(अदिति खन्ना)
लंदन, 23 मई (भाषा) ब्रिटेन की सख्त वीजा और आव्रजन नीतियों का प्रभाव बृहस्पतिवार को जारी देश के नवीनतम प्रवासन आंकड़ों में दिखाई दिया जहां कुल प्रवासन में गिरावट दर्ज की गयी, वहीं पिछले वर्ष देश छोड़ने वाले विदेशियों के सबसे बड़े समूह में भारतीय छात्र और श्रमिक शामिल हैं।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (ओएनएस) के 2024 के विश्लेषण के अनुसार, अध्ययन के उद्देश्य से आए लगभग 37,000 भारतीय, कामकाजी कारण से आए 18,000 लोग और अन्य अनिर्दिष्ट कारणों से आए 3,000 लोग प्रवासन की प्रवृत्ति में सबसे आगे हैं, इसके बाद चीनी छात्र और श्रमिक (45,000) हैं।
नाइजीरियाई (16,000), पाकिस्तानी (12,000) और अमेरिकी (8,000) लोग भी शीर्ष पांच आव्रजन नागरिकता वाले लोगों में शामिल हैं और परिणामस्वरूप पिछले वर्ष कुल शुद्ध प्रवासन में 4,31,000 की गिरावट आई, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग आधी है।
ब्रिटेन के गृह विभाग के आंकड़ों के आधार पर ओएनएस विश्लेषण में कहा गया है, ‘‘आव्रजन करने वाले लोगों में, भारतीय सबसे आम थे।’’
ओएनएस में जनसंख्या सांख्यिकी की निदेशक मैरी ग्रेगरी ने कहा कि यह गिरावट मुख्य रूप से ब्रिटेन में काम करने और अध्ययन करने के लिए आने वाले लोगों, विशेष रूप से छात्र आश्रितों की संख्या में कमी के कारण है।
उन्होंने कहा, ‘‘दिसंबर 2024 तक 12 महीनों में भी आव्रजन में वृद्धि हुई है, विशेष रूप से वे लोग जा रहे हैं जो मूल रूप से उस समय अध्ययन वीजा पर आए थे, जब महामारी के कारण ब्रिटेन में यात्रा प्रतिबंधों में ढील दी गई थी।’’
ब्रिटेन सरकार ने सकल आव्रजन में गिरावट की सराहना की। यह एक ऐसा मुद्दा है जो बढ़ते आंकड़ों और हाल के चुनावों में धुर दक्षिणपंथी आव्रजन विरोधी लेबर पार्टी द्वारा काफी लाभ प्राप्त करने के बीच राजनीतिक एजेंडे पर हावी रहा है।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री केअर स्टॉर्मर ने सोशल मीडिया पर एक बयान में कहा, ‘‘कंजर्वेटिव पार्टी के समय शुद्ध आव्रजन लगभग 10 लाख तक पहुंच गया, जो बर्मिंघम की आबादी के बराबर है। मुझे पता है कि आप इस बात से नाराज हैं, और मैंने आपसे वादा किया था कि मैं इसे बदल दूंगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आज के आंकड़े बताते हैं कि हमने पिछले साल शुद्ध आव्रजन को लगभग आधा कर दिया है।’’
भाषा वैभव मनीषा
मनीषा
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