कोलंबो, 14 फरवरी (भाषा) एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच सहित आठ अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने देश में मानवाधिकार की स्थिति को लेकर यूरोपीय संसद के समक्ष एक प्रमुख कार्यकर्ता की गवाही पर श्रीलंका सरकार की प्रतिक्रिया की निंदा की है। उन्होंने इसे ‘उत्पीड़न और धमकाने’ की कार्रवाई करार दिया है।
श्रीलंका के विदेश मंत्रालय ने चार फरवरी को मानवाधिकार वकील और कार्यकर्ता अंबिका सतकुनाथन द्वारा यूरोपीय संसद में 27 जनवरी को दी गई गवाही की निंदा करते हुए इसे ‘भ्रामक’ बताया था।
सतकुनाथन ने श्रीलंका में मानवाधिकारों की स्थिति के अलावा नागरिकों के प्रति राष्ट्र के राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय दायित्वों के निर्वहन को लेकर अहम मूल्यांकन करते हुए यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के सामने कुछ सिफारिशें पेश की थीं।
एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच सहित अन्य मानवाधिकार संगठनों के समूह द्वारा जारी संयुक्त बयान में कहा गया है, ‘‘सरकारी बयान स्पष्ट रूप से उत्पीड़न और डराने-धमकाने की कोशिश है। हम मानवाधिकार के रक्षकों को डराने की श्रीलंका सरकार की रणनीति की निंदा करते हैं। साथ ही सतकुनाथन, जो मानवाधिकारों की एक प्रसिद्ध, सम्मानित और बहादुर रक्षक हैं, उनके साथ अपनी पूरी एकजुटता जताते हैं।’’
बयान में कहा गया है कि श्रीलंका में मानवाधिकारों की स्थिति के बारे में यूरोपीय संसद में सटीक गवाही देने के लिए उन्हें निशाना बनाना पूरी तरह से अस्वीकार्य है और यह श्रीलंका के सभी नागरिक संस्थाओं को कड़ा संदेश देता है, खासतौर पर उत्तर और पूर्व में सक्रिय समूहों को, जो मौजूदा प्रशासन में पहले से ही काफी दबाव में काम कर रहे हैं।
भाषा पारुल दिलीप
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