नई दिल्ली: भारतीय-अमेरिकी संगठनों ने गुरुवार को टॉम लांतोस मानवाधिकार कमीशन को जम्मू-कश्मीर की स्थिति के बारे में लिखा और इस पर होने वाली चर्चा से पहले लिखा कि वो इस क्षेत्र में सुरक्षा की चुनौतियों को पहचाने और अनुच्छेद-370 को हटाने की जरुरत को समझे.
हिंदू-अमेरिकन फॉउंडेशन, इंडो-अमेरिकन कश्मीर फोरम, कश्मीर हिंदू फाउंडेशन ने 14 नवंबर को अपने बयान में लिखा कि राज्य में चल रही आतंकवादी गतिविधि से समस्या उत्पन्न हो रही थी और कैसे सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 इन चुनौतियों से निपटने में मददगार साबित होगी.
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाए जाने के केंद्र सरकार के कदम के पक्ष में बोलते हुए कश्मीरी स्तंभकार और राजनीतिक विश्लेषक सुनंदा वशिष्ठ ने कहा कि इसे हटाए जाने क बाद समान अधिकार और महिलाओं को प्रोपर्टी में अधिकार मिलने की दिशा में काम होगा.
वशिष्ठ संयुक्त राष्ट्र महासभा की मानवाधिकार पर हो रही बैठक में बोल रही थी. टॉम लांतोस एचआर कमीशन ने इस बैठक का आयोजन किया था.
वशिष्ठ ने कहा कि पश्चिम के देश आतंकवाद का जो स्वरुप आज देख रहे हैं वो कश्मीर ने 30 साल पहले ही देख लिया है.
Equal rights to the LGTBQ communities and property rights to women have only been accomplished through the abrogation of Article 370 in Jammu and Kashmir, said Kashmiri columnist and political commentator Sunanda Vashisht
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— ANI Digital (@ani_digital) November 14, 2019
वशिष्ठ ने कहा कि जब मेरे अधिकारों का हनन हो रहा था तब मानवाधिकार के पैरोकार कहा थे. 19 जनवरी 1990 की रात को वो सब कहा थे जब कश्मीर के सभी मस्जिदों से ये आवाज़ आ रही थी कि उन्हें सिर्फ हिंदू महिलाएं चाहिए, हिंदू पुरूष नहीं.
वशिष्ठ ने कहा तब हमारे पास सिर्फ तीन उपाय थे – या तो भाग जाए, परिवर्तन कर लें या मर जाए. उस रात करीब 4 लाख कश्मीरी हिंदुओं को वहां से भागना पड़ा था.
वशिष्ठ ने कहा कि केंद्र सरकार के कदम से क्षेत्र में घुसपैठ की समस्या का हमेशा के लिए हल हो जाएगा. उन्होंने कहा भारत की पहचान सिर्फ 70 साल पुरानी नहीं है बल्कि ये 5 हज़ार साल पुरानी सभ्यता है. कश्मीर के बिना कोई भारत नहीं है और न ही कोई कश्मीर है.
(समाचार एजेंसी एएनआई के इनपुट के साथ)