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सोमवार, 2 जून, 2025
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आतंकवाद से निपटने पर भारत की रणनीति को दक्षिण अफ्रीका में व्यापक समर्थन मिला: प्रतिनिधिमंडल

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(फोटो सहित)

(फाकिर हसन)

जोहानिसबर्ग, 30 मई (भाषा) पहलगाम हमले के बाद आतंकवाद से निपटने के लिए भारत की सुरक्षा रणनीति को दक्षिण अफ्रीका के सभी दलों के नेताओं के साथ-साथ नागरिक समाज से भी व्यापक समर्थन मिला है। भारत के एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने यह जानकारी दी।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) सांसद सुप्रिया सुले के नेतृत्व में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से निपटने पर भारत का रुख सामने रखने के लिए 27-29 मई तक दक्षिण अफ्रीका की यात्रा पर था, जहां उसने सत्तारूढ़ गठबंधन के घटक अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस (एएनसी) के नेताओं से मुलाकात की।

देश भर में तीन दिन की बैठकों के बाद बृहस्पतिवार को यहां एक प्रेस वार्ता में सुले ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने केपटाउन में कई संसदीय समितियों के साथ-साथ जोहानिसबर्ग में वरिष्ठ मंत्रियों और अन्य पार्टी नेताओं से मुलाकात की।

सुले ने कहा, ‘‘यह बहुत ही सार्थक बातचीत थी और वे सभी इस बात पर सहमत थे कि वे दुनिया में कहीं भी किसी भी प्रकार के आतंकवाद के प्रति शून्य सहनशीलता के भारत के लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्ध हैं।’’

सुले के अलावा, प्रतिनिधिमंडल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता राजीव प्रताप रूडी, अनुराग ठाकुर और वी मुरलीधरन, कांग्रेस नेता मनीष तिवारी और आनंद शर्मा, तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) नेता लावु श्री कृष्ण देवरायलू, आम आदमी पार्टी (आप) के नेता विक्रमजीत सिंह साहनी और पूर्व राजनयिक सैयद अकबरुद्दीन शामिल हैं।

मुरलीधरन ने कहा, ‘‘हमें यह बहुत उत्साहजनक लगा। उनके भी यही विचार हैं। जिनसे भी हमने बात की, उनमें से कई ने भारतीय लोगों और समाज के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की। चर्चाओं के दौरान एक व्यापक राय और आम सहमति उभरी कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सभी तरह के आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होना चाहिए।’’

ठाकुर ने कहा कि दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में गए अन्य बहुदलीय प्रतिनिधिमंडलों को भी इसी तरह का समर्थन मिला है। ठाकुर ने कहा, ‘‘हमने जो भी रिपोर्ट देखी है, जहां भी अन्य प्रतिनिधिमंडल गए हैं, आतंकवाद के मुद्दे पर अधिकांश लोग इसके पक्ष में आए हैं, क्योंकि यह न केवल भारत के लिए बल्कि दुनिया के लिए भी खतरा है।’’

क्या पाकिस्तान के बातचीत के सुझाव पर भारत सहमत है, इस सवाल पर रूडी ने कहा कि इसके लिए ठोस शर्तें हैं। रूडी ने कहा, ‘‘जब तक वे आतंक पर पूरी तरह से लगाम नहीं लगा लेते और उसे खत्म नहीं कर देते, तब तक बातचीत का कोई सवाल ही नहीं उठता। हमने पहले ही कई कदम उठाए हैं और यह तब तक जारी रहेगा जब तक हमें उनमें संवेदनशीलता की झलक नहीं मिलती।’’

तिवारी ने कहा कि भारत किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने कहा, ‘‘चार दशक पहले, जब भारत और पाकिस्तान ने इसी तरह का समझौता किया था, तो यह बिल्कुल स्पष्ट कर दिया गया था कि भारत और पाकिस्तान के बीच जो भी बातचीत होनी है, अगर होनी है तो वह द्विपक्षीय मंच पर ही होगी।’’

भारत सभी देशों के साथ एक बार में ही अपना संदेश साझा करने के लिए संयुक्त राष्ट्र क्यों नहीं गया, इस सवाल पर अकबरुद्दीन ने कहा, ‘‘पिछली सदी में गठित संयुक्त राष्ट्र के पास आतंकवाद से निपटने के लिए उस तरह का दृष्टिकोण नहीं है, जैसा कि हम अब सामना कर रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि भारत ने आतंकवादियों से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र की एक उपसमिति को जानकारी दी है।

अकबरुद्दीन ने कहा कि भारत ने पाकिस्तान के साथ संबंधों के मामले में अपने सिद्धांत में बदलाव किया है। उन्होंने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि हर कोई यह जान ले कि आगे चलकर हमारे दृष्टिकोण में बदलाव होने जा रहा है। यह निवारक कूटनीति का एक रूप है। हम नहीं चाहते कि भारत में फिर से कुछ होने पर आपको आश्चर्य हो और हमारी प्रतिक्रिया वैसी ही होगी जैसा हमने बताया है।’’

दक्षिण अफ्रीका से पहले कतर का दौरा करने वाला यह प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को अपने अगले पड़ाव पर इथियोपिया के लिए रवाना हुआ जिसके बाद वह मिस्र जाएगा।

भाषा आशीष नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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