scorecardresearch
Friday, 19 April, 2024
होमविदेश9 देशों के बेघर पालतू जानवरों की अब तक की पहली सूची में भारत को मिला अंतिम स्थान, पहले पर जर्मनी

9 देशों के बेघर पालतू जानवरों की अब तक की पहली सूची में भारत को मिला अंतिम स्थान, पहले पर जर्मनी

पालतू जानवरों की देखभाल करने वाली अमेरिकन कंपनी मार्स ने बेघर जानवरों की घरविहीनता की स्थिति पर पहली बार तैयार की गई सूची में भारत को 2.4 अंक दिए है जबकि जर्मनी को 8.6, यूके को 7.0 और अमेरिका को 6.4 मिले हैं.

Text Size:

नई दिल्ली: बेघर जानवरों की घरविहीनता की स्थिति पर पहली बार तैयार की गई एक सूची में भारत को नौ देशों में आखिरी स्थान पर रखा गया है.

इस सूची से, जिसे पालतू जानवरों की देखभाल करने वाली अमेरिकन कंपनी मार्स पेटकेयर ने कुछ प्रमुख पशु कल्याण एक्सपर्ट्स की सहभागिता से तैयार किया है, पता चला है कि एक अनुमान के मुताबिक, भारत में करीब 91 लाख गली या आवारा बिल्लियां हैं, 6.2 करोड़ गली या आवारा कुत्ते हैं और 88 लाख कुत्ते बिल्ली शेल्टर्स में हैं.

कंपनी ने ऐसे पशुओं की घर विहीनता के स्तर को मापा और नौ में से हर देश में शीर्ष कारकों की पहचान की, जिनसे असर पड़ता है कि कुत्ते और बिल्ली बेघर क्यों हो जाते या रहते है. ये देश हैं- अमेरिका, यूके, भारत, मेक्सिको, जर्मनी, रूस, दक्षिण अफ्रीका, चीन और ग्रीस.

हर देश को शून्य से 10 के बीच कुल अंक दिए गए, जिसमें 10 का मतलब है, कि वहां कोई पालतू जानवर बेघर नहीं है.

भारत 2.4 अंकों के साथ सबसे नीचे रहा, जो मेक्सिको (3.9), दक्षिण अफ्रीका (4.0), चीन (4.8), रूस (5.2), और ग्रीस (5.4) से काफी कम था. सबसे अधिक अंक 8.6, जर्मनी के थे, जिसके बाद युनाइटेड किंग्डम के 7.0 और अमेरिका के 6.4 थे.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें


यह भी पढ़ें: मोदी के नेतृत्व में ‘सबसे सक्षम’ लोगों के देश के रूप में बदला भारत लेकिन जरूरत ‘दोस्ताना लोगों’ को बचाने की है


कैसे तैयार की गई रिपोर्ट

पालतू पशुओं की घरविहीनता की ये सूची, तीन प्रमुख क्षेत्रों से जमा किए गए डेटा पर आधारित है- ‘सभी पालतू जानवर वांछित हैं’ जिसका मूल्यांकन आवारा जानवरों की आबादी और जिम्मेदार प्रजनन का अध्ययन करके किया जाता है, ‘सभी पालतू जानवरों की देखभाल’, जिससे जाहिर होता है कि पालतू जानवरों को अपनाने की दर क्या है और सभी पालतू जानवरों का स्वागत’ जिसका आंकलन देखभाल की सुलभता, पेट्स रखने में आने वाली बाधाओं तथा नीतियों का अध्ययन करके किया जाता है.

तीनों श्रेणियों में भारत को क्रमश: 2.7, 1.9 और 2.6 अंक मिले हैं.

किसी देश में पेट्स की घरविहीनता का स्तर नापने के अलावा, ये इंडेक्स मॉडल देश-विशिष्ट संदर्भ और चुनौतियों के हिसाब से विकसित किया गया था और इससे उन कारकों की पहचान करने में मदद मिल सकती है, जो सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह से इस मुद्दे को प्रभावित करते हैं.

रिपोर्ट में कहा गया कि ‘भारत में 78 प्रतिशत पेट मालिक टिक्स के लिए अपने जानवरों का इलाज करते हैं, जबकि विश्व औसत 76 प्रतिशत है. इससे ‘सभी पालतू जानवर वांछित हैं’ श्रेणी में भारत का स्कोर बढ़ने में मदद मिलती है.

डेटा से ये भी पता चला कि भारत में अवारा जानवरों की आबादी बहुत अधिक है, जिसकी वजह से ‘सभी पालतू जानवर वांछित हैं’ श्रेणी में देश का स्कोर नीचे आ रहा है’.

इंडेक्स में कहा गया, ‘10 में से करीब 7 (68 प्रतिशत) आबादी का कहना है कि उन्हें हफ्ते में कम से कम एक बार आवारा बिल्ली दिख जाती है, जबकि 10 में से करीब 8 लोग कहते हैं कि उन्हें आवारा कुत्ते अकसर नज़र आ जाते हैं’.

उसमें इस पर भी प्रकाश डाला गया कि बेघर पेट्स की समस्या से निपटने में चैरिटीज़, सरकारों और कंपनियों की पहलकदमियों से महसूस किए गए असर से भी, ‘सभी पेट्स का स्वागत है’ श्रेणी में भारत का स्कोर ऊपर उठा है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: चश्मदीदों ने बताया- हैदरपोरा मुठभेड़ में मारा गया नागरिक अक्सर CRPF जवानों के साथ चाय पीता नजर आता था


 

share & View comments