नई दिल्ली: ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर अमेरिका के हवाई हमलों को राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने तेहरान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं पर “निर्णायक प्रहार” बताया. इस कार्रवाई की इज़राइल ने सराहना की है, जबकि ईरान के सहयोगियों ने इसकी निंदा की है और कई देशों समेत अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने तत्काल तनाव कम करने की अपील की है.
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराक़ची ने अमेरिका पर “अंतरराष्ट्रीय क़ानून का गंभीर उल्लंघन” करने का आरोप लगाया. उन्होंने एक्स पर एक बयान में लिखा, “आज सुबह के हमले निंदनीय हैं और इसके स्थायी परिणाम होंगे. संयुक्त राष्ट्र का हर सदस्य इस खतरनाक, गैरकानूनी और आपराधिक व्यवहार पर चिंतित हो.”
“ईरान अपने संप्रभुता, हितों और जनता की रक्षा के लिए सभी विकल्प सुरक्षित रखता है.”
ईरान के सहयोगी चीन ने, राज्य संचालित CGTN के एक लेख के माध्यम से, सवाल उठाए कि क्या अमेरिका फिर से ईरान में वही गलती दोहरा रहा है जो उसने इराक़ में की थी. चीन ने चेतावनी दी कि मध्य पूर्व में बल प्रयोग का इतिहास रहा है “लंबे संघर्षों और क्षेत्रीय अस्थिरता” का, और कहा कि केवल कूटनीति ही एकमात्र समाधान है.
वहीं, ईरान के एक और सहयोगी पाकिस्तान, जिसने पहले ट्रंप को नोबेल पुरस्कार के लिए नामित करने की घोषणा की थी, ने भी हमलों की निंदा की. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक्स पर बयान में कहा, “हम दोहराते हैं कि ये हमले अंतरराष्ट्रीय कानून के सभी मानदंडों का उल्लंघन हैं और ईरान को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत अपनी रक्षा करने का वैध अधिकार है.”
उधर इज़राइल सरकार ने इस कदम की सराहना करते हुए कहा कि यह ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर लगाम कसने में एक ऐतिहासिक मोड़ है. एक रिकॉर्ड किए गए बयान में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा, “बधाई हो राष्ट्रपति ट्रंप. आपने ईरान के परमाणु ठिकानों को अमेरिका की न्यायपूर्ण शक्ति से निशाना बनाकर इतिहास बदल दिया है.”
एक्स पर एक और बयान में उन्होंने कहा: “ऑपरेशन पूरा होने के तुरंत बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने मुझे फोन किया. यह बहुत गर्मजोशी भरी और भावनात्मक बातचीत थी. उन्होंने मुझे, हमारी सेना और हमारे लोगों को आशीर्वाद दिया. मैंने उन्हें, अमेरिकी पायलटों और अमेरिकी जनता को बधाई दी. राष्ट्रपति ट्रंप स्वतंत्र दुनिया के एक मज़बूत नेता हैं और इज़राइल के महान मित्र हैं.”
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को “अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर ख़तरा” बताया और कहा कि “अमेरिका ने इस ख़तरे को कम करने के लिए कार्रवाई की है.”
उन्होंने एक्स पर लिखा, “मध्य पूर्व की स्थिति अब भी अस्थिर है और क्षेत्रीय स्थिरता प्राथमिकता है. हम ईरान से अपील करते हैं कि वह फिर से बातचीत की मेज़ पर लौटे और कूटनीतिक समाधान के लिए प्रयास करे.”
रविवार सुबह, अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों—फोर्डो, नतांज और इस्फ़हान—पर बमबारी की. ट्रंप ने अपने राष्ट्र के संबोधन में कहा कि ये ठिकाने “पूरी तरह से तबाह” कर दिए गए हैं. मुख्य निशाना फोर्डो था—यह एक गहराई में बना यूरेनियम संवर्धन केंद्र है—जिसे GBU-57A/B मैसिव ऑर्डनेंस पेनिट्रेटर (MOP), जिसे बंकर बस्टर बम भी कहा जाता है, से निशाना बनाया गया.
हालांकि, अमेरिका का ईरान के ख़िलाफ़ इज़राइल के साथ युद्ध में उतरना कई देशों और अंतरराष्ट्रीय निकायों के लिए चिंता का विषय बन गया है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इन हमलों को लेकर गहरी चिंता जताई और इस क़दम को “खतरनाक बढ़ावा” और “अंतरराष्ट्रीय शांति व सुरक्षा के लिए सीधा ख़तरा” बताया. एक औपचारिक बयान में गुटेरेस ने चेतावनी दी कि यह संघर्ष “नियंत्रण से बाहर हो सकता है” और कहा कि “इसका कोई सैन्य समाधान नहीं है”, सभी पक्षों से “तत्काल तनाव कम करने” और कूटनीति की ओर लौटने की अपील की.
इराक सरकार के प्रवक्ता बसीम अलावादी ने कहा, “यह सैन्य बढ़ावा मध्य पूर्व में शांति और सुरक्षा के लिए एक गंभीर ख़तरा है और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए गंभीर जोखिम पैदा करता है.”
न्यूज़ीलैंड के विदेश मंत्री विंस्टन पीटर्स ने स्थिति को “बेहद चिंताजनक” बताया और बातचीत की वापसी पर ज़ोर दिया. पीटर्स ने कहा, “कूटनीति सैन्य कार्रवाई की तुलना में एक अधिक टिकाऊ समाधान दे सकती है.”
ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने ईरान के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों से उत्पन्न लंबे समय से चले आ रहे खतरे को स्वीकार किया, लेकिन ज़ोर दिया कि इस स्थिति में “संवाद और कूटनीति” ज़रूरी है. इसी तरह, मैक्सिको के विदेश मंत्रालय ने एक्स पर एक पोस्ट में अपनी “शांतिवादी प्रतिबद्धता” दोहराई और “मध्य पूर्व में शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की बहाली” की अपील की.
कुछ देशों ने, जैसे वेनेज़ुएला और क्यूबा ने, इन हमलों की सख़्त निंदा की. वेनेज़ुएला के विदेश मंत्री इवान गिल ने अमेरिका की कार्रवाई को “सैन्य आक्रमण” बताया जो “इज़राइल के अनुरोध पर” की गई है, जबकि क्यूबा के राष्ट्रपति मिगेल डियाज़-कानेल ने इन बमबारी को “खतरनाक बढ़ावा” और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का गंभीर उल्लंघन बताया.
लैटिन अमेरिका में, चिली के राष्ट्रपति गैब्रिएल बोरिक ने भी आलोचना की. उन्होंने एक्स पर लिखा, “शक्ति होने का मतलब यह नहीं कि आप इसका इस्तेमाल उन नियमों के खिलाफ करें जो हमने मानवता के रूप में तय किए हैं. भले ही आप अमेरिका हों.”
अमेरिका के भीतर भी, राष्ट्रपति ट्रंप के हमलों की डेमोक्रेटिक सांसदों ने आलोचना की। हाउस माइनॉरिटी लीडर हकीम जेफ़्रीज़ ने उन पर कांग्रेस को दरकिनार करने और अमेरिका को एक और महंगे और संभावित विनाशकारी युद्ध की ओर धकेलने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, “डोनाल्ड ट्रंप एकतरफ़ा सैन्य कार्रवाई से उत्पन्न किसी भी प्रतिकूल परिणाम की पूरी और कुल ज़िम्मेदारी उठाते हैं.”
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