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Thursday, 18 April, 2024
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भारतीय सेना ने चीन पर केंद्रित माउंटेन स्ट्राइक कॉर्प्स को डाला ठन्डे बस्ते में

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नए रंगरूटों  की बहालियां रोकने का यह झटपट लिया गया फैसला आर्थिक मजबूरियों को ध्यान में रखकर लिया गया  है।

नयी दिल्ली : दिप्रिंट से बातचीत के दौरान एक आधिकारिक सूत्र ने बताया की भारतीय सेना ने चीन से सम्बंधित माउंटेन स्ट्राइक कोर की सारी  बहालियां आर्थिक फिलहाल स्थगित कर दी हैं।

इस फैसले के बाद यह कोर प्रभावकारी रूप से ठन्डे बस्ते में  दाल दी गयी है।

यह फैसला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्यॉरिटी (CCS) ने पांच साल पहले ही व्यावहारिक रूप से एक पूर्णतया नयी फ़ौज के प्रस्ताव का अनुमोदन किया था। 90 ,000 सिपाहियों की इस फ़ौज के लिए कैबिनेट ने 60  हज़ार करोड़ रूपये स्वीकृत किये थे।

हालाँकि इस वर्ष अप्रैल महीने के अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग ने वुहान में एक अनाधिकारिक शिखर सम्मलेन में शिरकत की और फैसला लिया की दोनों देश मिलकर सीमान्त विवादों को तो सुलझाएंगे ही, साथ ही आपसी भरोसा बढ़ने की दिशा में भी काम करेंगे।

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हालाँकि एक अधिकारी का कहना है कि नए रंगरूटों की बहालियां रोकने का यह झटपट लिया गया फैसला आर्थिक मजबूरियों को ध्यान में रखकर लिया गया  है.

आगे बात करते हुए वे कहते हैं – “हमारा  अगला बड़ा कदम संसाधनों  के सम्यक प्रयोग को सुनिश्चित करना है। “ऑप्टिमाइज़ेशन ”  एक ऐसा शब्द है जो आनेवाले समय में आप हर जगह सुनेंगे।  नए  सिपाही बहाल करने का कोई मतलब नहीं रह जाता अगर हम उन्हें बंन्दूकें न दे पायें।”

सी सी इस ने इस कोर के गठन का अनुमोदन वर्ष 2013  में ही कर दिया था  जब ए के ऐन्टनी मनमोहन सिंह की कैबिनेट में रक्षा मंत्री थे। इस योजना पर कई वर्षों से काम होता चला आया है.

एक अधिकारी ने दि प्रिंट से बातचीत के दौरान एक ऐसा नजरिया दिया जिससे नयी बहालियों के तर्काधार/ तरीके पर सवाल उठते हैं.

उनका कहना है कि ऑफिसर कैडर का  एक गुप्त दल / गुट चाहता है कि एम एस सी का गठन हो। ऐसा होने की स्थिति में  ब्रिगेडियर, मेजर जेनरल एवं लेफ्टिनेंट जेनरल जैसे बड़े पदों की संख्या में बढ़ोतरी होगी।  इस तर्क की मानें तो सेना के अफसरों ने अपने कैरियर को सेना की कार्यप्रणाली से ज़्यादा तरजीह दी है।

माउंटेन स्ट्राइक कोर (17 कोर ) का मुख्यालय रांची में है।  इसके आलावा इस कोर के अन्य संभाग पानगढ, पश्चिम बंगाल  (59 माउंटेन ) एवं पठानकोट , पंजाब (72 माउंटेन ) में हैं. इस कोर के लिए तीस बिलकुल नयी,  पैदल माउंटेन बटालियनों का गठन होना तय  हुआ था।

विमानन, तोपखाने, एवं  बख्तरबंद ब्रिगेडों  को भी इस कोर  में एकीकृत किया जाना था।  इसके अलावा  कोर को  विशेष हाई एलटीचूड दस्ते भी मिलने थे।

अनुकूलन पर ज़ोर 

नयी बहालियां रोकने का सेना मुख्यालय द्वारा  लिए गए इस फैसले के समानांतर  एक शोध भी चल रहा (शिमला स्थित  सेना प्रशिक्षण कमांड या ARTRAC)  है जिसकी कमान लेफ्टिनेंट जनरल एम एम नरवणे को सौंपी गयी है।

नरवणे को इस वर्ष के अंत तक रिपोर्ट सौंपनी हैं जिसमें उन्हें ऐसे रास्ते सुझाने होंगे जिनसे सैनिकों एवं संसाधनों का बेहतर उपयोग बिन खर्चे में बढ़ोतरी के हो सके।

पहला सवाल तो यह कि क्या सेना को अपने सारे केंद्रों पर सालाना बहाली करने की ज़रुरत है ? भारतीय सेना में करीब 13 लाख सिपाही है जिनमें से करीब 35 से 40 हज़ार हर वर्ष सेवानिवृत्त होते हैं। नए जवानों की संख्या क्षेत्र के अनुसार अलग अलग होती है क्योंकि सेना की हर रेजिमेंट की रिक्तियां अलग होती हैं।

माउंटेन स्ट्राइक कोर के गठन का मतलब था कि सेना  अपनी ताकत में इज़ाफ़ा करना चाहती थी. ऐसा तब जब कई देश, मुख्यतः पश्चिमी , अपनी सैन्य संख्या को कम कर रहे हैं. उत्तर पूर्व में तो माऊंटेन स्ट्राइक बालों की कुछ टुकड़ियां गठित भी कर ली गयी हैं।  पिछले साल भर से पठानकोट डिवीज़न को और ज़्यादा सैनिक देने की बात चल  तो रही थी किन्तु पैसों की कमी का खतरा भी मंडरा रहा था।

17 कोर को संयुक्त राष्ट्र अमरीका से आयातित बी ए ई लैंड सिस्टम की अल्ट्रा लाइट हाउविट्ज़र मशीनों से लैस किया जाना था।  इन हाउविट्ज़र मशीनों को भारी हेलीकॉप्टरों (अमरीकी चिनूक ) से लटकाकर पहाड़ों में आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है।

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