(विनय शुक्ला)
मास्को, एक जून (भाषा) भारत और रूस को कृत्रिम मेधा (एआई) आधारित ऐप्लिकेशन को विकसित करने के लिए संयुक्त उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने में भागीदारी करनी चाहिए और इन ऐप्लिकेशन का उपयोग खरीद प्रक्रिया में किया जा सकता है। एक विशेषज्ञ ने यह जानकारी दी।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के पूर्व वैज्ञानिक और रूस के लिए पूर्व रक्षा अताशे अरविंद दीक्षित ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि एआई रणनीतिक और डेटा-आधारित प्रणाली के माध्यम से खरीद प्रक्रिया को पुन: परिभाषित कर रहा है।
दीक्षित को भारत-रूस सहयोग के लिए उभरते अवसरों और खरीद प्रक्रिया में एआई की परिवर्तनकारी शक्ति पर मुख्य भाषण देने के लिए आमंत्रित किया गया था।
उन्होंने ‘एआई इन प्रोक्योरमेंट: ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया स्ट्रेटेजिक कैपिबिलिटी’ शीर्षक से विशेष सत्र में कहा, “भारत को 2025 तक एआई-एकीकृत खरीद प्रक्रिया से 20,000 करोड़ रुपये से अधिक की बचत अनुमान है।”
मास्को से 3,000 किलोमीटर से भी ज्यादा दूर अल्ताई पर्वत के एक दूरस्थ रिसॉर्ट में पिछले सप्ताह हुए इस सत्र में वरिष्ठ नीति निर्माता, उद्योग जगत के दिग्गज और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ एकत्रित हुए थे।
उन्होंने भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय सहयोग, विशेष रूप से एआई-सक्षम खरीद और लॉजिस्टिक्स प्रणालियों के सह-विकास के क्षेत्र में बढ़ते अवसरों को रेखांकित किया।
दीक्षित ने कहा, “भारत और रूस रक्षा व नये औद्योगिक उपकरणों के लिए संयुक्त उत्कृष्टता केंद्र स्थापित कर सकते हैं। इसके साथ ही नियामक ढांचे, ‘एथिकल एआई’ और दो कार्यों में इस्तेमाल होने वाली प्रौद्योगिकियों पर ज्ञान का आदान-प्रदान कर सकते हैं।”
रक्षा विशेषज्ञ ने कहा, “रणनीतिक और तकनीकी सहयोग के एक समृद्ध इतिहास को साझा करने वाले भारत और रूस अब एआई युग में साझेदारी करें। खरीद प्रक्रिया अगला मोर्चा है।”
भाषा जितेंद्र नरेश
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