( ललित के झा )
वाशिंगटन, 16 अप्रैल (भाषा) भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति सहित प्रमुख भारतीय-अमेरिकियों ने एशियाई अमेरिकी समुदाय को लेकर अपमानजनक टिप्पणी करने वाली पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय की एक कानून की प्रोफेसर की निंदा की है। प्रोफेसर ने एशियाई-अमेरिकी समुदाय के लिए भारतवंशियों के संदर्भ में इस्तेमाल अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया था।
‘फॉक्स न्यूज’ को हाल में दिए एक साक्षात्कार में पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय की प्रोफेसर एमी वैक्स ने आरोप लगाया कि ‘‘पश्चिमी देशों के लोगों की शानदार उपलब्धियों और योगदान को लेकर ‘‘अश्वेतों’’ और गैर-पश्चिमी’’ समूहों में जबरदस्त आक्रोश और शर्मिंदगी का भाव है।’’ वैक्स ने कहा, ‘‘यहां समस्या है। उन्हें सिखाया जाता है कि वे हर किसी से बेहतर हैं क्योंकि वे ब्राह्मण कुल से आते हैं।’’
उन्होंने अभद्र शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कहा, लेकिन किसी स्तर पर उनका देश निचले स्तर का ही है। वैक्स की भड़काऊ टिप्पणियां करने का लंबा इतिहास रहा है।
उहोंने यह भी कहा कि पश्चिमी लोगों ने एशियाई अमेरिकियों को हर तरह से पछाड़ दिया है। वैक्स ने कहा, ‘‘उन्होंने महसूस किया है कि हमने उन्हें हर तरह से पछाड़ दिया है… उन्हें गुस्सा आता है। वे ईर्ष्या करते हैं। उन्हें शर्मिंदगी होती है।’’
इसके बाद वैक्स ने प्रभावशाली भारतीय-अमेरिकी डॉक्टरों के समुदाय को भी निशाना बनाया। इस टिप्पणी की पूरे अमेरिका में भारतीय-अमेरिकियों ने निंदा की है।
कृष्णमूर्ति ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘पूर्व राष्ट्रपति (डोनाल्ड) ट्रम्प के पद छोड़ने के बाद, मुझे लगा कि दूसरों को नीचा दिखाने वाले शब्द कहने के दिन खत्म हो गए हैं। लेकिन एक भारतीय-अमेरिकी अप्रवासी के रूप में मुझे यह सुनकर घृणा होती है कि यूपीएन की इस प्रोफेसर ने भारतीय-अमेरिकी अप्रवासियों और सभी गैर-श्वेत अमेरिकियों को इस तरह के अपमानजनक शब्दों में परिभाषित किया है।’’
उन्होंने कहा कि इस तरह की टिप्पणियां घृणा और भय से पैदा होती हैं। कृष्णमूर्ति ने जोर देकर कहा कि इस तरह की बातचीत से आव्रजन सुधार की सामान्य समझ को पूरा करना बहुत कठिन हो जाता है। कृष्णमूर्ति ने कहा, ‘‘इस तरह की टिप्पणियां नफरत और भय से पैदा होती हैं, और हमारे समुदाय और हमारे अल्पसंख्यक समुदायों के लिए वास्तविक नुकसान पहुंचाती हैं। वे अल्पसंख्यकों के खिलाफ घृणा अपराधों को बढ़ावा देते हैं और वे आव्रजन सुधार की सामान्य समझ को पूरा करना बहुत कठिन बनाते हैं।’’
कानून के प्रोफेसर भारतीय-अमेरिकी नील मखीजा ने भी इन टिप्पणियों के लिए वैक्स की खिंचाई की। उन्होंने ‘एक्सियोस’ से कहा, ‘‘खुले तौर पर इन नस्लवादी भावनाओं को विश्वसनीयता देने के लिए अपने पद का उपयोग करना गैर-जिम्मेदाराना है, जो भारतीय-अमेरिकियों को पहचान नहीं पाते हैं कि हम कौन हैं।’’
‘इंडियन-अमेरिकन इम्पैक्ट’ अगले महीने वाशिंगटन में एक शिखर सम्मेलन आयोजित करने वाला है। मखीजा ने एक्सियोस को बताया कि वह इस घटना पर चर्चा कार्यक्रम में शामिल करने और शैक्षिक प्रणाली में एशियाई एवं दक्षिण एशियाई समुदाय के लिए नफरत की भावना का समाधान निकालने की योजना बना रहे हैं।
उन्होंने ‘एनबीसी न्यूज’ से कहा, ‘‘सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि लॉ स्कूल में हमारे पास बहुत सारे बेहतरीन और आला दर्जे के छात्र हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह सवाल पैदा करता है कि क्या वह छात्रों को बेहतर ज्ञान दे सकती हैं या उन्हें शिक्षित कर सकती हैं।’’
अमेरिकी मीडिया ने बताया कि यह पहली बार नहीं है जब वैक्स की विवादित नस्ली टिप्पणी वायरल हुई है।
कार्लसन के कार्यक्रम में उनकी उपस्थिति पहली बार नहीं है जब वैक्स ने एशियाई विरोधी टिप्पणी की है। दिसंबर में एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि भारतीय अमेरिकियों को अमेरिका में रहने के लिए अधिक ‘‘आभारी’’ होना चाहिए और देश ‘‘कम एशियाई लोगों के साथ बेहतर’’ होगा।
‘एनबीसी न्यूज’ ने बताया कि पेन ने पुष्टि की है कि विश्वविद्यालय वैक्स के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही पर विचार कर रहा है। ‘एनबीसी न्यूज’ ने विश्वविद्यालय के एक प्रतिनिधि के हवाले से कहा, ‘‘पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय से सबद्ध केरी लॉ स्कूल ने पहले ही स्पष्ट किया है कि प्रोफेसर वैक्स के विचार हमारे मूल्यों या प्रथाओं को प्रतिबिंबित नहीं करते हैं।’’
भाषा सुरभि धीरज
धीरज
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