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Thursday, 16 May, 2024
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खालिस्तानी आतंकवादी परमजीत सिंह पंजवार की लाहौर में गोली मारकर हत्या

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(एम. जुल्करनैन)

लाहौर/चंडीगढ़, छह मई (भाषा) वांछित आतंकवादी और खालिस्तान कमांडो फोर्स (केसीएफ-पंजवार समूह) के प्रमुख परमजीत सिंह पंजवार की शनिवार को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की राजधानी लाहौर में अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी। यह जानकारी पुलिस ने दी।

पंजवार (63) प्रतिबंधित खालिस्तान कमांडो फोर्स-पंजवार समूह का नेतृत्व कर रहा था और भारत ने उसे जुलाई 2020 में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत एक आतंकवादी घोषित किया था।

पाकिस्तान की पंजाब पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘पीटीआई’ को बताया, ‘‘बंदूकधारियों ने पंजवार के सिर में गोली मारी और अस्पताल ले जाने पर चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।’’

उन्होंने बताया कि गोलीबारी में उसका सुरक्षाकर्मी भी घायल हो गया और बाद में उसने दम तोड़ दिया।

अधिकारी ने बताया कि पंजवार लाहौर में जौहर नगर स्थित सन फ्लावर हाउसिंग सोसाइटी के उद्यान में अपने सुरक्षाकर्मी के साथ टहल रहा था।

अधिकारी ने बताया कि पंजवार सन फ्लावर हाउसिंग सोसाइटी में ही रहता था। अधिकारी ने बताया कि उसी दौरान दो हमलावरों ने दोनों पर गोलियां चलाईं और एक मोटरसाइकिल से फरार हो गए।

आईएसआई, मिलिट्री इंटेलिजेंस (एमआई) और काउंटर टेररिज्म डिपार्टमेंट (सीटीडी) सहित पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों ने इलाके की घेराबंदी करके जांच शुरू कर दी है। मीडिया को अपराध स्थल पर जाने की अनुमति नहीं है।

यह हत्या आतंकी सरगनाओं को भारत के बाहर लक्षित करने का नवीनतम उदाहरण है। इस साल फरवरी में आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के स्वयंभू कमांडर बशीर अहमद पीर की पाकिस्तान के रावलपिंडी में अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।

उसी महीने पाकिस्तानी आतंकी संगठन अल बद्र का पूर्व कमांडर सैयद खालिद रजा कराची स्थित अपने आवास के बाहर इसी तरह से मारा गया था, जबकि कश्मीर में जन्मा आतंकवादी एजाज अहमद अहंगर उर्फ अबू उस्मान अल-कश्मीरी कथित तौर पर अफगानिस्तान के कुनार प्रांत में फरवरी में कथित तौर पर मारा गया था। वह इस्लामिक स्टेट (आईएस) में शामिल हुआ था।

पंजवार पर शनिवार को हुए जानलेवा हमले के बारे में एक चश्मदीद ने सीटीडी जांचकर्ताओं को बताया कि पंजवार अपने सुरक्षा गार्ड के साथ शनिवार सुबह करीब छह बजे पार्क में था, तभी एक बंदूकधारी उसके करीब आया और गोलियां चलानी शुरू कर दीं।

उन्होंने कहा, ‘‘गोलीबारी के बाद हमलावर सोसाइटी के गेट की ओर भागा और बाहर उसका इंतजार कर रहे अपने साथी के साथ फरार हो गया।’’

सीटीडी के एक सूत्र ने ‘पीटीआई-भाषा को बताया कि हाउसिंग सोसाइटी के कई लोगों के बयान दर्ज करने के बाद यह खुलासा हुआ है कि हमलावरों ने एक हफ्ते तक ‘रेकी’ की थी।

उन्होंने कहा, ‘हमें हत्यारों के बारे में एक महत्वपूर्ण सुराग मिला है और हमलावरों और इसके पीछे के नेटवर्क को पकड़ने के लिए खुफिया एजेंसियों की कुछ टीमों का गठन किया गया है।’’

सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की पुलिस को इंटर-सर्विस इंटेलिजेंस (आईएसआई) को पूरी जांच का नेतृत्व करने देने के लिए कहा गया है।

लाहौर पुलिस के सूत्रों ने कहा कि मौके को एजेंसियों द्वारा संरक्षित कर दिया गया है और पुलिस को आईएसआई से मंजूरी मिलने तक प्राथमिकी दर्ज नहीं करने के लिए कहा गया है।

घटना के बारे में पूछे जाने पर लाहौर पुलिस प्रवक्ता फरहान अली शेख ने कहा, ‘‘मैं इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं कर सकता।’’

पंजवार 1986 में केसीएफ में शामिल हुआ था। बाद में वह संगठन का प्रमुख बन गया और पाकिस्तान चला गया।

1986 में, केसीएफ का नेतृत्व सुखदेव सिंह उर्फ ​​सुक्खा शापई द्वारा किया जा रहा था जो उस समय भारत के पंजाब में एक पुलिस कांस्टेबल के रूप में कार्यरत था।

पंजाब के होशियारपुर के टांडा में 1989 में पुलिस के साथ एक मुठभेड़ में सुक्खा मारा गया और उसके बाद अमृतसर के सुल्तानविंड का कंवरजीत सिंह केसीएफ का प्रमुख बना जबकि परमजीत सिंह पंजवार उसका उप प्रमुख बना।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार कंवरजीत सिंह सुल्तानविंड की मौत के बाद, पंजवार केसीएफ का प्रमुख बना। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, 1995-96 में पाकिस्तान भागने से पहले, पंजवार पंजाब में कई हत्याओं में शामिल था।

हालांकि पंजवार पिछले कुछ वर्षों से निष्क्रिय था लेकिन वह लाहौर से संचालन कर रहा था और पाकिस्तान में युवाओं के लिए हथियार प्रशिक्षण की व्यवस्था करने में शामिल था। वह भारत में वीआईपी और आर्थिक प्रतिष्ठानों को लक्षित करने के लिए हथियार एवं गोला-बारूद की आपूर्ति और बाद में घुसपैठ में लिप्त हुआ था।

पंजवार को यूएपीए के तहत एक आतंकवादी घोषित करने वाले भारत के गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा था कि वह भारत सरकार के खिलाफ अल्पसंख्यकों को भड़काने के उद्देश्य से रेडियो पाकिस्तान पर अत्यधिक देशद्रोही और अलगाववादी कार्यक्रमों के प्रसारण में भी शामिल था। वह मादक पदार्थ की तस्करी में सक्रिय था और तस्करों और आतंकवादियों के बीच एक प्रमुख वाहक था।

मंत्रालय ने कहा था, ‘‘पंजाब में जाली भारतीय मुद्रा नोट संचालन और मादक पदार्थ के व्यापार को बढ़ावा देने में पंजवार की संलिप्तता अच्छी तरह से प्रलेखित है। केसीएफ द्वारा पूर्व आतंकवादियों, स्लीपर सेल और जमानत पर रिहा लोगों को फिर से सक्रिय करने के प्रयास किए जा रहे हैं और वह भारत विरोधी ताकतों के साथ सांठगांठ के पक्ष में रहा है।’’

केसीएफ फरवरी 1986 में अस्तित्व में आया और इस संगठन की कार्यप्रणाली आतंकवादी गतिविधियों के लिए आधुनिक हथियार खरीदने के लिए बैंक डकैती और फिरौती के लिए अपहरण करना थी।

मंत्रालय के अनुसार परमजीत सिंह पंजवार नीत प्रतिबंधित संगठन भारत में विभिन्न आतंकवादी हमलों में शामिल था, इसमें अक्टूबर 1988 में फिरोजपुर का बम धमाका भी शामिल है जिसमें 10 राय सिख मारे गए थे। इसके साथ ही यह संगठन मेजर जनरल बी एन कुमार की हत्या में शामिल था ।

सूत्रों ने कहा कि पंजवार हरियाणा, चंडीगढ़ और पंजाब में कई आईईडी विस्फोटों में शामिल था। उसकी पत्नी, दो बेटों के साथ जर्मनी में रह रही थी, जिसकी सितंबर 2022 में मृत्यु हो गई।

पंजवार ने 2010 के बाद रियल एस्टेट और हेरोइन तस्करी के कारोबार में कदम रखा। उसने गुलजार सिंह के नाम से पाकिस्तान का राष्ट्रीय पहचान पत्र बनवाया था।

आईएसआई ने आतंकवाद को पुनर्जीवित करने के लिए पंजाब में उसके पुराने संपर्कों का उपयोग करके पंजवार को फिर से सक्रिय करने की योजना बनाई थी।

उन्होंने कहा कि पंजाब में आतंकवाद के दौरे के दौरान पंजवार के सीमावर्ती जिलों के क्षेत्रों में विशेष रूप से अमृतसर और तरनतारन में बड़ी संख्या में संपर्क थे। उन्होंने कहा कि उसके पाकिस्तानी मादक पदार्थ तस्करों और हथियार तस्करों से भी संबंध थे।

पाकिस्तान मीडिया की खबरों के मुताबिक, हिजबुल कमांडर पीर उर्फ इम्तियाज आलम और रजा को हमलावरों ने पंजवार की तरह ही नजदीक से गोली मारी थी।

रज़ा कथित तौर पर आठ साल तक जम्मू कश्मीर में अल बद्र के ‘कमांडर’ के रूप में काम किया था।

खुफिया अधिकारियों ने यहां बताया कि जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा जिले का रहने वाला पीर 15 साल से अधिक समय से पाकिस्तान में रह रहा था।

पीर ने हिजबुल मुजाहिदीन, लश्कर-ए-तैयबा और अन्य आतंकवादी संगठनों की गतिविधियों के विस्तार के लिए पूर्व-आतंकवादियों और अन्य आतंकियों सहयोगियों को एकजुट करने के लिए कई ऑनलाइन प्रचार समूहों में भाग लिया था।

कश्मीर में जन्मा आतंकवादी अहंगर इस्लामिक स्टेट जे-के (आईएसजेके) के प्रमुख भर्तीकर्ताओं में से एक था और भारत द्वारा यूएपीए के तहत एक व्यक्तिगत आतंकवादी घोषित किया गया था।

गृह मंत्रालय ने कहा था कि वह दो दशकों से अधिक समय से जम्मू कश्मीर में वांछित आतंकवादी था और ‘‘कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने की दिशा में काम कर रहा था।’’

उसे भारत के लिए इस्लामिक स्टेट (आईएस) की भर्ती इकाई का प्रमुख बनाया गया था और उसने एक ऑनलाइन भारत-केंद्रित आईएसआईएस प्रचार पत्रिका शुरू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

भाषा अमित रंजन

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यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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