(योषिता सिंह)
वाशिंगटन, चार जून (भाषा) कांग्रेस नेता शशि थरूर के नेतृत्व में एक सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल अमेरिकी सांसदों, अधिकारियों, विभिन्न ‘थिंक टैंक’ के सदस्यों एवं नीतिगत मामलों के विशेषज्ञों से मुलाकात करेगा और उन्हें ‘ऑपरेशन सिंदूर’, भारत के सामने मौजूद आतंकवाद की चुनौती और क्षेत्रीय सुरक्षा संबंधी स्थिति की जानकारी देगा।
यह प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को अमेरिका की राजधानी पहुंचा और बृहस्पतिवार तक यहां रहेगा।
यह सर्वदलीय समूह अमेरिकी सांसदों, अमेरिकी ‘थिंक टैंक’ के सदस्यों और मीडियाकर्मियों के साथ बातचीत करेगा।
विदेश मामलों की संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष थरूर इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं। इस प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों में सरफराज अहमद (झारखंड मुक्ति मोर्चा), जी हरीश बालयोगी (तेलुगु देशम पार्टी), शशांक मणि त्रिपाठी (भारतीय जनता पार्टी), भुवनेश्वर कालिता (भारतीय जनता पार्टी), मिलिंद देवरा (शिवसेना), तेजस्वी सूर्या (भारतीय जनता पार्टी) और अमेरिका में भारत के पूर्व राजदूत तरनजीत संधू शामिल हैं।
यहां भारतीय दूतावास ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘डॉ. शशि थरूर के नेतृत्व में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल वाशिंगटन डीसी पहुंचा है। प्रतिनिधिमंडल अगले दो दिन में अमेरिकी संसद और प्रशासन के सदस्यों, थिंक टैंक, मीडिया और नीति निर्माताओं से मुलाकात करेगा तथा उन्हें ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और आतंकवाद के खिलाफ भारत के मजबूत रुख के बारे में जानकारी देगा।’’
प्रतिनिधिमंडल आतंकवाद के विरुद्ध भारत के संकल्प से अमेरिका को अवगत कराएगा तथा आतंकवाद के साथ पाकिस्तान के संबंधों पर जोर देगा।
मिलिंद देवरा ने ‘पीटीआई’ से कहा कि अमेरिका में मौजूद प्रतिनिधिमंडल और दुनिया के अन्य क्षेत्रों और देशों का दौरा कर रहे ऐसे सर्वदलीय समूह दुनिया को बता रहे हैं कि ‘‘भारत काफी सह चुका है।’’
उन्होंने कहा कि अब तक उन्होंने जिन भी देशों का दौरा किया है, लगभग उन सभी ने ‘‘भारत के पक्ष में बहुत ही स्पष्ट और बिना शर्त वाले बयान जारी किए हैं।’’
देवरा ने कहा कि जिस तरह अमेरिका जैसे देशों के पास खुद की रक्षा करने और आतंकवादियों को खत्म करने का पूरा अधिकार है, उसी तरह ‘‘भारत को भी यही अधिकार है। भारत के विकास के लिए, भारत की अर्थव्यवस्था के फलने-फूलने के लिए, भारत में अमेरिकी निवेश को जारी रखने के लिए भारत में शांति की आवश्यकता है। भारत को मजबूत सीमाओं की आवश्यकता है। भारत को सुरक्षा की आवश्यकता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम शांति से रहना चाहते हैं। हम चाहेंगे कि हमारे पड़ोसी देशों में स्थिरता हो। कोई भी नहीं चाहता कि उसके बगल में एक अस्थिर सनकी रहे।’’
प्रतिनिधिमंडल के एक अन्य सदस्य सूर्या ने ‘पीटीआई’ से कहा कि पाकिस्तान की ओर से शुरू हुए आतंकवाद के प्रति कोई रत्ती भर सहानुभूति नहीं रखता।
उन्होंने कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने जिन देशों का दौरा किया, उन्हें ‘‘यह बात बहुत स्पष्ट रूप से समझ आ गई है कि भारत को सैन्य तरीके से जवाब देने के लिए क्यों बाध्य होना पड़ा और उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ उठाए गए भारत के कदमों का समर्थन किया है।’’
भारतीय प्रतिनिधिमंडल बुधवार को जब यहां अपनी बैठकें शुरू करेगा, उसी दिन पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष एवं पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी के नेतृत्व में पाकिस्तान का एक संसदीय प्रतिनिधिमंडल भी वाशिंगटन डीसी पहुंचने वाला है।
जरदारी ने न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में पत्रकारों से कहा कि वह अमेरिका की राजधानी में अमेरिका सरकार के प्रतिनिधियों और सांसदों से मुलाकात करेंगे। जरदारी ने अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस से मुलाकात की।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल के वाशिंगटन पहुंचने वाले दिन ही पाकिस्तानी सांसदों के भी पहुंचने को लेकर देवरा ने कहा, ‘‘अमेरिका में किसी के भी मन में इस बात को लेकर संदेह नहीं है कि पाकिस्तान एक ‘बनाना रिपब्लिक’ (राजनीतिक रूप से अस्थिर देश) है, यह एक असफल देश है, यह आतंकवाद का निर्यातक है, यह एक ऐसा देश है जहां असैन्य सरकार के पास कोई शक्ति नहीं है और सेना सत्ता को नियंत्रित करती है, इसलिए मुझे नहीं लगता कि भारत के लिए यह मायने रखता है कि पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल भारत की नकल करने की कोशिश कर रहा है।’’
सूर्या ने भी कहा कि यह ‘‘पहली बार नहीं था कि पाकिस्तानियों ने भारत की नकल करने की कोशिश की, बल्कि वे एक सस्ती प्रति बन जाते हैं।’’
उन्होंने कहा कि दुनिया ने लंबे समय से देखा है कि भारत क्या चाहता है और पाकिस्तान क्या चाहता है।
सूर्या ने कहा कि भारत में निवेश करने को लोकतंत्र, जिम्मेदार असैन्य नेतृत्व और वैश्विक प्रगति में निवेश के रूप में देखा जाता है, जबकि दूसरी ओर पिछले 20-30 साल में दुनिया को दहला देने वाले हर आतंकवादी हमले की जांच प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पाकिस्तान से जुड़ी रही है।
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा सूचीबद्ध 50 से अधिक आतंकवादियों की पनाहगाह पाकिस्तान में हैं।
सूर्या ने कहा, ‘‘इसलिए पाकिस्तान जैसे देश के विमर्श को सूट पहनकर अंग्रेजी बोलने वाले उसके पूर्व विदेश मंत्री बदल नहीं सकते। पाकिस्तान के हाथ खून से इतनी बुरी तरह सने हैं कि रात भर की इस नौटंकी से उन्हें धोया नहीं जा सकता।’’
भाषा सिम्मी वैभव
वैभव
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