नई दिल्ली: जैसे-जैसे भारत-पाकिस्तान सीमा पर युद्ध की आशंका मंडरा रही है, लश्कर-ए-तैयबा के “मानवता” से जुड़े कामों का नेतृत्व करने वाला एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बैन किया गया आतंकी अपने समर्थकों से आह्वान कर रहा है कि वे शामिल होने के लिए तैयार रहें.
“मुसलमानों को युद्ध, संघर्ष, धार्मिक हत्या, लड़ाई और युद्धभूमि, तलवारों और तीरों, खून और शहादत से अपरिचित नहीं होना चाहिए,” हाफिज अब्दुल रऊफ ने लाहौर की एक मस्जिद में अपने श्रोताओं से कहा. “अल्लाह के साथी मौत से नहीं डरते, वे उसे तलाशते हैं.”
यह भड़काऊ भाषण लाहौर की मस्जिद कादसिया में दिया गया, जो उस 200 एकड़ के परिसर से बहुत दूर नहीं है, जिसे लश्कर मुरिदके में चलाता है, जो शहर से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर है.
लश्कर के नेता के भाषण के बाद, बड़ी संख्या में मुस्लिम मिल्ली लीग (आतंकी संगठन का राजनीतिक मोर्चा) के कार्यकर्ताओं ने लाहौर में रैलियां निकालीं और इसके प्रमुख हाफिज मोहम्मद सईद के पुराने भाषणों की रिकॉर्डिंग चलाई. “अगर आप हमारा पानी रोकेंगे,” सईद ने भारत द्वारा सिंधु जल संधि को रोकने की पूर्ववर्ती धमकियों के जवाब में एक बार कहा था, “तो हम आपकी सांस रोक देंगे, और इन नदियों में खून बहेगा.”
भारत ने अब 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है, हालांकि जल प्रवाह को भौतिक रूप से रोका गया है या नहीं, इसकी पुष्टि नहीं हुई है. इस संधि को रद्द करने से सैद्धांतिक रूप से चेनाब पर बड़े स्टोरेज डैम बनाना संभव हो सकता है, जिससे पाकिस्तान की ओर जाने वाले पानी के प्रवाह को रोका जा सके.
चिंता पैदा करने वाली वापसी
यह दुर्लभ—लेकिन पहले भी हो चुकी—रैली यह दिखाती है कि लश्कर, जिसे पाकिस्तान और संयुक्त राष्ट्र दोनों ने प्रतिबंधित किया है, अब भी देश में सक्रिय है, लोगों को अपने साथ जोड़ रहा है, और फंड जुटा रहा है. रऊफ नियमित रूप से लाहौर के चौबुर्जी चौक के पास मस्जिद क़ादसिया में नमाज़ की अगुवाई करता है, और तस्वीरें दिखाती हैं कि वह रावलपिंडी में लश्कर की नई इमारतों के निर्माण की निगरानी कर रहा है.

भारत का कहना है कि लश्कर के आतंकियों ने, जो नियंत्रण रेखा के पार से कमांडर सज्जिद सैफुल्लाह जट्ट और संगठन के सैन्य प्रमुख मुज़म्मिल बट के निर्देश पर काम करते हैं, हाल के महीनों में कई हत्याएं की हैं—जिनमें पहलगाम में पर्यटकों की हत्या और रीासी के पास दस हिंदू तीर्थयात्रियों की हत्या शामिल है.
रऊफ के सोशल मीडिया पेज बताते हैं कि वह 2016-2017 में लश्कर द्वारा बनाए गए राजनीतिक संगठन मरकज़ी मुस्लिम लीग में दावत और इस्लाह (धार्मिक प्रचार और सुधार) का अध्यक्ष है. वह एक किताब का लेखक भी है, जिसमें मस्जिदों की भूमिका पर चर्चा है—यह किताब लश्कर से जुड़े दार-उल-अंदालुस प्रेस ने प्रकाशित की है.
विद्वान सी. क्रिस्टीन फेयर ने लिखा है कि मरकज़ी मुस्लिम लीग की स्थापना सेना के लिए एक ऐसा राजनीतिक साथी बनाने की कोशिश थी, जो उसकी बात मानता रहे. भले ही सेना का प्रभाव प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज़, पाकिस्तान पीपल्स पार्टी और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ पर भी रहा है, सेना छोटे दलों को जिहादी संगठनों के मुकाबले एक संतुलन के रूप में देखती है, जो सेना को चुनौती दे रहे हैं.
“मुसलमानों को जीत हासिल करने के लिए लाखों सिपाहियों की जरूरत नहीं है,” रऊफ ने 29 अप्रैल को ऑनलाइन डाले गए एक भाषण में कहा. “कुरान में कई उदाहरण हैं जहां अल्लाह ने छोटे-छोटे नेक लोगों के समूहों को बड़ी सेनाओं पर जीत दिलाई. दुश्मन के पास टैंक और तोपें हैं, लेकिन हमारे पास हमारा ईमान है.”

कागज़ पर प्रतिबंध
2019 में भारतीय वायुसेना द्वारा बालाकोट पर किए गए हमलों के बाद, पाकिस्तान सरकार ने लाहौर की उस मस्जिद को सरकारी नियंत्रण में ले लिया था और सईद को वहां पर उपदेश देने से रोक दिया था. यह कदम भारत-विरोधी जिहादी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई के हिस्से के रूप में उठाया गया था. यह कार्रवाई आतंकवाद को फंडिंग से रोकने वाली प्रक्रियाओं के अनुपालन की निगरानी करने वाले बहुपक्षीय संगठन फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) द्वारा प्रतिबंधों के डर से प्रेरित थी.
हालांकि, पिछले साल गर्मियों में लश्कर की एक बार फिर से बढ़ती गतिविधियों के संकेत दिखाई दिए. अप्रैल 2024 में, संगठन ने सार्वजनिक रूप से आतंकी अब्दुल वहाब, जिसे ‘अबू सैफुल्लाह’ के नाम से भी जाना जाता था, और सनम जाफर के लिए एक स्मृति सभा आयोजित की, जिसे कुछ दिन पहले भारतीय सुरक्षाबलों ने उत्तर कश्मीर के सोपोर कस्बे के पास मार गिराया था.
अल-कुद्स—एक एन्क्रिप्टेड ऑनलाइन फोरम जो लश्कर का प्रचार-प्रसार करता है—ने बताया कि वहाब बारमंग का पांचवां निवासी था जो कश्मीर में लड़ते हुए मारा गया. इन लोगों को “महान योद्धा” बताया गया जो “भारत की अत्याचारी सेना” से लड़ते हुए शहीद हुए.
दो साल पहले, जब FATF निरीक्षक पाकिस्तान का दौरा कर रहे थे ताकि आतंकवाद से जुड़ी पाबंदियों से देश को बचाया जा सके, उस दौरान भी रऊफ ने लश्कर के कार्यकर्ताओं को देश के बाढ़ प्रभावित इलाकों में भेजा था.
लश्कर के फाइनेंसर मोहम्मद नौशाद आलम खान और व्यापार विभाग के प्रमुख के साथ-साथ रऊफ को 2010 में अमेरिकी ट्रेजरी विभाग द्वारा प्रतिबंधित किया गया था. हालांकि, पाकिस्तान में उसे कभी गिरफ्तार या अभियुक्त नहीं बनाया गया.
सिंधु जल का मुद्दा लश्कर के लिए लंबे समय से एक प्रमुख मंच रहा है, क्योंकि लश्कर के ज़्यादातर सदस्य पंजाब के सूखे दक्षिणी इलाकों के गरीब किसानों के परिवारों से आते हैं. 26/11 हमले से पांच हफ्ते पहले, लश्कर के मुखिया सईद ने एक भाषण दिया था, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि भारत की “जल आतंकवाद” की वजह से पंजाब के खेत बंजर हो रहे हैं.
सईद के अनुसार, भारत अपने चेनाब पर बने बांधों का इस्तेमाल पाकिस्तान की ज़मीनों को कभी बाढ़ से और कभी सूखे से बर्बाद करने के लिए कर रहा था, और इस कारण, पाकिस्तान को अपना अस्तित्व बचाने के लिए कश्मीर को हासिल करना होगा.
“पीने का पानी कुछ ही वर्षों में दुर्लभ हो जाएगा,” उन्होंने दावा किया था, “और युद्ध के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा.” पाकिस्तान के लिए, उन्होंने भविष्यवाणी की थी, एक निर्णय का क्षण नज़दीक है: “पूर्व और पश्चिम के ईसाई लड़ाके मुसलमानों के खिलाफ एकजुट हो चुके हैं.”
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