कराची: सिंध के वरिष्ठ मंत्री शर्जील इनाम मेमन ने कहा कि प्रांत के 1,657 गांवों में लगभग 16 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हो सकते हैं, जियो न्यूज ने जानकारी दी.
शनिवार को मीडिया को संबोधित करते हुए मेमन ने कहा कि प्रांतीय सरकार ने अपनी मशीनरी को सक्रिय कर दिया है और संभावित संकट से निपटने के लिए एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि मंत्री मौके पर मौजूद हैं और जिला प्रशासन सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ है.
उनकी चेतावनी ऐसे समय में आई है जब पंजाब के बड़े हिस्से जलमग्न हो गए हैं, जहां कम से कम 30 लोगों की मौत हो चुकी है और 15 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं. भारी बारिश के कारण सतलुज, चेनाब और रावी नदियों के उफान से बाढ़ आई है. प्रशासन लोगाें को सुरक्षित जगहों पर ले जा रहा है और अब तक करीब 4,81,000 लोगों को प्रभावित इलाकों से निकाल लिया गया है, जियो न्यूज ने बताया.
सिंध में सरकार ने 551 जगहों को राहत शिविरों के लिए चिन्हित किया है और 192 बचाव नौकाएं तैनाती के लिए तैयार हैं, मेमन ने जानकारी देते हुए बताया. लगभग 2,73,000 परिवार 167 यूनियन काउंसिलों में प्रभावित हो सकते हैं अगर जल स्तर बढ़ता रहा. उन्होंने बताया कि बाढ़ का पानी 2 से 3 सितंबर के बीच सिंध तक पहुंच सकता है.
मेमन ने बैराज डिस्चार्ज की मौजूदा स्थिति भी बताई: गुढ़ु से 3,51,000 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है, सुक्कुर से 2,89,000 क्यूसेक और कोटरी से 2,51,000 क्यूसेक. इन बैराजों की क्षमता क्रमशः 12 लाख, 9 लाख और 6 लाख क्यूसेक है. फिलहाल स्थिति स्थिर है और अगर भारी बारिश नहीं होती है तो हालात नियंत्रण में रहेंगे, जियो न्यूज ने अपनी रिपोर्ट मे कहा.
मंत्री ने जोर देकर कहा कि शहरी इलाकों पर तत्काल कोई खतरा नहीं है और लोगों से अफवाहें न फैलाने की अपील की. उन्होंने कहा कि सेना की मदद जैसी आपातकालीन जरूरत नहीं है क्योंकि प्रांतीय सरकार खुद स्थिति संभालने में सक्षम है.
कच्चा (नदी किनारे) क्षेत्रों के लोगों को खतरे के बारे में बताया जा रहा है, मेमन ने कहा, क्योंकि वे आमतौर पर पानी के व्यवहार को समझते हैं. उन्होंने कहा, “जब पानी का स्तर बढ़ता है, तो लोग स्वेच्छा से पक्का इलाकों या अपने रिश्तेदारों के पास चले जाते हैं.”
उन्होंने यह भी बताया कि मवेशियों के लिए 300 शिविर लगाए गए हैं और नदी किनारे के 15 जिलों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है. “पाकिस्तान उन देशों में शामिल है जो जलवायु परिवर्तन से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. नदी के भीतर कभी निर्माण नहीं होना चाहिए,” मेमन ने कहा और जोड़ा कि बैराजों पर पानी की आमद और निकासी की जानकारी हर तीन घंटे में साझा की जाएगी.
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