स्टीवन हैमिल्टन, विजिटिंग फेलो, टैक्स एंड ट्रांसफर पॉलिसी इंस्टीट्यूट, क्रॉफर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी, ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी
कैनबरा, एक मार्च (द कन्वरसेशन) रूस के खिलाफ हाल ही में घोषित वित्तीय उपाय उसके आकार के देश के लिए अभूतपूर्व हैं।
इसका निश्चित रूप से मतलब है कि यह भविष्यवाणी करना असंभव है कि उनका प्रभाव रूसी – और वैश्विक – अर्थव्यवस्था के आसपास कैसा होगा। और हमें अभी भी योजना के सटीक विवरण को देखने की जरूरत है। लेकिन इससे रूसी रूबल के पतन, रूसी बैंकों पर दबाव, अति मुद्रास्फीति, एक तेज मंदी और रूस में बेरोजगारी के उच्च स्तर के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय वित्तीय बाजारों में उथल-पुथल की आशंका नजर आती।
सप्ताहांत में यूरोपीय आयोग, फ्रांस, जर्मनी, इटली, ब्रिटेन, कनाडा और अमेरिका ने चार उपाय किए जिन्हें वे रोके हुए थे:
– उन्होंने स्विफ्ट से चयनित रूसी बैंकों को हटा दिया, यह वैश्विक वित्तीय संदेश प्रणाली जो धन के विश्व प्रसार को संभव बनाती है।
– वे रूस के सेंट्रल बैंक को अपने अंतरराष्ट्रीय भंडार को उन उपायों पर लगाने से रोकने के लिए सहमत हुए जिनसे प्रतिबंधों का प्रभाव कम हो सकता है, इससे रूबल का समर्थन करने के लिए विदेशी मुद्रा का उपयोग करने की उसकी क्षमता पंगु हो गई
– वे रूसी कुलीन वर्गों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, विशेष रूप से धनी रूसियों को तथाकथित स्वर्ण पासपोर्ट की बिक्री सीमित करके
– उन्होंने राष्ट्रपति पुतिन सहित स्वीकृत व्यक्तियों और उनके परिवारों तथा उन्हें ‘‘सक्षम करने वालों’’ की विदेशी संपत्ति को फ्रीज करने का प्रण लिया।
पुतिन, उनके विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव, उनकी सुरक्षा परिषद के बाकी सदस्यों और 11 अन्य नामित अधिकारियों के वित्त पर व्यक्तिगत प्रतिबंध लागू होते हैं।
अमेरिका का कहना है कि राज्य के प्रमुख को नामित करना ‘‘अत्यंत दुर्लभ’’ है। इस तरह पुतिन एक छोटे से समूह में शामिल हो गए हैं जिसमें उत्तर कोरिया के किम जोंग उन, बेलारूसी राष्ट्रपति एलियाक्संद्र लुकाशेंका और सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद शामिल हैं।
रूबल गिर जाएगा
अमेरिका और सहयोगी देशों में उन लोगों के स्वामित्व वाली संपत्ति से जुड़े सभी लेन-देन और उन देशों में उनके द्वारा किए गए सभी लेन-देन (या उन देशों का उपयोग करने का प्रयास) को अवरुद्ध कर दिया जाएगा। उनके पास अनुमानित 800 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का कोई रास्ता नहीं होगा, जिसके बारे में कहा जाता है कि वे पश्चिम में जमा हैं।
स्वीकृत रूसी वित्तीय संस्थानों द्वारा स्विफ्ट वित्तीय संदेश प्रणाली तक पहुंच से इनकार करने से रूस और बाकी दुनिया के बीच बड़ी मात्रा में लेनदेन अवरुद्ध हो जाएगा। यह कितना विघटनकारी होगा, और क्या रूस कोई समाधान ढूंढ सकता है, यह अभी भी निर्धारित किया जाना है।
लेकिन रूस और उसके लोगों के लिए सबसे विनाशकारी निर्णय रूसी केंद्रीय बैंक को विदेशी केंद्रीय बैंकों में संग्रहीत सोने और विदेशी मुद्राओं के रूप में सैकड़ों अरबों अमेरिकी डॉलर तक पहुंच से वंचित करने का निर्णय होगा।
आम तौर पर जब कोई मुद्रा गिरती है, तो पूंजी की उड़ान अंततः धीमी हो जाती है और नई पूंजी प्रवाहित होती है। पूंजी का यह प्रवाह मुद्रा के स्वचालित स्टेबलाइजर की तरह कार्य करता है।
एक देश का केंद्रीय बैंक अपने भंडार का उपयोग करके – सोने और विदेशी मुद्राओं के रूप में – विदेशी मुद्रा बाजारों में अपनी मुद्रा खरीदने के लिए कदम उठा सकता है। इससे कीमतों में और गिरावट को रोका जा सकता है।
रूसी आक्रमण के बारे में वित्तीय बाजारों में अनिश्चितता और भय के साथ, रूस में पूंजी के प्रवाह पर महत्वपूर्ण प्रतिबंध, और बैंक ऑफ रूस के विदेशी भंडार को रोकने से, रूबल के पतन के अलावा कोई रास्ता नहीं है।
‘परमाणु’ से जरा सा कम
सोमवार को, जब विदेशी मुद्रा बाजार खुलेंगे, तो दुनिया में हर कोई रूबल बेच रहा होगा, और कोई भी – बैंक ऑफ रूस सहित – उन्हें नहीं खरीदेगा।
तेल, गैस, उर्वरक और गेहूं जैसे सामानों के वास्तविक भुगतान को अभी जारी रखने की अनुमति दी जाएगी। इन्हें काटना एक ‘‘परमाणु विकल्प’’ होगा जिसमें दोनों पक्षों को भारी नुकसान होगा।
यह परमाणु से जरा ही कम है। लेकिन यह कितना बुरा होगा इस बारे में अनिश्चितता है।
बैंकों पर दबाव बढ़ने से रूसी वित्तीय प्रणाली को बड़ा नुकसान होगा। महत्वपूर्ण आयातों की कमी और उनके लिए भुगतान करने की क्षमता न होने के कारण, घरेलू उत्पादन रुक जाएगा।
बढ़ते घाटे को थामने की कोई क्षमता नहीं होने के कारण, रूसी सरकार पैसे की छपाई की ओर रुख कर सकती है, जैसा कि जर्मनी में वीमर गणराज्य में हुआ था।
बहुत कम देश (उत्तर कोरिया एक है) अपनी जरूरत की सभी चीजें घर पर ही बनाते हैं। 1990 के दशक में रूस के खुलने के बाद से यह बाकी दुनिया के साथ तेजी से एकीकृत हो गया है। रूस अपने अधिकांश हथियार खुद बनाता है, लेकिन दुनिया के बाकी हिस्सों से आने वाले घटकों का उपयोग करता है। उन कड़ियों को बंद करने से उसे परेशानी होगी।
पुतिन की प्रतिक्रिया पर सबकी नजर
चीन रूस के साथ कुछ व्यापार बनाए रखने में मदद कर सकता है, लेकिन अगर रूबल बेमोल हो गया, तो यह अस्थिर हो सकता है।
यह सभी उपाय मिलकर रूस की अर्थव्यवस्था को पतन के कगार पर ला सकते हैं।
ऐसा पहले भी किया गया है, लेकिन इतने बड़े पैमाने पर कभी नहीं किया गया। ईरान, अफगानिस्तान और वेनेज़ुएला को इसी तरह की कार्रवाइयों से उनके घुटनों पर लाया गया था। रूस दुनिया की शीर्ष 12 अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, जो ब्राजील और ऑस्ट्रेलिया से भी बड़ा है।
यह बताना मुश्किल है कि पुतिन इस पर कैसे प्रतिक्रिया देंगे। उनके पास विकल्प सीमित हैं, और क्या हम सुनिश्चित हो सकते हैं कि वह तर्कसंगत है? ऐसा प्रतीत होता है कि उन्हें यूक्रेनी सेना की उग्र प्रतिक्रिया का अनुमान नहीं था; क्या उन्होंने वैश्विक वित्तीय आधिपत्य की तीखी प्रतिक्रिया का भी अनुमान नहीं लगाया था?
सैन्य प्रतिक्रियाओं के अलावा, उनकी एकमात्र बची हुई योजना रूस को कम से कम उतना ही नुकसान पहुंचाएंगी जितना कि बाकी दुनिया को। वह यूरोप को गैस के निर्यात को रोक सकते हैं – जिससे यूरोपीयन जम जाएंगे, लेकिन इससे वह रूस की अंतिम वित्तीय जीवन रेखाओं में से एक को काट देगा।
वह और उनके आसपास के लोग कितनी दूर जाने को तैयार होंगे? वित्तीय बाजारों पर प्रभाव अधिक स्पष्ट है। बाजार अनिश्चितता से नफरत करते हैं। वे सोने और अमेरिकी डॉलर जैसी सुरक्षित-संपत्तियों पर दॉव लगाएंगे, और स्टॉक जैसी जोखिम भरी संपत्तियों से हाथ खींच लेंगे। ऊर्जा और अन्य वस्तुओं की कीमतों में ऐसे समय में वृद्धि जारी रहेगी जब मुद्रास्फीति पहले से ही एक बड़ी समस्या थी।
अभी कुछ दिन पहले जब वित्तीय प्रतिबंध कमजोर नजर आ रहे थे, तो ऐसा लग रहा था कि इससे थोड़ा फर्क पड़ेगा। निश्चित रूप से अब ऐसा नहीं दिखता है।
द कन्वरसेशन एकता एकता
एकता
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