहीं बढ़ सकता।
भाषा सुरेश दिलीप
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