(योषिता सिंह)
न्यूयॉर्क/वाशिंगटन, तीन सितंबर (भाषा) दक्षिण एशिया में दो सप्ताह के खुफिया मिशन पर गए एक प्रभावशाली अमेरिकी सांसद ने दावा किया कि उनकी भारत यात्रा से इस बात के ‘शुरुआती संकेत’ मिले कि भारत रूसी तेल के आयात को कम कर सकता है। उन्होंने कहा कि यह यूक्रेन में रूस के आक्रमण की क्षमता को कमजोर करने की दिशा में एक सार्थक कदम होगा।
कांग्रेस सदस्य ब्रायन फिट्ज़पैट्रिक के साथ सदन की खुफिया समिति की सदस्य क्रिसी हौलाहन भी हाल ही में भारत, नेपाल और पाकिस्तान को कवर करने वाले मिशन पर थीं। फिट्ज़पैट्रिक खुफिया मामलों पर सदन की स्थायी प्रवर समिति की सीआईए उपसमिति के अध्यक्ष हैं तथा नाटो संसदीय सभा के सदस्य हैं।
फिट्ज़पैट्रिक के कार्यालय द्वारा मंगलवार को जारी एक बयान में कहा गया कि उन्होंने अमेरिकी खुफिया प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाने, वैश्विक गठबंधनों को मजबूत करने और दुनिया के रणनीतिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक में सैद्धांतिक अमेरिकी नेतृत्व को स्थापित करने के लिए भारत, नेपाल और पाकिस्तान में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठकें कीं।
सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (सीआईए) के सभी वैश्विक परिचालनों की देखरेख करने वाले फिट्ज़पैट्रिक ने कहा, ‘भारत में हमारी बातचीत में शुरुआती संकेत मिले हैं कि सरकार रूसी तेल के आयात को कम करेगी। यह रूस के आक्रमण की क्षमता को कमजोर करने और हमारे साझेदारों को स्वतंत्रता के मुद्दे के साथ जोड़ने की दिशा में एक सार्थक कदम होगा।’
अमेरिका ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया है, जो दुनिया में सबसे ज़्यादा टैरिफ में से एक है, जिसमें रूसी तेल की ख़रीद पर 25 प्रतिशत टैरिफ भी शामिल है।
टैरिफ को ‘अनुचित’ बताते हुए, भारत ने कहा है कि किसी भी बड़ी अर्थव्यवस्था की तरह, वह अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी ज़रूरी कदम उठाएगा।
दक्षिण एशिया के दो सप्ताह के खुफिया मिशन पर रवाना होने से पहले हौलाहन ने कहा था कि भारत और पाकिस्तान की यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब न केवल क्षेत्र के साथ अमेरिका के संबंध महत्वपूर्ण हैं, बल्कि इसलिए भी कि दोनों देश इस समय विनाशकारी बाढ़ का सामना कर रहे हैं और ‘इस वर्ष के प्रारंभ में हुए संघर्षविराम समझौते को बनाए रखने के लिए काम कर रहे हैं।’
वह मई में चार दिवसीय संघर्ष के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच बनी सहमति का उल्लेख कर रही थीं।
नयी दिल्ली में अपने प्रवास के दौरान, फिट्ज़पैट्रिक ने विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से उच्च स्तरीय रणनीतिक वार्ता की और अमेरिकी दूतावास के संचालन का व्यापक निरीक्षण किया।
बयान में दावा किया गया, ‘इन गतिविधियों और लगातार अमेरिकी दबाव के बाद, भारतीय रिफाइनरी रूसी तेल के आयात को कम करने की योजना का संकेत दे रही हैं-यह एक ऐसा बदलाव है जो यूक्रेन में युद्ध के वित्तपोषण की रूस की क्षमता को सीधे तौर पर कमजोर करेगा।’
भाषा आशीष नरेश
नरेश
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.