स्टॉकहोम (स्वीडन) : जेल में बंद ईरानियन एक्टिविस्ट नरगिस मोहम्मदी को ईरान में महिलाओं के उत्पीड़न के खिलाफ और सभी के लिए मानवाधिकारों व स्वतंत्रता की लड़ाई के लिए 2023 के नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा जाएगा.
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The Norwegian Nobel Committee has decided to award the 2023 #NobelPeacePrize to Narges Mohammadi for her fight against the oppression of women in Iran and her fight to promote human rights and freedom for all.#NobelPrize pic.twitter.com/2fyzoYkHyf— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 6, 2023
नोबेल प्राइज के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर पोस्ट में लिखा है कि ओस्लो में पुरस्कार की घोषणा करने वाले नॉर्वेजियन नोबेल समिति के अध्यक्ष बेरिट रीस-एंडरसन ने कहा, “वह महिलाओं के लिए व्यवस्थागत भेदभाव और उत्पीड़न के खिलाफ लड़ती हैं.”
“जमानत पर रिहा होने के बाद, इस साल की शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मदी ने मौत की सजा के इस्तेमाल के खिलाफ एक अभियान में खुद को झोंक दिया. मौत की सजा के खिलाफ सक्रियता के कारण 2015 में उन्हें फिर से गिरफ्तार किया गया और अतिरिक्त वर्षों के लिए जेल की सजा सुनाई गई.”
इसमें कहा गया है, “वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और आजादी के अधिकार के लिए लड़ती हैं, और महिलाओं को लोगों की नज़रों से दूर रहने व अपने शरीर को ढंकने की मांग करने वाले नियमों के खिलाफ लड़ती हैं. प्रदर्शनकारियों द्वारा व्यक्त की गई आजादी की मांग न केवल महिलाओं पर, बल्कि पूरी आबादी पर लागू होती है.”
मोहम्मदी, शांति का नोबेल पुरस्कार जीतने वाली 19वीं महिला हैं.
51 साल की मोहम्मदी एक ईरानी लेखक, मानवाधिकार कार्यकर्ता और डिफेंडर्स ऑफ ह्यूमन राइट्स सेंटर (डीएचआरसी) की उप निदेशक हैं. अभी वह तेहरान की एविन जेल में बंद हैं. नोबेल पुरस्कार देने वाली कमेटी ने ईरान से मोहम्मदी को रिहा करने की मांग की है, जिसने कहा कि उन्हें 13 बार गिरफ्तार किया गया है, 5 बार दोषी ठहराया गया, और कुल 31 साल की जेल व 154 कोड़े की सजा सुनाई गई.
रीस-एंडरसन ने कहा, “(मोहम्मदी के) बहादुरीपूर्ण संघर्ष को निजी तौर पर भारी कीमत चुकानी पड़ी है.”
तेहरान की कुख्यात एविन जेल में बंद राजनीतिक बंदियों को पिछले साल की विरोध की लहर के बारे में पता चला. मोहम्मदी ने कैद रहने के दौरान विरोध प्रदर्शन को मजबूत बनाए रखने में योगदान दिया.
अधिकारियों ने मोहम्मदी को तब गिरफ्तार कर लिया था, जब वह कथित तौर पर हेडस्कार्फ़ ठीक से न पहनने पर सरकार की ‘नैतिक पुलिस’ द्वारा 22 वर्षीय कुर्द-ईरानी महिला महसा अमिनी को हिरासत में लिए जाने के बाद उसे ‘रि-एजुकेशन सेंटर’ ले जाने पर, पिछले सितंबर में मौत होने पर नवम्बर में उसके स्मृति समारोह में शामिल होने गई थीं.
अमिनी की मौत ने ईरानी सरकार के खिलाफ राजनीतिक विरोध को जन्म दिया, जो एक बड़े सामाजिक आंदोलन में बदल गया और प्रदर्शनकारियों ने अन्य मुद्दों के साथ-साथ महिलाओं के साथ सरकार के व्यवहार का भी विरोध किया.
इस बीच, आज नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा के बाद, संस्थापक अल्फ्रेड नोबेल की मृत्यु की सालगिरह पर 10 दिसंबर को ओस्लो सिटी हॉल में एक समारोह होगा.
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