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Sunday, 31 August, 2025
होमविदेशमोदी ने जिनपिंग से कहा — 'LAC पर स्थिरता बनी है, 2.8 अरब लोगों के हित हमारे सहयोग से जुड़े हैं'

मोदी ने जिनपिंग से कहा — ‘LAC पर स्थिरता बनी है, 2.8 अरब लोगों के हित हमारे सहयोग से जुड़े हैं’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एससीओ शिखर सम्मेलन के लिए 2018 के बाद से पहली बार चीन का दौरा किया, रविवार को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की और व्लादिमीर पुतिन के साथ भी बातचीत करने वाले हैं.

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को चीन में राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय बैठक के दौरान कहा कि पिछले साल भारत और चीन के बीच हुए डिसइंगेजमेंट के बाद सीमा पर शांति और स्थिरता “बनी” है.

मोदी ने अपने शुरुआती संबोधन में कहा, “पिछले साल कज़ान में हमारी बहुत सार्थक चर्चा हुई थी, जिसने हमारे संबंधों को सकारात्मक दिशा दी. सीमा पर डिसइंगेजमेंट के बाद शांति और स्थिरता का माहौल बना है. हमारे विशेष प्रतिनिधियों के बीच सीमा प्रबंधन को लेकर समझौता हुआ है.”

“कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू हो गई है. दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें भी फिर से शुरू हो रही हैं. दोनों देशों के 2.8 अरब लोगों के हित हमारे सहयोग से जुड़े हैं. यह पूरे मानव समाज के कल्याण का भी रास्ता खोलेगा.”

मोदी 31 अगस्त से 1 सितंबर तक चीन के तियानजिन शहर में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के राष्ट्र प्रमुखों के शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए दो दिन की यात्रा पर हैं. उन्होंने रविवार सुबह शी के साथ लगभग 45 मिनट की बैठक की.

यह सात साल बाद चीन में मोदी और शी की पहली मुलाकात है। प्रधानमंत्री ने आखिरी बार 2018 में एससीओ शिखर सम्मेलन के लिए चीन की यात्रा की थी. दोनों नेताओं की यह द्विपक्षीय बैठक पिछले कुछ महीनों में भारत-चीन संबंधों में आई नरमी के बाद हुई है. यह बैठक ऐसे समय पर हो रही है जब भारत-अमेरिका संबंधों में खटास आ गई है.

मोदी और शी की पिछली मुलाकात 23 अक्टूबर 2024 को रूस के शहर कज़ान में ब्रिक्स नेताओं के शिखर सम्मेलन के इतर हुई थी. 2020 में भारत-चीन संबंध बिगड़ गए थे जब गर्मियों में पूर्वी लद्दाख में कई जगहों पर तनाव बढ़ा. दोनों सेनाएं अंततः गलवान में भिड़ीं.

तनाव के कारण क्षेत्र में सैन्य बलों और हथियारों की भारी तैनाती हुई और कूटनीतिक संबंध ठप हो गए. हालांकि 21 अक्टूबर 2024 को भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने घोषणा की कि दोनों देशों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव वाली जगहों से डिसइंगेजमेंट पर सहमति बना ली है.

इससे रूस में मोदी-शी मुलाकात का रास्ता साफ हुआ. अंततः दोनों देशों के बीच मौजूद अन्य द्विपक्षीय तंत्र भी सक्रिय हुए, जिनमें विशेष प्रतिनिधि (एसआर) तंत्र शामिल है.

इस महीने की शुरुआत में नई दिल्ली में हुई एसआर-स्तरीय वार्ता के अंतिम दौर में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने सीमा विवाद को सुलझाने के लिए 2005 के समझौते पर लौटने पर सहमति जताई.

शी के साथ द्विपक्षीय बैठक के अलावा, मोदी के रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और संभवतः एक अन्य नेता से भी मुलाकात करने की संभावना है. प्रधानमंत्री सोमवार को एससीओ शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे और फिर भारत लौटेंगे.

भारत-चीन के बीच संबंधों में आई नरमी ऐसे समय पर हो रही है जब नई दिल्ली और वॉशिंगटन के बीच तनाव है. 27 अगस्त को अमेरिका में प्रवेश करने वाले भारतीय सामान पर 50% शुल्क लागू हो गया, जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने भारत के कथित अनुचित व्यापार और रूसी तेल की लगातार खरीद के कारण लगाया है. भारत पर 50% टैरिफ अमेरिका के सभी व्यापारिक साझेदारों में से सबसे ऊँचे शुल्कों में से एक है.

भारत और अमेरिका फरवरी में मोदी की वॉशिंगटन यात्रा के बाद से द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं. हालांकि, दोनों देश अभी तक समझौते को अंतिम रूप नहीं दे पाए हैं क्योंकि अमेरिका भारत के कृषि और डेयरी क्षेत्रों में अधिक पहुंच चाहता है. बताया जा रहा है कि मोदी और ट्रंप ने इस साल 17 जून के बाद से एक-दूसरे से बात नहीं की है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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