वाशिंगटन: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सहायक और भारतीय-अमेरिकी काश पटेल ने कहा कि मौजूद राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन में अमेरिका और भारत के संबंध कमजोर हुए हैं.
पटेल पूर्ववर्ती ट्रंप प्रशासन के आखिरी कुछ सप्ताह में अमेरिका के कार्यवाहक रक्षा मंत्री के चीफ ऑफ स्टाफ रह चुके हैं.
पटेल ने एक साक्षात्कार में ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 2024 में फिर से चुनाव लड़ने की अच्छी-खासी संभावना है. उन्होंने कहा कि बाइडन प्रशासन के तहत द्विपक्षीय संबंध बिगड़े हैं.
पेंटागन के पूर्व चीफ ऑफ स्टाफ सितंबर 2019 और फरवरी 2020 में ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ह्यूस्टन और अहमदाबाद की रैलियों में भाग ले चुके हैं.
पटेल ने कहा, ‘‘संबंध कमजोर हुए हैं. राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी के असाधारण संबंध रहे है और वे चीन के आक्रामक रुख, न केवल भारतीय सीमा बल्कि वैश्विक स्तर पर, जैसी चीजों से निपटने के लिए एक साथ मिलकर काम कर रहे थे. वे आतंकवाद रोधी मामलों और बंधक जैसी स्थितियों में पाकिस्तान पर भी एक साथ मिलकर काम कर रहे थे.’’
अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना की वापसी से स्थिति बिगड़ने पर उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि अमेरिका के पास 18 महीनों में जमीन पर अपनी सेना भेजने के अलावा और कोई विकल्प नहीं होगा.
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में स्थिति अब खराब हो गयी है. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि दुर्भाग्यपूर्ण रूप से पुरानी ताकतें अफगानिस्तान में लौटेगी, संभवत: तकरीबन 18 महीनों में या उसके बाद. मुझे लगता है कि आईएसआईएस और अल-कायदा तथा तालिबान का आतंक बढ़ा है. यह सुरक्षा के लिहाज से न केवल अमेरिका के लिए बल्कि विश्व के लिए भी अच्छी बात नहीं है.’’
पटेल ने कहा कि यूक्रेन संकट के बीच फंसे अमेरिका को मजबूत नेतृत्व की आवश्यकता है, जिसमें राष्ट्रपति जो बाइडन बुरी तरह नाकाम रहे हैं.
उन्होंने कहा कि रिपब्लिकन पार्टी के ट्रंप को दृढ़ता से यह लगता है कि देश को नेतृत्व में बदलाव की आवश्यकता है और नेतृत्व मजबूत होना चाहिए.
भारतीय-अमेरिकी पटेल ने कहा कि चीन का उदय वैसा ही है जैसा कि विश्व स्तर पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन व्यवहार कर रहे हैं. पुतिन यूक्रेन में कर रहे हैं और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ऐसा ही ताइवान में कर रहे हैं.
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