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Saturday, 4 May, 2024
होमविदेशतोशाखाना मामले में इमरान खान को बड़ी राहत, इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने सजा पर लगाई रोक, रिहाई के दिए आदेश

तोशाखाना मामले में इमरान खान को बड़ी राहत, इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने सजा पर लगाई रोक, रिहाई के दिए आदेश

पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पर आरोप है कि उन्होंने प्रधानमंत्री रहते हुए विदेश में मिले हुए गिफ्ट को तोशाखाने से कुल 2.15 करोड़ रुपए में खरीदे और उससे उन्होंने 5.8 करोड़ रुपए कमाए.

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नई दिल्ली: इस्लामाबाद हाईकोर्ट (आईएचसी) ने जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेता इमरान खान को तोशाखाना मामले में बड़ी राहत दी है.

हाईकोर्ट ने उन्हें केस में जमानत दे दी है. इसी के साथ इमरान के जेल से निकलने का रास्ता साफ हो गया है और उनकी तीन साल की सजा पर भी रोक लगा दी है.

सूत्रों के मुताबिक, पीटीआई प्रमुख को 100,000 रुपये का मुचलका जमा करने का निर्देश दिया गया है.

इस्लामाबाद की एक सत्र अदालत ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी (पीटीआई) के 70 वर्षीय अध्यक्ष इमरान खान को तोशाखाना भ्रष्टाचार मामले में पांच अगस्त को तीन साल जेल की सजा सुनाई थी.

जेल की सजा के खिलाफ पूर्व प्रधानमंत्री की अपील पर इस बहुप्रतीक्षित आदेश की घोषणा मुख्य न्यायाधीश आमिर फारूक और न्यायमूर्ति तारिक महमूद जहांगीरी की खंडपीठ ने की.

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न्यायमूर्ति फारूक ने कहा, “फैसले की प्रति जल्द ही उपलब्ध होगी… हम अब केवल यही कह रहे हैं कि (इमरान का) अनुरोध मंजूर कर लिया गया है.”

कानूनी मामलों पर पीटीआई अध्यक्ष के सहयोगी नईम हैदर पंजोथा ने भी एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में इसकी पुष्टि की.

पंजोथा ने ट्वीट किया, “सीजे ने हमारे अनुरोध को स्वीकार कर लिया है, सजा को निलंबित कर दिया है और कहा है कि विस्तृत निर्णय बाद में प्रदान किया जाएगा.”

5 अगस्त को, इस्लामाबाद की एक ट्रायल कोर्ट ने पाकिस्तान चुनाव आयोग (ईसीपी) द्वारा दायर मामले में पीटीआई प्रमुख को दोषी ठहराया था, जिसमें राज्य के उपहारों का विवरण छिपाना शामिल था और उन्हें तीन साल की जेल हुई थी. फैसले का मतलब था कि वे पांच साल के लिए आम चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य साबित कर दिए गए.

इसके बाद इमरान ने अपनी दोषसिद्धि के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर की थी. उन्होंने मामले को वापस ट्रायल कोर्ट के जज के पास भेजने के आईएचसी के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (एससी) का दरवाजा भी खटखटाया था, जिसमें उन्हें दोषी ठहराया गया था.

हालांकि, पिछले हफ्ते, SC ने इमरान की सजा में “प्रक्रियात्मक दोष” को स्वीकार किया था, लेकिन इमरान की याचिका पर IHC के फैसले का इंतजार करने का विकल्प चुना था. अदालत की टिप्पणियों ने पाकिस्तान बार काउंसिल को नाराज़ कर दिया था, जिसने कहा था कि अधीनस्थ न्यायपालिका के समक्ष लंबित मामलों में कोई “हस्तक्षेप” नहीं होना चाहिए.

एक दिन पहले ही इलेक्शन कमीशन ऑफ पाकिस्तान के वकील अमजद परवेज़ ने अपनी दलीलें पूरी कीं और अदालत से मामले में प्रतिवादी बनाने के लिए राज्य को नोटिस जारी करने का आग्रह किया. अपनी ओर से, इमरान के वकील लतीफ़ खोसा ने कहा था कि उन्हें परवेज़ की याचिका पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन उन्होंने यह भी व्यक्त किया था कि कानून द्वारा कार्रवाई की आवश्यकता नहीं थी.

कल रात एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में, पूर्व गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह ने कहा, “वह (इमरान) [जेल के] बाहर नहीं आएंगे – रिहाई संभव नहीं है, [उन्हें] अन्य मामलों में अभियोजन का सामना करना होगा.”

क्रिकेटर से नेता बने इमरान को 2018 से 2022 के बीच उनके प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान उन्हें और उनके परिवार को मिले राजकीय उपहारों को गैरकानूनी रूप से बेचने के आरोप में दोषी करार देते हुए यह सजा सुनाई गई थी.

क्या है तोशाखाना मामला

आजादी के बाद पाकिस्तान में तोशाखाना की स्थापना 1974 में की गई. इसमें विदेश दौरों पर प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, मंत्री और अधिकारियों को मिलने वाले तोहफों को रखने का प्रावधान है. नियम के मुताबिक गिफ्ट अगर तय कीमत से अधिक हो तो उसे तोशाखाना में जमा किया जाता है फिर बाद उसकी नीलामी की जाती है. लेकिन अगर कोई उस गिफ्ट को अपने पास रखना चाहता है तो उसे एक कमेटी द्वारा तय की गई निश्चित राशि चुकानी पड़ती है.

हालांकि अगर गिफ्ट ऐतिहासिक महत्व का हो तो कोई भी उसे ले नहीं सकता, और न ही उसकी नीलामी होती है, उसे तोशाखाना में ही जमा कराना होता है. 1978 के गैजेट नोटिफिकेशन के मुताबिक तोशाखाना में गिफ्ट जमा कराए जाने की अधिकतम समय सीमा 30 दिन है. भारत में भी तोशाखाना है जिसका काम विदेश मंत्रालय संभालती है.

पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पर आरोप है कि उन्होंने प्रधानमंत्री रहते हुए विदेश में मिले हुए गिफ्ट को तोशखाने से कुल 2.15 करोड़ रुपए में खरीदे और उससे उन्होंने 5.8 करोड़ रुपए कमाए. साल 2022 में पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट पार्टी ने इसपर पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में एक प्रस्ताव पास किया था. इसमें इमरान खान को प्रधानमंत्री पद के लिए अयोग्य साबित करने की मांग की गई थी.

हालांकि इमरान खान इस मामलों को लेकर आरोप झेलने वाले पहले राजनेता नहीं है. इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी, पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और यूसुफ रजा गिलानी पर भी इसमें हेरफेर के आरोप लग चुके है.


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