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Friday, 21 November, 2025
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भारत ने जलवायु संबंधी कार्रवाइयों में व्यापार प्रतिबंधों की आलोचना की

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(त्रिदीप लहकार)

बेलेम (ब्राजील), 21 नवंबर (भाषा) वार्षिक जलवायु शिखर सम्मेलन कॉप 30 के समापन से पहले, भारत ने समानता और सीबीडीआर-आरसी पर आधारित एक न्यायसंगत परिवर्ती तंत्र पर जोर दिया और साथ ही जलवायु संबंधी कदमों के परिप्रेक्ष्य में अमीर देशों द्वारा लगाए गए एकतरफा व्यापार प्रतिबंधों की आलोचना की।

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा, ‘‘एकतरफा कार्रवाई – विशेष रूप से व्यापार-प्रतिबंधक जलवायु उपाय – समानता और न्याय के सिद्धांतों को कमजोर करते हैं तथा एक निष्पक्ष और न्यायसंगत परिवर्तन को बाधित करने वाले कदम के रूप में कार्य करते हैं।’’

यादव ने कहा कि भारत इस तंत्र की स्थापना के साथ बेलेम में एक महत्वाकांक्षी परिणाम की आशा करता है ताकि संधि और पेरिस समझौते को क्रियान्वित करने में एक महत्वपूर्ण कमी को दूर किया जा सके।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें अब एक सच्चे न्यायसंगत परिवर्तन को आगे बढ़ाने के लिए समता और साझा लेकिन विभेदित उत्तरदायित्वों और संबंधित क्षमताओं (सीबीडीआर-आरसी) को क्रियान्वित करना होगा।’’

पर्यावरण मंत्री बृहस्पतिवार को यूएई न्यायसंगत परिवर्तन कार्य कार्यक्रम (जेटीडब्ल्यूपी) के तहत ‘न्यायसंगत परिवर्तन’ विषय पर तीसरे वार्षिक उच्चस्तरीय मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

भारत और 190 से अधिक देशों के वार्ताकार जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने तथा नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ाने पर चर्चा कर रहे हैं। साथ ही अमीर और गरीब देशों की अलग-अलग क्षमताओं के आधार पर न्यायोचित परिवर्तन सुनिश्चित करने पर भी विचार कर रहे हैं।

यादव ने जेटीडब्ल्यूपी के ठोस परिणामों के बारे में कहा कि भारत अन्य विकासशील देशों के साथ मिलकर न्यायसंगत परिवर्तन तंत्र के निर्माण का दृढ़ता से समर्थन करता है।

मंत्री ने कहा कि मौजूदा अंतराल को पाटने तथा व्यावहारिक समाधान निकालने के लिए ऐसी व्यवस्था अत्यंत महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा, ‘‘ग्लोबल साउथ के लिए, राष्ट्रीय परिस्थितियों के अनुरूप वित्त, प्रौद्योगिकी और क्षमता निर्माण तक किफायती और पर्याप्त पहुंच सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी पीछे न छूटे।’’

यादव ने रेखांकित किया कि संवादों ने दृढ़तापूर्वक स्थापित कर दिया है कि न्यायोचित परिवर्तन ऊर्जा क्षेत्र से कहीं आगे तक फैला हुआ है। उन्होंने इसे अर्थव्यवस्था-व्यापी, सर्व-समावेशी, जन-केन्द्रित परिवर्तन बताया जिसमें राष्ट्रीय परिस्थितियों का सम्मान किया जाना चाहिए, समानता सुनिश्चित की जानी चाहिए तथा सामाजिक न्याय सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

यादव ने इस बात पर जोर दिया कि प्रत्येक राष्ट्र को अपनी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और परिस्थितियों के अनुरूप अपना स्वयं का सतत विकास पथ तैयार करने की क्षमता बनाए रखनी चाहिए।

भाषा नेत्रपाल नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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