नई दिल्ली: चीनी विश्वविद्यालयों में पंजीकृत भारतीय छात्र जिन्हें 2020 के बाद से महामारी के कारण उस देश में वापस नहीं जाने दिया गया है, आख़िरकार अपने कोर्स पूरे करने के लिए वहां लौट सकते हैं, लेकिन ये तभी होगा जब बीजिंग उन्हें ‘आवश्यकता-आंकलन के आधार’ पर अनुमति देगा.
निर्णय से एक महीना पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ दिल्ली में हुई बैठक में इस विषय को उठाया था और भारत सरकार ने चीन में कोविड की बिगड़ती स्थिति के मद्देनज़र चीनी पर्यटकों को वीज़ा जारी करना भी बंद कर दिया है.
विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीन ने ‘आवश्यकता-आंकलन के आधार’ पर भारतीय छात्रों की चीन वापसी को सुगम बनाने पर विचार करने की इच्छा व्यक्त की है.’
सरकार ने 8 मई की तिथि निर्धारित की है, जिसके भीतर चीन वापस जाने के इच्छुक छात्रों को एक फॉर्म भरकर अपना विवरण भेजना होगा, जिसे चीन में भारतीय दूतावास ने अपनी वेबसाइट पर साझा किया है. इस फॉर्म को फिर संबंधित चीनी अधिकारियों के साथ साझा किया जाएगा.
शुक्रवार को बीजिंग में भारतीय दूतावास ने कहा, ‘एकत्र की गई जानकारी को चीनी पक्ष के साथ साझा करने के बाद, सूची को सत्यापित करने के लिए वो संबंधित चीनी विभागों के साथ परामर्श करेंगे, और संकेत देंगे कि क्या पहचाने गए छात्र कोर्स पूरा करने के लिए चीन जा सकते हैं.’
उसने आगे कहा, ‘चीनी पक्ष ने ये भी कहा है कि पात्र छात्रों को बिना शर्त कोविड-19 रोकथाम उपायों का पालन करना होगा, और कोविड-19 रोकथाम उपायों से जुड़े सभी ख़र्चों को वहन करने की सहमति देनी होगी’.
विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधर ने पिछले महीने राज्यसभा में कहा था, कि महामारी आने से पहले 20,000 भारतीय छात्रों ने विभिन्न चीनी विश्वविद्यालयों में अलग-अलग कोर्सेज़ में दाख़िला लिया हुआ था, जिनमें क्लीनिकल मेडिसिन भी शामिल है.
कोविड लॉकडाउन के चलते इन छात्रों को अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए चीन लौटने की अनुमति नहीं थी और उनके वीज़ा स्थगित कर दिए गए थे. ये मामला वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैन्य गतिरोध के कारण, दोनों देशों के बीच बढ़ती कटुता की वजह से भी और ज़्यादा बढ़ गया था.
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दिल्ली ने बीजिंग पर ‘ग़ैर-भेदभावपूर्ण दृष्टिकोण’ के लिए दबाव बनाया
वांग यी के भारत दौरे के दौरान जयशंकर ने उनके साथ ‘चीन में पढ़ रहे भारतीय छात्रों के कठिन हालात पर चर्चा की, जिन्हें कोविड प्रतिबंधों का हवाला देकर लौटने की अनुमति नहीं मिली है.’
दिल्ली ने बीजिंग पर ‘ग़ैर-भेदभावपूर्ण दृष्टिकोण’ के लिए दबाव बनाया, चूंकि ये मामला युवा लोगों के ‘भविष्य’ से जुड़ा है.
अपने चीनी समकक्ष से मुलाक़ात के बाद जयशंकर ने मीडिया से कहा था, ‘मंत्री वांग यी ने मुझे आश्वस्त किया कि वापस जाने के बाद वो संबंधित प्राधिकारियों के साथ इस विषय पर बात करेंगे. उन्होंने इस कठिन स्थिति में मेडिकल छात्रों की विशेष चिंताओं को भी स्वीकार किया.’
फिलहाल, भारत चीनी पर्यटकों को भारत आने की अनुमति नहीं दे रहा है.
बृहस्पतिवार को विदेश मंत्रालय प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, ‘आप जानते हैं कि शायद नवंबर 2020 के बाद से, चीन ने ख़ुद भारतीयों को बहुत प्रकार के वीज़ा देना स्थगित किया हुआ है. इसलिए मैं इसपर अब और कुछ नहीं कहूंगा. मैं नहीं समझता कि चीन के साथ पर्यटन वीज़ा बहाली पर चर्चा के लिए ये बहुत उपयुक्त समय है, अन्य वीज़ा जारी किए जा रहे हैं.’
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