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Thursday, 9 May, 2024
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ईरान के राष्ट्रपति बोले- गाज़ा संकट, पश्चिम की अन्याय से भरी अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था का साफ संकेत है

पश्चिम एशिया की स्थिति पर ब्रिक्स देशों के नेताओं की वर्चुअल बैठक में अपने भाषण में रायसी ने कहा कि गाज़ा का मुद्दा मानवता और न्याय का मुद्दा है.

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तेहरान (ईरान) : इज़रायल-हमास युद्ध पर विशेष ब्रिक्स बैठक को संबोधित करते हुए, ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी ने ज़ायोनिस्ट शासन को “आपराधिक” बताते हुए इज़रायल की निंदा की और कहा कि इन दिनों जो हो रहा है वह “पश्चिम की अन्यायपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था” का साफ संकेत है.

पश्चिम एशिया की स्थिति पर ब्रिक्स देशों के नेताओं की वर्चुअल बैठक में अपने भाषण में रायसी ने कहा कि गाज़ा का मुद्दा मानवता और न्याय का मुद्दा है.

रायसी ने गाज़ा में चल रहे संकट के लिए इज़रायल को दोषी ठहराया, “ज़ायोनी शासन और उसके समर्थकों ने न केवल मानवता, नैतिकता और अधिकारों का उल्लंघन किया है, बल्कि वे वैध जानकारी को दबाकर और गलत सूचना फैलाकर दुनिया के जनमत को धोखा देने की भी कोशिश कर रहे हैं.”

इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि इज़रायल, अमेरिका के समर्थन के साथ, गाज़ा में जान-माल के नुकसान के लिए जिम्मेदार है, रायसी ने अपने वर्चुअल संबोधन के दौरान कहा, “यह न भूलें कि युद्ध की जड़ कब्जे करना जारी रखने को लेकर है. इज़रायल के गलत प्रचार के विपरीत, उनकी बर्बर कार्रवाई वैध रक्षा को लेकर नहीं है, बल्कि कब्जे के खिलाफ वैध रक्षा अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन के अनुसार होती है.”

उन्होंने कहा, “एक कब्ज़ा करने वाले शासन के रूप में, ज़ायोनी शासन ने, अमेरिका की हरी झंडी और पूर्ण समर्थन के साथ, कब्जे के शिकार लोगों के खिलाफ युद्ध की घोषणा की है और युद्ध अपराध करने में एक रिकॉर्ड स्थापित किया है. इस शासन के राजनीतिक और सैन्य नेता खुले तौर पर फ़िलिस्तीनियों के नरसंहार की बात करते हैं.”

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इज़रायल को अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए ख़तरा बताते हुए ईरानी राष्ट्रपति ने कहा, “नकली इज़रायली शासन के राष्ट्रपति ने घोषणा की है कि गाज़ा में कोई निर्दोष नागरिक नहीं हैं; इस शासन के प्रधानमंत्री कहते हैं कि ‘यहां तक कि बच्चे भी सेना के लिए वैध लक्ष्य हैं’; इस शासन की सेना के प्रवक्ता का कहना है कि ‘हमलों का लक्ष्य ज्यादा से ज्यादा विनाश है, हमलों में सटीकता या साफ सुनिश्चितता नहीं’; इसके रक्षामंत्री इन लोगों को ‘मानवरूपी जानवर’ कहते हैं; और उस नकली शासन के सांस्कृतिक विरासत मंत्री कहते हैं गाज़ा पर परमाणु हमला वहां के लोगों को नष्ट करने का सही विकल्प है.”

उन्होंने कहा, “ऐसा शासन, जो सामूहिक विनाश के सभी प्रकार के रासायनिक हथियारों और परमाणु बमों से लैस है, निश्चित रूप से क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए ख़तरा है.”

ईरानी राष्ट्रपति ने कहा, “कब्जे और आतंक व आक्रामकता के 75 साल के इतिहास के अलावा, पिछले एक साल में वेस्ट बैंक में भी कई संघर्ष हुए. इस एक साल में फिलिस्तीनी प्रतिरोध ने लगभग 200 शहादतें दीं. क्या किसी के पास वहां कोई मिसाइल थी? इस शासन का साफ लक्ष्य वेस्ट बैंक का खात्मा और उनकी आबादी को जॉर्डन और मिस्र में स्थानांतरित कर उस पर अपना कब्ज़ा करना था. वास्तव में, हमास ने नोबल कुद्स और वेस्ट बैंक की रक्षा और अल-अक्सा मस्जिद को दूषित या अपवित्र करने और ज़ायोनीवादियों की बस्तियों और विस्तारवाद के खिलाफ काम किया था.”

रायसी ने आगे, जारी इज़रायल-हमास युद्ध के बीच ब्रिक्स देशों से ज़ायोनी शासन के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक बाध्यकारी प्रस्ताव अपनाने का आह्वान किया.

उन्होंने कहा, ”शांति और सुरक्षा स्थापित करने के अपने मिशन को लागू करने में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की असमर्थता और युद्धविराम के लिए बाध्यकारी प्रस्ताव जारी करने में अमेरिका की बाधा को देखते हुए ब्रिक्स सदस्य देशों के लिए यह जरूरी है कि वे गाजा के लोगों के खिलाफ अपराधों को रोकने के उद्देश्य से ‘यूनियन फॉर पीस’ तंत्र के ढांचे में ज़ायोनी शासन के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक बाध्यकारी प्रस्ताव अपनाएं.”

रायसी ने कहा, “अस्पतालों और चिकित्सा केंद्रों, धार्मिक स्थलों पर ज़ायोनी शासन के लगातार हमले, गाज़ा में महिलाओं और बच्चों, डॉक्टरों, नर्सों और पत्रकारों की हत्या सभी आतंकवाद के कृत्य हैं. उस नकली शासन को आतंकवादी शासन के तौर पर पहचानना जरूरी है और इसकी सेना एक आतंकवादी संगठन है.”

सिंगल फ़िलिस्तीनी राज्य के गठन के अपने आह्वान को दोहराते हुए, रायसी ने आगे कहा कि फ़िलिस्तीनी लोगों को अपनी रक्षा करने के अधिकार और कब्जे वाले क्षेत्रों को मुक्त कराने के उनके संघर्ष को सभी सरकारों और स्वतंत्र राष्ट्रों द्वारा समर्थन प्राप्त है.

उन्होंने कहा, “इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान का मानना है कि अंतिम समाधान जो पश्चिम एशिया और दुनिया में स्थायी शांति और स्थिरता लाएगा, वह है “प्रत्येक फ़िलिस्तीनी, एक वोट” के लोकतांत्रिक सिद्धांत के आधार पर जनमत संग्रह कराने के बाद एक सिंगल फ़िलिस्तीनी देश का गठन. शांति को लेकर पिछली असफल योजनाओं के रास्ते पर चलने से केवल युद्ध और असुरक्षा की पुनरावृत्ति होगी.”

रायसी ने कहा, “अमेरिका और ज़ायोनी शासन को यह भी पता होना चाहिए कि वे राष्ट्रों की इच्छा के विरुद्ध खड़े नहीं हो सकते हैं और कब्जे व नरसंहार की नई अंतरराष्ट्रीय न्याय व्यवस्था में कोई जगह नहीं होगी.”

ब्रिक्स देशों- ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका- नये शामिल हुए सदस्य देशों के नेता अपने समकक्षों के साथ इस वर्चुअल बैठक में शामिल हुए.

वेस्ट बैंक में फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय, जो गाज़ा में हमास द्वारा संचालित स्वास्थ्य अधिकारियों से अपना डेटा लेता है, के आंकड़ों के अनुसार, 7 अक्टूबर से कम से कम 12,700 फिलिस्तीनी मारे गए हैं. इज़रायल में, हमास के हमलों से मरने वालों की आधिकारिक संख्या लगभग 1,200 है.


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