(सज्जाद हुसैन)
इस्लामाबाद, 14 नवंबर (भाषा) न्यायमूर्ति अमीनुद्दीन खान ने पाकिस्तान में विवादास्पद 27वें संविधान संशोधन के बाद स्थापित संघीय संवैधानिक न्यायालय (एफसीसी) के पहले मुख्य न्यायाधीश के रूप में शुक्रवार को शपथ ली।
यह घटनाक्रम राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के 27वें संविधान संशोधन पर दस्तखत करने के एक दिन बाद हुआ, जिसमें एफसीसी के गठन का प्रावधान है।
जरदारी ने ऐवान-ए-सद्र (पाकिस्तान का राष्ट्रपति भवन) में आयोजित एक समारोह में न्यायमूर्ति खान को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस समारोह में सेना प्रमुख असीम मुनीर, ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष जनरल साहिर शमशाद मिर्जा और प्रधान न्यायाधीश याह्या अफरीदी भी शामिल हुए।
न्यायमूर्ति खान ने अपनी शपथ में कहा, “मैं अपने व्यक्तिगत हितों को अपने आधिकारिक आचरण या अपने आधिकारिक निर्णयों को प्रभावित नहीं करने दूंगा। मैं इस्लामी गणराज्य पाकिस्तान के संविधान की रक्षा, सुरक्षा और बचाव करूंगा और मैं सभी परिस्थितियों में बिना किसी डर या पक्षपात, प्रेम या द्वेष के, सभी तरह के लोगों के साथ कानून के मुताबिक सही व्यवहार करूंगा।”
जरदारी ने बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सलाह पर एफसीसी के मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति खान की नियुक्ति को मंजूरी दे दी थी।
एफसीसी में मुख्य न्यायाधीश सहित सात न्यायाधीश होंगे।
‘द डॉन’ अखबार की खबर के मुताबिक, राष्ट्रपति जरदारी ने एफसीसी में छह न्यायाधीशों की नियुक्ति को भी मंजूरी दे दी है, जिनमें उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति सैयद हसन अजहर रिजवी, न्यायमूर्ति आमिर फारूक और न्यायमूर्ति अली बकर नजफी के अलावा सिंध उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति केके आगा, बलूचिस्तान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यरत न्यायमूर्ति रोजी खान बराच और न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अरशद हुसैन शाह शामिल हैं।
खबर में एक सूत्र के हवाले से कहा गया है कि न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अरशद हुसैन शाह की नियुक्ति इसलिए की गई है, क्योंकि शीर्ष अदालत के न्यायमूर्ति मुसर्रत हिलाली एफसीसी में शामिल होने के इच्छुक नहीं थे।
भाषा पारुल नरेश
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