नई दिल्ली: पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मुहम्मद छोटे बच्चों को हिंसक जिहाद में शामिल कर रहा है. दिप्रिंट को इस आतंकवादी संगठन की बच्चों की एक पत्रिका मुसलमान बच्चे की एक कॉपी मिली है जिससे इस बात का खुलासा हुआ है. पत्रिका के जनवरी अंक में एक बच्चे द्वारा बनाई गई असॉल्ट राइफल की एक ड्राइंग छपी है. इस राइफल पर ‘जैश’ शब्द लिखा गया है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंधित संगठन का झंडा भी बना है.
मैग्जीन में ऐसे लेख भी हैं, जो बताते हैं कि सशस्त्र हिंसा में भाग लिए बिना बच्चे कैसे जिहाद और जिहादियों का समर्थन किया जा सकता है.
मैग्जीन में एक कहानी इनाम नाम के एक चरित्र के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसे फिलिस्तीनियों पर इजरायल के हमलों के बारे में पता चलता है.
कहानी आगे बढ़ती है, ‘उसका गुस्सा चरम पर था. लेकिन एक दुर्घटना में उसने अपना एक पैर खो दिया था, जिसके कारण वह जिहाद पर नहीं जा सकता था. लेकिन वह समझ गया था कि युद्ध के मैदान में जाकर लड़ना जरूरी नहीं है. इनाम ने अपनी शायरी के जरिए लोगों की भावनाओं को बढ़ाने और स्वतंत्रता सेनानियों का समर्थन करने का मन बना लिया था. अपने इस निष्कर्ष पर आने से पहले वह कहता है, ‘जिहाद कलम से भी किया जा सकता है’.
पत्रिका में एक और लेख है. इसका शीर्षक ‘काफ़िले की तालाश’ है. इसमें दावा किया गया है कि जिहाद के विचार को ‘सभी प्रकार की लड़ाई और दंगे’ के रूप में गलत समझा गया है. जैश-ए-मुहम्मद इस्लामी पवित्र पुस्तक और कानून ‘कुरान और शरीयत द्वारा शासित’ जिहाद चाहता है. उसने मैग्जीन में यह भी लिखा है कि जिहाद को लेकर गलत धारणा बनी हुई है और इसे सिर्फ ‘मार पीट और दंगे’ को ही समझा जाता है.
दिप्रिंट ने हाल ही में रिपोर्ट किया था कि जैश-ए-मोहम्मद बहावलपुर में अपनी विशाल जामा-ए-मस्जिद सुभानल्लाह और साबिर मदरसा का विस्तार कर रहा है. संगठन के दावे के मुताबिक, मदरसे गैर-सैन्य संस्थान हैं, जो बच्चों को पढ़ाने के लिए समर्पित हैं.
(अनुवाद: संघप्रिया मौर्या | संपादन: हिना फ़ातिमा)
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