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बुधवार, 4 जून, 2025
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अधिकतर लोग मरने के बाद ‘डिजिटल विरासत’ छोड़ जाएंगे, इसका क्या करना है, कैसे बनाएं योजना

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(ब्योर्न नानसेन, मेलबर्न विश्वविद्यालय)

मेलबर्न, 26 मई (द कन्वरसेशन) कल्पना कीजिए कि आप अपने किसी उस प्रियजन की याद में आयोजित कार्यक्रम के लिए संगीत का चयन कर रहे हैं जिसकी मृत्यु हो गई है लेकिन आपको उसका पसंदीदा गीत याद नहीं आ रहा। तो आप उसके ‘स्पॉटीफाई’ अकाउंट में ‘लॉग इन’ करने की कोशिश करते हैं लेकिन आपको पता चलता है कि आप ‘लॉगइन’ नहीं कर पा रहे और इसके साथ ही उस व्यक्ति की पसंद, यादों एवं पहचान को दर्शाने वाले उसके पसंदीदा गानों की ‘स्पॉटीफाई’ पर उपलब्ध सूची भी चली गई।

जब विरासत की बात आती है तो हम भौतिक चीजों के बारे में सोचते हैं जैसे पैसा, संपत्ति, निजी सामान लेकिन हम जीवन में बड़ी मात्रा में जो डिजिटल सामग्री इकट्ठा करते हैं और उसे मौत के बाद पीछे छोड़ जाते हैं, वह भी अब उतनी ही महत्वपूर्ण है। यह ‘‘डिजिटल विरासत’’ शायद अधिक सार्थक है।

डिजिटल डेटा न केवल जीवन में हमारी ऑनलाइन पहचान के लिए बल्कि मौत के बाद हमारी विरासत के लिए भी अहम है। तो हम इस बारे में उचित योजना कैसे बना सकते हैं कि इसका क्या होगा?

हमारे जीवन की एक खिड़की

डिजिटल विरासत को आमतौर पर दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है: डिजिटल संपत्तियां और डिजिटल उपस्थिति।

डिजिटल संपत्तियों में आर्थिक मूल्य वाली सामग्री शामिल हैं। उदाहरण के लिए डोमेन नाम, वित्तीय खाते, मुद्रीकृत सोशल मीडिया, ऑनलाइन व्यवसाय, वर्चुअल मुद्राएं, डिजिटल सामग्री और व्यक्तिगत डिजिटल आईपी। इन तक पहुंच पासवर्ड या गोपनीयता कानूनों के तहत प्रतिबंधित होती है।

डिजिटल उपस्थिति में ऐसी सामग्री शामिल होती है जिसका कोई मौद्रिक मूल्य नहीं है लेकिन इसका व्यक्तिगत महत्व बहुत बड़ा हो सकता है। उदाहरण के लिए, हमारी तस्वीर और वीडियो, सोशल मीडिया प्रोफाइल, ईमेल या ‘चैट थ्रेड’ और ‘क्लाउड’ या सोशल मीडिया मंच सेवाओं में संग्रहीत अन्य सामग्री।

यह डेटा हमारी प्राथमिकताओं, शौक और दैनिक जीवन की प्रणाली को दर्शाता है। यह सब मौत के बाद डिजिटल जीवन पर हमारी पहचान, गोपनीयता और कॉरपोरेट अधिकार के बारे में व्यावहारिक और नैतिक दोनों तरह के सवाल उठाता है। इस डेटा तक पहुंचने, उसे हटाने या बदलने का अधिकार किसके पास है?

डिजिटल विरासत संबंधी योजना बनाना

जैसे हम भौतिक संपत्तियों के लिए वसीयत तैयार करते हैं, वैसे ही हमें अपनी डिजिटल सामग्री के लिए भी योजना बनाने की जरूरत है। स्पष्ट निर्देशों के अभाव में अहम डिजिटल डेटा खो सकता है और हमारे प्रियजन के लिए दुर्गम बन सकता है। डिजिटल विरासत सौंपने के लिए पहले से कदम उठाने की आवश्यकता है।

यदि आपके प्रियजन ने कोई योजना नहीं बनाई तो क्या होगा?

डिजिटल वसीयतें असामान्य बात हैं और उनके बिना, किसी की डिजिटल विरासत का प्रबंधन कानूनी और तकनीकी बाधाओं से भरा हो सकता है।

सोशल मीडिया मंचों की सेवा शर्तें और गोपनीयता नियम अक्सर अकाउंट के मालिक के अलावा किसी और को पहुंच देने से रोकते हैं। वे डाउनलोड करने या खाता बंद करने के लिए सीमित पहुंच देने से पहले मृत्यु प्रमाण पत्र जैसे आधिकारिक दस्तावेज की भी मांग कर सकते हैं।

बेहतर मानकों की आवश्यकता

सोशल मीडिया की मौजूदा नीतियों में डिजिटल विरासतों को संभालने की स्पष्ट सीमाएं हैं। एकीकृत ढांचे के अभाव में सेवा प्रदाता परिवार की पहुंच के बजाय डेटा गोपनीयता को अक्सर प्राथमिकता देते हैं।

‘स्टैंडर्ड्स ऑस्ट्रेलिया’ और ‘न्यू साउथ वेल्स लॉ रिफॉर्म कमीशन’ ने सोशल मीडिया मंचों के मानकों और उपयोगकर्ताओं की पहुंच में विसंगतियों से निपटने के लिए ढांचा विकसित करने के मकसद से परामर्श मांगे हैं।

हमारी डिजिटल विरासत का प्रबंधन व्यावहारिक दूरदर्शिता से कहीं अधिक की मांग करता है। यह उन बुनियादी ढांचों और मूल्यों पर गंभीर चिंतन के लिए बाध्य करता है जो हमारे ऑनलाइन जीवन को आकार देते हैं।

द कन्वरसेशन सिम्मी नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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