संयुक्त राष्ट्र, 15 मई (भाषा) संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पार्वथानेनी हरीश ने अंतरराष्ट्रीय वेसाक दिवस 2025 के मौके पर कहा कि भगवान बुद्ध की शिक्षाएं मतभेदों से ऊपर उठने के लिए प्रोत्साहित करती हैं और अनिश्चितता के मौजूदा समय में मार्गदर्शक हो सकती हैं।
हरीश ने वेसाक के मौके पर आयोजित कार्यक्रम के सह-मेजबान थाईलैंड और श्रीलंका के स्थायी मिशनों को धन्यवाद दिया और कहा कि इससे “हमारे क्षेत्र के देशों को जोड़ने वाले सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंध मजबूत होते हैं।”
संयुक्त राष्ट्र महासभा मानवता की आध्यात्मिकता के प्रति समझ में बौद्ध धर्म के योगदान को स्वीकार करने के लिए वेसाक दिवस को मान्यता देती है। वेसाक को भारत में बुद्ध जयंती या बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है और यह वह दिन है जिस दिन गौतम बुद्ध का जन्म हुआ और उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई।
हरीश ने बुधवार को कहा कि बुद्ध का ‘‘संयम बरतने का सिद्धांत आज पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भगवान बुद्ध की शिक्षाएं आज के अनिश्चितता के समय में मार्गदर्शक हो सकती हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘बुद्ध की शिक्षाएं सरल और गहन हैं, जो हमें अपने मतभेदों से ऊपर उठने तथा प्रेम और दया के सार्वभौमिक बंधन को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।’’
हरीश ने याद दिलाया कि पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की थाईलैंड की प्रधानमंत्री पैतोंगटार्न शिनवात्रा के साथ वाट फो मंदिर की यात्रा के दौरान साझा विरासत पर और अधिक जोर दिया गया था।
उन्होंने अप्रैल में राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के साथ मोदी की अनुराधापुरा स्थित श्रीलंका के पवित्र जया श्री महाबोधि मंदिर की यात्रा का भी उल्लेख किया।
उन्होंने कहा, ‘‘बौद्ध धर्म ने हमारी समग्र संस्कृति और बहुलवाद में प्रमुख भूमिका निभाई है।’’
वेसाक दिवस संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय और संयुक्त राष्ट्र के अन्य कार्यालयों में प्रतिवर्ष मनाया जाता है।
भाषा
देवेंद्र नरेश
नरेश
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