पेरिस: जैश-ए-मोहम्मद ने स्वीकार किया है कि भारत ने पाकिस्तान में बालाकोट स्थित उसके ठिकाने पर हमला किया, पर उसका दावा है कि दोनों देशों के बीच तनाव को वर्षों के उच्चतम स्तर पर ले आने वाले हवाई हमले में कोई हताहत नहीं हुआ.
जैश ने ‘भारतीय पायलट को रिहा कर मुस्लिम उम्मा को शर्मिंदा करने के लिए’ पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की आलोचना भी की है. इस्लामी आतंकी संगठन ने पाकिस्तानियों से कश्मीर में जिहाद में शामिल होने का आह्वान किया है.
जैश का बयान एक ऑडियो रिकॉर्डिंग के रूप में है, जो कि भारतीय वायुसेना के पायलट विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान को शुक्रवार को पाकिस्तान द्वारा रिहा किए जाने के बाद सामने आया. वर्तमान को बालाकोट में भारतीय हवाई हमले के एक दिन बाद बुधवार को पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने पकड़ लिया था. पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों से संघर्ष के दौरान वर्तमान के मिग-21 बाइसन विमान को मार गिराया गया था.
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यह स्पष्ट नहीं है कि ऑडियो टेप में आवाज़ किसकी है, हालांकि यह रिकॉर्डिंग किसी कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मुफ्ती अब्दुल रऊफ असगर, जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अज़हर के भाई, का परिचय कराने से आरंभ होती है. इसमें उन्हें उनकी उपस्थिति के लिए धन्यवाद भी किया जाता है.
पेशावर स्थित सूत्रों के अनुसार ऑडियो पेशावर शहर में गुरुवार शाम जीटी रोड स्थित मस्जिद व मदरसा सनान बिन सलमान में हुए एक कार्यक्रम का है.
उस कार्यक्रम में जैश से जुड़े मौलाना मुजाहिद अब्बास, मौलाना कुतुबुद्दीन और मौलाना निज़ामुद्दीन भी वक्ताओं के रूप में शामिल थे. कार्यक्रम का आयोजन सुन्नी चरमपंथी नेता मौलाना युसूफ लुधियानवी की याद में किया गया था, जिनकी वर्ष 2000 में कराची में हत्या कर दी गई थी. आधिकारिक रूप से, जैश पाकिस्तान में 2002 से ही प्रतिबंधित है.
शहादत की तमन्ना
ऑडियो टेप में अपनी तकरीर शुरू करते हुए जैश नेता कहता है कि वह पाकिस्तान में घुसकर हमला करने के भारतीय दावे के बारे में कुछ स्पष्टीकरण देना चाहेगा. वह स्वीकार करता है कि भारत ने हवाई हमला किया और बालाकोट में उनके मरकज़ (ठिकाने) पर बम गिराए, जहां कि उसके अनुसार छात्र जिहाद के कर्तव्य के बारे में सीख रहे थे.
ऑडियो टेप में बोल रहे व्यक्ति ने हमले में जैश सदस्यों के मारे जाने के भारतीय दावे का खंडन करते हुए किसी के हताहत नहीं होने की बात की है. पर वह कहता है काश ऐसा हुआ होता, क्योंकि वे सभी शहादत को गले लगाना चाहते हैं.
करीब 15 मिनट के भाषण में वक्ता कहता है कि भारत के पाकिस्तानी क्षेत्र में दाखिल हो जाने के बाद जिहाद अब हर पाकिस्तानी मुसलमान के लिए अनिवार्य हो गया है. उसके अनुसार, अब जिहाद को अक्रामक कदम के रूप में नहीं, बल्कि पाकिस्तान की हिफाज़त के ज़रिए के रूप में देखा जाना चाहिए.
वह ये भी बताता है कि कैसे अतीत में जिहाद को पाकिस्तानी ‘एजेंसियों’ द्वारा प्रायोजित माना जाता था, पर अब ऐसा नहीं कहा जाना चाहिए, क्योंकि भारत ने स्वयं पाकिस्तान के खिलाफ लड़ाई छेड़ने का दावा किया है, और इसलिए पाकिस्तानियों को इसका जवाब देना होगा.
अहं की लड़ाई
‘मिलिट्री इंक.’ की लेखिका और दक्षिण एशिया में सामरिक मामलों की विशेषज्ञ आयशा सिद्दिक़ा कहती हैं कि जैश द्वारा 26 फरवरी के हमले को पाकिस्तान में अपने भर्ती अभियान के लिए प्रचार के तौर पर इस्तेमाल किए जाने पर उन्हें आश्चर्य नहीं हुआ है.
उन्होंने कहा, ‘मालूम पड़ता है जैश पाकिस्तान के भीतर भारत के संभवत: असफल हमले का इस्तेमाल जिहाद के लिए लोगों को एकजुट करने के अपने एजेंडे को बढ़ाने में कर रहा है.’
सिद्दिक़ा के अनुसार जैश तथा कश्मीर केंद्रित अन्य चरमपंथी गुट पाकिस्तान के भीतर अब भी खुलेआम सक्रिय हैं, क्योंकि वे पाकिस्तान के लिए खतरा नहीं पैदा करते और उनसे पाकिस्तानी सेना का हित सधता है.
उन्होंने कहा, ‘मौजूदा संदर्भ में, ये अब एक अहं का मुद्दा बन गया है, क्योंकि पाकिस्तानी अधिकारी भारत के दबाव में आते नहीं दिखना चाहते.’
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एक और नियाज़ी
ऑडियो रिकॉर्डिंग में जैश नेता ने विंग कमांडर अभिनंदन को रिहा करने की पहल के लिए प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की भी आलोचना की है, और उनका ज़िक्र नियाज़ी नाम से किया है. ख़ान अपने इस कुलनाम का इस्तेमाल कभी-कभार ही करते हैं.
जैश का वक्ता कहता है, ‘इससे पहले, एक नियाज़ी ने देश के आधे हिस्से और 90,000 सैनिकों को गंवाया था, और अब एक अन्य नियाज़ी ने भारतीय पायलट को लौटा कर हमारी जीत को हार में बदल दिया है. उसने दुश्मन के सामने घुटने टेक दिए और मुस्लिम उम्मा को शर्मिंदा किया है.’ उल्लेखनीय है कि जैश नेता दिसंबर 1971 की घटनाओं की बात कर रहा है जब पाकिस्तानी सेना के जनरल अमीर अब्दुल्ला ख़ान नियाज़ी ने पूर्वी पाकिस्तान में भारत के समक्ष आत्मसमर्पण किया था.
तकरीर की समाप्ति उपस्थित लोगों से मोदी और भारत के विरोध में नारे लगवाने और कश्मीर में जिहाद के आह्वान से होती है.
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