कोलंबोः श्रीलंका में भारत के उच्चायुक्त ने शुक्रवार को वहां पर भारतीय सेना को तैनात किए जाने की खबरों को गलत कहा हैं. इन्होंने कहा कि 1 अप्रैल से ही इस तरह की अफवाहें चारों तरफ फैली हुई हैं. उन्होंने कहा कि यह सारी बातें आधारहीन हैं और इसे फैलाना नहीं चाहिए.
बता दें कि श्रीलंका इस वक्त भारी आर्थिक संकट से गुजर रहा है. वहां ईंधन और खाने-पीने के सामान की भारी कमी है. कोविड 19 की शुरुआत से ही वहां की अर्थव्यवस्था में लगातार गिरावट हो रही है.
इसके अलावा श्रीलंका फॉरेन एक्सचेंज की शॉर्टेज से भी जूझ रहा है जिसकी वजह से खाने-पीने की चीजों और ईंधन को खरीदने में भी समस्या आ रही है. इस कमी की वजह से श्रीलंका को अपने पड़ोसी देशों से सहायता मांगनी पड़ी.
बागले ने कहा, ‘श्रीलंका को भारत द्वारा दी जाने वाली सहायता काफी महत्त्वपूर्ण है. ऐसे महत्त्वपूर्ण समय में हमने अपने प्रयासों को काफी बढ़ा दिया है और अपने करीबी मित्र की सहायता करने के लिए आगे आए हैं. श्रीलंका भारत का सबसे नजदीकी समुद्री मित्र है और भारत की वसुधैव कुटुंबकम, नेबहुड फर्स्ट पॉलिसी और सागर का सिद्धांत जैसी नीतियों में प्राथमिकता वाला देश है.
भारत की सीमा अफगानिस्तान, भूटान, बांग्लादेश, मालदीव, पाकिस्तान, नेपाल औऱ श्रीलंका से मिलती है. भारत की अपने पड़ोसियों के साथ शांति और सहयोग की नीति है. नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी के तहत भारत का अपने पड़ोसी देशों के साथ व्यापार, कनेक्टिविटी और पीपल-टू-पीपल कॉन्टैक्ट में प्राथमिकता देना है.
इस बीच, सागर यानी सिक्युरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीजन के तहत भारत अपने समुद्री पड़ोसियों के साथ आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने और मैरीटाइम सिक्युरिटी क्षमता की सहायता करने की कोशिश करता है.
उनहोंने कहा कि दोनों की सभ्यताओं में काफी समानता है. कोविड महामारी का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जब भारत में कोविड का पीक चल रहा था तो श्रीलंका में लोग प्रार्थनाएं कर रहे थे और जब श्रीलंका में कोविड से लोगो पीड़ित थे तब भारत ने दवाइयों और अन्य जरूरी सामानों से उनकी सहायता की थी.
बागले ने कहा, ‘हमने श्रीलंका को 18.5 हजार करोड़ की सहायता औऱ चावल भेजा है. इसके अलावा श्रीलंका में इन्फ्रास्ट्रक्चर में भी निवेश किया जाएगा.’
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