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मनामा, नौ दिसंबर (भाषा) विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बहरीन के अपने समकक्ष के साथ सोमवार को वार्ता के दौरान अंतरिक्ष, शिक्षा, फिनटेक (वित्तीय प्रौद्योगिकी) और प्रौद्योगिकी में नए अवसरों को रेखांकित किया तथा क्षेत्र में हालिया घटनाक्रम पर विचारों का आदान-प्रदान किया।
जयशंकर दो देशों की अपनी यात्रा के अंतिम चरण में शनिवार को मनामा पहुंचे। उन्होंने बहरीन के अपने समकक्ष अब्दुल लतीफ बिन राशिद अल जायनी के साथ चौथे भारत-बहरीन उच्च संयुक्त आयोग (एचजेसी) की सह-अध्यक्षता की।
जयशंकर ने अपने आरंभिक वक्तव्य में कहा, ‘‘हम अंतरिक्ष, शिक्षा, वित्तीय प्रौद्योगिकी तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी जैसे कई नए क्षेत्रों में बड़ी संभावनाएं देखते हैं। मैं इस अवसर पर सार्वजनिक रूप से यह पुष्टि करना चाहूंगा कि हम बहरीन के साथ अपना सहयोग बढ़ाने को प्राथमिकता देते हैं।’’
उन्होंने व्यापार और निवेश में हाल के वर्षों में हुई ‘‘उल्लेखनीय प्रगति’’ का जिक्र करते हुए कहा कि नयी दिल्ली सकारात्मक गति विकसित करना चाहती है और उन्होंने बहरीन के निवेशकों को भारत में आकर अवसरों का पता लगाने के लिए आमंत्रित किया।
उन्होंने कहा कि दोनों देश सुरक्षा संबंधी मामलों में भी घनिष्ठ सहयोग करते हैं और उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुद्री गतिविधियों के संदर्भ में सुरक्षा के प्रति भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
जयशंकर ने खाड़ी क्षेत्र में बहरीन को ‘‘मूल्यवान साझेदार’’ बताते हुए कहा कि भारत विभिन्न बहुपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मनामा के समर्थन की सराहना करता है।
उन्होंने कहा कि पश्चिम एशिया भारत के लिए गहरे रणनीतिक हित का क्षेत्र है और हाल के दिनों में खासकर गाजा में संघर्ष के कारण इस क्षेत्र को लेकर गहरी चिंता पैदा हो गई है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम आतंकवाद की घटनाओं और संघर्ष में नागरिकों की जान जाने की निंदा करते हैं। हम अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के पालन में विश्वास करते हैं। हमने फलस्तीन के लोगों के लिए मानवीय सहायता की सुरक्षित और समय पर आपूर्ति के महत्व पर जोर दिया है और हम शीघ्र युद्ध विराम एवं सभी बंधकों की रिहाई का आह्वान करते हैं।’’
जयशंकर ने कहा कि भारत ने द्वि-राष्ट्र समाधान के माध्यम से फलस्तीनी मुद्दे के समाधान का लगातार समर्थन किया है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने फलस्तीनी संस्थानों और क्षमताओं के निर्माण में भी योगदान दिया है और हम इस बात की निश्चित रूप से सराहना करते हैं कि खाड़ी देश भी उसी दिशा में काम कर रहे हैं।’’
जयशंकर ने भारतीय समुदाय का कल्याण सुनिश्चित करने के लिए बहरीन सरकार को धन्यवाद दिया।
विदेश मंत्री ने बाद में ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘व्यापार, निवेश, स्वास्थ्य सेवा, ऊर्जा, सुरक्षा, पर्यटन और लोगों के बीच आपसी संबंधों पर ध्यान केंद्रित करते हुए हमारे द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की। अंतरिक्ष, शिक्षा, फिनटेक और प्रौद्योगिकी में नए अवसरों पर चर्चा की। क्षेत्र में हाल के घटनाक्रम पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया।’’
बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि दोनों पक्षों ने प्रमुख वैश्विक घटनाक्रम और आपसी हितों के क्षेत्रीय एवं बहुपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की।
बयान में कहा गया कि दोनों देश एक-दूसरे को क्षेत्र में प्रमुख साझेदार मानते हैं और पश्चिम एशिया में अधिक शांतिपूर्ण एवं समावेशी वैश्विक समुदाय को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।
दोनों मंत्रियों ने द्विपक्षीय संबंधों में हुई प्रगति की सराहना की तथा उच्च स्तरीय द्विपक्षीय यात्राओं एवं बैठकों की गति जारी रखने पर सहमति व्यक्त की।
संयुक्त वक्तव्य में कहा गया कि दोनों मंत्रियों ने आतंकवाद के सभी स्वरूपों और तरीकों की निंदा की तथा अन्य देशों के खिलाफ आतंकवाद के इस्तेमाल को अस्वीकार करने और त्यागने का सभी देशों से आह्वान किया।
बहरीन ने भारत के साथ दोहरे कराधान को समाप्त करने के लिए द्विपक्षीय समझौता करने (डीटीए) की अपनी इच्छा दोहराई, ताकि कर संबंधी मामलों में सहयोग को मजबूत किया जा सके और दोनों मित्र देशों के बीच आर्थिक, वाणिज्यिक और निवेश के अवसर विकसित किए जा सकें।
दोनों मंत्रियों ने बहरीन में भारतीय रुपे कार्ड की स्वीकृति को शीघ्र शुरू करने के लिए बातचीत में तेजी लाने पर सहमति जताई।
बाद में, जयशंकर ने मनामा में भारतीय समुदाय के साथ बातचीत की और भारत एवं बहरीन के बीच संबंधों को मजबूत करने में उनके योगदान की सराहना की।
भाषा सिम्मी अमित
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