नई दिल्ली: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है कि भारतीय सेना ने इस्लामाबाद द्वारा जवाबी कार्रवाई शुरू करने से कुछ घंटे पहले ही रावलपिंडी हवाई अड्डे सहित प्रमुख पाकिस्तानी सैन्य स्थलों पर हमला कर दिया था.
गुरुवार को लाचिन में पाकिस्तान-तुर्किये-अज़रबैजान त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन में बोलते हुए शरीफ ने पुष्टि की कि फील्ड मार्शल और चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ असीम मुनीर के नेतृत्व में पाकिस्तान की सेना ने 10 मई की सुबह भारत के खिलाफ लक्षित हमले की तैयारी की थी.
शरीफ ने कहा, “9 और 10 तारीख की रात को हमने भारतीय आक्रमण का जवाब संयमित तरीके से देने का फैसला किया. हमारी सेना फज्ऱ की नमाज के बाद सुबह 4:30 बजे कार्रवाई करने के लिए तैयार थी. हालांकि, इससे पहले कि हम अपनी योजना को अंजाम दे पाते, भारत ने रावलपिंडी हवाई अड्डे सहित पूरे पाकिस्तान में सैन्य ठिकानों को निशाना बनाते हुए ब्रह्मोस मिसाइल से हमला किया.”
भारत ने अपनी उन्नत ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल दागते हुए, “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत इन सटीक हमलों की शुरुआत की. इस ऑपरेशन का उद्देश्य जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले का जवाब देना था, जिसमें 26 लोग मारे गए थे.
बढ़ती शत्रुता के बीच, 10 मई को सीज़फायर की घोषणा की गई, जब पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशक (DGMO) ने सैन्य कार्रवाई रोकने के लिए अपने भारतीय समकक्ष से संपर्क किया.
त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन में पीएम शरीफ ने संघर्ष के दौरान तुर्किये और अज़रबैजान द्वारा दिखाई गई एकजुटता की प्रशंसा की, जिसमें तुर्किये के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन और अज़रबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव के समर्थन पर प्रकाश डाला गया.
शरीफ ने कहा, “जब भारत ने पाकिस्तान पर हमला किया, तो मेरे बहुत प्यारे भाई राष्ट्रपति एर्दोगन और तुर्किये में हमारे भाई-बहन एक मजबूत किले की तरह पाकिस्तान के साथ खड़े थे.”
उन्होंने कहा, “राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव और अज़रबैजान के लोगों ने भी तत्काल और दिल से एकजुटता दिखाई. यह हमारे इतिहास के सबसे बेहतरीन क्षणों में से एक था, मुश्किल समय में तीन भाईचारे वाले देश एक परिवार की तरह एक साथ खड़े थे. हम इसे कभी नहीं भूलेंगे.”
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