न्यूयार्क, 26 जनवरी (भाषा) विश्वभर में फैले भारतीयों और कई देशों के नागरिकों ने, संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) का विरोध करने पर आतंक रोधी कानून के तहत आरोपी बनाए गए 18 छात्रों और कार्यकर्ताओं के विरुद्ध दर्ज सभी मामले वापस लेने की मांग की है।
विश्व के कई क्षेत्रों से आने वाले लोगों ने गणतंत्र दिवस पर जारी एक बयान में कहा कि उनका मानना है कि ‘दिल्ली 18’ को सीएए का लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करने पर निशाना बनाया जा रहा है। आरोपी छात्रों और कार्यकर्ताओं को बयान में ‘दिल्ली 18’ के नाम से संबोधित किया गया है और उन पर से तत्काल तथा बिना शर्त आरोप वापस लेने की मांग की गई है।
‘दिल्ली 18’ में शरजील इमाम, इशरत जहां, खालिद सैफी, ताहिर हुसैन, सलीम मलिक, मोहम्मद सलीम खान, मीरन हैदर, शादाब अहमद, गुलफिशा फातिमा, तस्लीम अहमद, शिफा उर रहमान, अतहर खान, उमर खालिद, सफूरा जरगर, मोहम्मद फैजान खान, आसिफ इकबाल तनहा, नताशा नरवाल और देवांगना कालिता शामिल हैं। इनमें से 13 मुस्लिम हैं और पिछले एक साल से जेल में हैं।
ऑस्ट्रेलिया की संसद के सदस्य डेविड शूब्रिज ने कहा, “आज भारत के गणतंत्र दिवस के अवसर पर, नेताओं और दुनियाभर में मानवाधिकारों से संबंधित लोगों के साथ मैं 18 बहादुर छात्रों और कार्यकर्ताओं पर आरोप लगाए जाने के विरुद्ध आवाज उठाता हूं। उन्हें भारतीय सत्ता द्वारा गलत तरीके आतंकवादी बताया जा रहा है।” एमनेस्टी इंटरनेशनल के ‘इंडिया कंट्री स्पेशलिस्ट’ गोविन्द आचार्य ने छात्रों और कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी को “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर आघात” करार दिया और उन्हें तत्काल रिहा करने की मांग की।
दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, नीदरलैंड्स और न्यूजीलैंड में रहने वाले भारतीयों के प्रतिनिधियों ने भी “दिल्ली 18 को अन्यायपूर्ण तरीके से आरोपी बनाए जाने” की निंदा की है।
बयान पर हस्ताक्षर करने वालों में ‘हिंदूज फॉर ह्यूमन राइट्स’ (अमेरिका), ‘इंटरनेशनल कॉउंसिल ऑफ इंडियन मुस्लिम्स, वर्ल्डवाइड’, ‘दलित सोलिडेरिटी फोरम’ (अमेरिका) आदि संगठनों से जुड़े लोग शामिल हैं।
भाषा यश उमा
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