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ब्रिसबेन, तीन नवंबर (भाषा) विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रविवार को कहा कि भारत विकास के पथ पर अग्रसर है और दुनिया के साथ आगे बढ़ना चाहता है। जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि दुनिया के देशों में भारत के साथ काम करने की सदिच्छा और भावना है।
जयशंकर ने यहां भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक संबंधों को रेखांकित भी किया। उन्होंने कहा कि पिछले दस वर्षों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने उल्लेखनीय प्रगति की है।
उन्होंने कहा, “भारत आगे बढ़ेगा, भारत आगे बढ़ रहा है, लेकिन भारत दुनिया के साथ बढ़ना चाहता है। जब हम दुनिया को देखते हैं, तो हमें अवसर दिखाई देते हैं। हम आशावादी हैं। समस्याएं हो सकती हैं, लेकिन कुल मिलाकर, हमें लगता है कि दुनिया के देशों में भारत के साथ काम करने की सदिच्छा और भावना है।”
उन्होंने कहा, ‘हम दुनिया भर में भारत की सफलता के प्रति एक भावना देखते हैं और यह महत्वपूर्ण है कि हम उस भावना का उपयोग करें।’
उन्होंने कहा, ‘‘आज विदेश में भारतीयों की छवि बेहतर तौर पर शिक्षित, व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार है…मुझे लगता है कि आज इन सभी का संयोजन हमें वैश्विक कार्यस्थल में बहुत ही आकर्षक बनाता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘और मुझे लगता है कि यह महत्वपूर्ण है कि उस ब्रांड को विकसित किया जाए, उन कौशलों को पोषित किया जाए… और फिर मैं इस बात पर जोर देता हूं कि आप जानते हैं कि यह युग एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता), इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, चिप का है और इसके लिए वैश्विक कार्यबल की आवश्यकता होगी।’’
उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के साथ द्विपक्षीय संबंधों में आए बदलाव का जिक्र किया और इस प्रगति का श्रेय चार प्रमुख कारकों प्रधानमंत्री मोदी, ऑस्ट्रेलिया, विश्व और प्रवासी भारतीयों को दिया।
उन्होंने कहा, ‘मैंने प्रधानमंत्री मोदी का जिक्र किया और मैंने ऐसा एक खास वजह से किया। मुझे 2014 में उनके साथ हुई एक शुरुआती बातचीत याद है। उन्होंने मुझसे कहा था कि मुझे समझाइए कि ऑस्ट्रेलिया के साथ हमारे रिश्ते क्यों नहीं विकसित हुए? क्योंकि इसमें सब कुछ ठीक चल रहा है। एक भाषा है, साझा संस्कृति है और परंपरा है और फिर भी ऐसा कुछ है जो नहीं हो रहा है।”
जयशंकर ने कहा, ‘उस दिन मेरे पास कोई जवाब नहीं था, शायद इसलिए क्योंकि मैंने खुद इस पर विचार नहीं किया था। इसलिए, यह इस बात का प्रतिबिंब है कि यह संबंध अपने आप नहीं बना। दोनों तरफ के लोगों ने इसे बनाने के लिए बहुत प्रयास किए।’
क्वींसलैंड में लगभग 1,25,000 भारतीय प्रवासियों की मौजूदगी का उल्लेख करते हुए विदेश मंत्री ने दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत बनाने के लिए उनके महत्व पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि आस्ट्रेलिया से भारत को होने वाला 75 प्रतिशत निर्यात ब्रिसबेन से होता है। उन्होंने कहा कि इस सहयोग को केवल एक उपलब्धि के रूप में नहीं बल्कि भविष्य के विकास के लिए एक रूपरेखा के रूप में देखा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि क्वाड का स्थान सबसे ऊपर है और ऑस्ट्रेलिया हमारे द्विपक्षीय संबंधों के संदर्भ में क्वाड का संस्थापक साझेदार है।’
उन्होंने कहा कि भारत ने ऑस्ट्रेलिया को ‘व्यापक रणनीतिक साझेदार’ नामित किया है और कुछ ही देशों को यह सौभाग्य मिला है।
भारत और ऑस्ट्रेलिया सामरिक सुरक्षा संगठन क्वाड के सदस्य हैं, जिसमें दो अन्य देश अमेरिका और जापान हैं।
बाद में, ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में मंत्री ने कहा कि उन्हें ब्रिस्बेन में ‘भारतीय समुदाय के सदस्यों के साथ बातचीत करके बहुत खुशी हुई।”
उन्होंने लिखा, ‘भारत-ऑस्ट्रेलिया की मजबूत व्यापक रणनीतिक साझेदारी और इसे मजबूती देने के लिए दोनों देशों के प्रयासों, दृष्टिकोण और नेतृत्व के बारे में बात की। ऑस्ट्रेलिया में भारत के चौथे वाणिज्य दूतावास का उद्घाटन किया जाना है, जो हमारी दोस्ती में अगला कदम है।”
इसके बाद जयशंकर ने ब्रिस्बेन में क्वींसलैंड विश्वविद्यालय के चांसलर पीटर वर्गीस से मुलाकात की।
मंत्री ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच शैक्षिक व अनुसंधान सहयोग को लेकर उपयोगी बातचीत हुई।’
वह दो देशों के दौरे के पहले चरण में रविवार को यहां पहुंचे। वह सिंगापुर भी जाएंगे।
यात्रा के दौरान, जयशंकर ब्रिस्बेन में ऑस्ट्रेलिया में भारत के चौथे वाणिज्य दूतावास का उद्घाटन करेंगे।
वह कैनबरा में ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री पेनी वोंग के साथ 15वें विदेश मंत्रियों की रूपरेखा वार्ता (एफएमएफडी) की सह-अध्यक्षता भी करेंगे।
वह ऑस्ट्रेलियाई संसद भवन में आयोजित होने वाले द्वितीय ‘रायसीना डाउन अंडर’ के उद्घाटन सत्र में मुख्य संबोधन देंगे। उनका ऑस्ट्रेलियाई नेतृत्व, सांसदों, व्यापारिक समुदाय, मीडिया और प्रबुद्ध वर्ग के साथ भी बातचीत करने का कार्यक्रम है।
ऑस्ट्रेलिया से जयशंकर सिंगापुर जाएंगे, जहां वह आसियान-भारत थिंक टैंक नेटवर्क के 8वें गोलमेज सम्मेलन को संबोधित करेंगे। वह दोनों देशों के बीच घनिष्ठ साझेदारी की समीक्षा करने के लिए सिंगापुर के नेताओं से मुलाकात भी करेंगे।
भाषा जोहेब अमित
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