scorecardresearch
Monday, 8 July, 2024
होमविदेश'कीर स्टार्मर, 400 पार', UK में लेबर पार्टी ने दर्ज की भारी जीत, कंजरवेटिव पार्टी ने हार के रिकॉर्ड तोड़े

‘कीर स्टार्मर, 400 पार’, UK में लेबर पार्टी ने दर्ज की भारी जीत, कंजरवेटिव पार्टी ने हार के रिकॉर्ड तोड़े

यूके में राजनीतिक परिदृश्य काफी बंटा हुआ नज़र आ रहा है. कंजरवेटिव पार्टी को 250 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है. कंजरवेटिव पार्टी में ग्यारह कैबिनेट मंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री लिज ट्रस भी शामिल हैं, जिन्होंने अपनी सीटें खो दी हैं.

Text Size:

नई दिल्ली: यूनाइटेड किंगडम में कंजरवेटिव पार्टी को भारी हार का सामना करना पड़ा है. उसे रिकॉर्ड 250 सीटें गंवानी पड़ीं, जिसमें 11 कैबिनेट सदस्य और एक पूर्व प्रधानमंत्री अपनी सीटें हार गए, जबकि कीर स्टार्मर के नेतृत्व वाली लेबर पार्टी ने टोनी ब्लेयर की 1997 की जीत की याद दिलाते हुए शानदार जीत दर्ज की.

अब प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे चुके ऋषि सुनक ने पहले स्टार्मर से बात की और सार्वजनिक रूप से लेबर पार्टी की जीत स्वीकार की. उन्होंने यह भी घोषणा की है कि वे कंजरवेटिव पार्टी के नेता के रूप में पद छोड़ देंगे.

जैसे ही नतीजों में स्टार्मर की पार्टी को भारी जीत मिलने के संकेत मिले वैसे ही स्टार्मर ने घोषणा करते हुए कहा, “हमने यह कर दिखाया. आपने इसके लिए कैंपेन किया, आपने इसके लिए लड़ाई लड़ी, आपने इसके लिए वोट दिया और अब यह आ गया है. बदलाव अब शुरू होता है. यह अच्छा लगता है, मुझे ईमानदारी से कहना होगा. पार्टी को बदलने के लिए साढ़े चार साल की मेहनत, यही इसका उद्देश्य है – एक बदली हुई लेबर पार्टी है,”

22 मई को सुनक द्वारा अचानक चुनाव की घोषणा किया जाना उनकी पार्टी – जिसने पिछले 200 वर्षों में देश को बड़े पैमाने पर चलाया है – लिए विनाशकारी साबित हुआ.

14 वर्षों तक विपक्ष में रही लेबर पार्टी ने 650 में से 412 सीटें जीती हैं, जबकि दो परिणाम अभी घोषित होने बाकी हैं. कंजर्वेटिव पार्टी ने 121 सीटें जीती हैं. पिछली बार टोरीज़ को इस पैमाने पर हार का सामना 1906 में करना पड़ा था, जब उन्होंने आर्थर बाल्फोर के नेतृत्व में 246 सीटें खो दी थीं.

पूर्व प्रधानमंत्री लिज़ ट्रस ने भी अपनी सीट खो दी है. लगभग एक सदी में पहली बार ऐसा हुआ कि देश का कोई पूर्व नेता हाउस ऑफ कॉमन्स में फिर से निर्वाचित होने में विफल रहा. सितंबर 2022 में उनके मिनी-बजट ने एक छोटे वित्तीय संकट को जन्म दिया था, जिसे 2024 में कंजर्वेटिव्स की परेशानियों के कारणों में से एक माना गया है.

पार्टी ने अपने वोट शेयर में भी ऐतिहासिक रूप से सबसे कम स्कोर किया, उसे कुल मतदान में से केवल 23 प्रतिशत वोट ही मिले हैं, जो कि 1834 में इसके गठन के बाद से इतनी कम नहीं हुई है.

रिफॉर्म यूके पार्टी के ब्रेक्सिटर और दक्षिणपंथी विचारों वाले नेता नाइजेल फराज, पिछले सात असफल प्रयासों के बाद पहली बार हाउस ऑफ़ कॉमन्स के लिए चुने गए. उनकी पार्टी के चार सीटें जीतने के साथ, फ़राज ने अगले पांच वर्षों में लेबर पार्टी के साथ जाने का वादा किया है.

इस चुनाव की एक खास बात यह रही कि पूरे यूके में वोटों का बंटवारा देखने को मिला. जबकि लेबर पार्टी ने 400 से अधिक सीटें जीती हैं, पर इसका कुल वोट टैली 2017 के चुनाव से भी कम है, जिसे पार्टी जेरेमी कॉर्बिन के नेतृत्व में हार गई थी.

2017 में कॉर्बिन के नेतृत्व वाली लेबर पार्टी के पक्ष में कुल 12,877,918 वोट पड़े थे, जबकि 2024 में पार्टी को 10 मिलियन से कम वोट मिलने की उम्मीद है. यह इस बात का संकेत है कि नतीजे लेबर के पक्ष में होने की बजाय कंजरवेटिव के खिलाफ़ ज़्यादा हैं. पार्टी इस बार लगभग 34 प्रतिशत वोट जीतने की ओर अग्रसर है, जबकि 1997 में उसे 43 प्रतिशत वोट मिले थे, जब उसने 418 सीटें जीती थीं.

एक और बात यह है कि मध्यमार्गी लिबरल डेमोक्रेट्स ने 71 सीटें जीतीं, जो 2019 के बाद से 63 की वृद्धि को दर्शाता है. लगभग चार दशक पहले लिबरल और सोशल डेमोक्रेट्स के विलय से पैदा होने के बाद से पार्टी का अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन है. हालांकि, इसके वोटों की संख्या लगभग 2019 के बराबर ही है, जो लगभग 3.5 मिलियन है.

लेबर पार्टी को झटका लगा

हालांकि लेबर पार्टी के पास हाउस ऑफ़ कॉमन्स में लगभग 170 सीटों का बहुमत है, लेकिन उसे कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में हार का सामना करना पड़ा है, जहां उसे जीत की उम्मीद थी, क्योंकि स्टार्मर के इजरायल समर्थक रुख और लेबर लेफ्ट को खत्म करने जैसे कई कारण थे.

2015 से 2020 के बीच पार्टी का नेतृत्व करने वाले जेरेमी कॉर्बिन को स्टार्मर ने इस्लिंगटन नॉर्थ में लेबर उम्मीदवार के रूप में खड़े होने से रोक दिया था. यह वह सीट थी जिसे उन्होंने 1983 में जीती थी. हालांकि, कॉर्बिन ने एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में खड़े होने का फैसला किया – जिसके कारण उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया – और उन्होंने लेबर उम्मीदवार को हराकर लगभग 8,000 वोटों से सीट जीत ली.

इसी तरह, एक अन्य वामपंथी उम्मीदवार, फैजा शाहीन को चिंगफोर्ड और वुडफोर्ड ग्रीन्स सीट पर खड़े होने से रोक दिया गया. हालांकि, वह एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में खड़ी हुईं और लेबर उम्मीदवार शमा टैटलर के वोट काटकर उन्हें 12,000 से अधिक वोट मिले, जिससे पूर्व टोरी नेता इयान डंकन स्मिथ को अपनी सीट बरकरार रखने का मौका मिला.

शैडो कैबिनेट मंत्री जोनाथन एशवर्थ उन फिलिस्तीन समर्थक निर्दलीय उम्मीदवारों में से एक थे, जिन्होंने मुस्लिम आबादी वाली सीटों पर लेबर उम्मीदवारों के खिलाफ चुनाव लड़ा था. एशवर्थ की सीट – लीसेस्टर साउथ – में 35 प्रतिशत मुस्लिम आबादी थी, और वह फिलिस्तीनी समर्थक उम्मीदवार शॉकट एडम से 979 वोटों से हार गए.

अदनान हुसैन, इकबाल मोहम्मद और अयूब खान तीन अन्य निर्दलीय उम्मीदवार हैं जिन्होंने फिलिस्तीनी समर्थक मंच पर लेबर उम्मीदवारों को हराया.


यह भी पढ़ेंः प्यू सर्वे में खुलासा- 35% इजरायली वेस्ट बैंक में यहूदी बस्तियों के खिलाफ, सुरक्षा के लिए मानते हैं खतरा 


स्कॉटलैंड का नाटकीय बदलाव

स्कॉटिश नेशनल पार्टी (एसएनपी), जिसने 2007 से स्कॉटलैंड का नेतृत्व किया है, को आम चुनाव में हार का सामना करना पड़ा, उसे केवल 9 सीटें मिलीं जो कि 2019 की तुलना में 37 सीटों का नुकसान है. पिछली बार 2010 के आम चुनाव में स्कॉटिश स्वतंत्रता समर्थक पार्टी ने 10 से कम सीटें जीती थीं.

लेबर पार्टी, जो 2019 में स्कॉटलैंड में केवल एक सीट पर सिमट गई थी, ने 2024 में 37 सीटें हासिल की हैं.

स्कॉटलैंड के प्रथम मंत्री और एसएनपी के नेता जॉन स्विनी ने कहा, “यह @theSNP के लिए बहुत ही मुश्किल रात है. मुझे उन मूल्यवान सहयोगियों के लिए खेद है जिन्होंने अपनी सीटें खो दी हैं. हमें इस झटके से सीखने, जनता की बात सुनने और खुद को फिर से खड़ा करने की जरूरत है. हमें ऐसा करना होगा क्योंकि हम स्कॉटलैंड के लिए सर्वश्रेष्ठ करना चाहते हैं.”

2014 में स्कॉटिश स्वतंत्रता जनमत संग्रह विफल होने के बाद, आम चुनावों में नौ साल तक प्रभावशाली प्रदर्शन करने के बाद एसएनपी चुनावी रथ रुक गया है. स्कॉटलैंड में पार्टी की पकड़ – जिस पर इसने 2007 से शासन किया है – अगले स्कॉटिश चुनाव में और अधिक परखी जाएगी, जो मई 2026 तक होने वाला है.

फिर से उठ खड़ी होने वाली लिबरल डेमोक्रेट

एड डेवी के नेतृत्व में लिबरल डेमोक्रेट्स ने 1988 में पार्टी की स्थापना के बाद से अपने सबसे सफल चुनाव परिणाम देखे. पार्टी ने 71 सीटें और कुल वोटों का लगभग 12 प्रतिशत जीता, जिससे एसएनपी एक बार फिर हाउस ऑफ कॉमन्स में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई.

डेवी, जिन्होंने रोलरकोस्टर राइड्स, बंजी जंपिंग और पैडल बोर्डिंग सहित एक विचित्र कैंपेन चलाया, सभी ने पार्टी के लिए वोट का संदेश दिया. पार्टी के समर्थक भी नाव पर सवार होकर टेम्स नदी में उतरे और सुनक के कैंपेन पड़ावों में से एक को बाधित किया.

पार्टी के पूर्व नेता टिम फैरॉन ने भी अपनी सीट बरकरार रखी. कंजर्वेटिव्स पर कटाक्ष करते हुए फैरॉन ने एक्स पर कहा, “हमने एजेंट ट्रस को क्षेत्र से वापस बुला लिया है, उनका काम पूरा हो गया है.”

पूर्व प्रधानमंत्री ट्रस ने अपना राजनीतिक जीवन लिबरल डेमोक्रेट्स के साथ शुरू किया था.

फराज का प्रवेश

फराज, जिन्होंने कभी ब्रेक्सिट समर्थक यूके इंडिपेंडेंस पार्टी (यूकेआईपी) का नेतृत्व किया था, आखिरकार अपने आठवें प्रयास में संसद में पहुंच गए हैं. उन्होंने एसेक्स के क्लैक्टन में 8,000 वोटों से जीत हासिल करके 25,000 से अधिक वोटों के कंजर्वेटिव बहुमत को पलट दिया.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


यह भी पढ़ेंः इज़रायल ने कतर के स्वामित्व वाले अल जज़ीरा पर लगाया प्रतिबंध, बंद किया चैनल का प्रसारण


 

share & View comments