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Friday, 10 May, 2024
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खालिस्तानियों की देश विरोधी गतिविधियों का असर? भारत-कनाडा की व्यापर समझौते पर बातचीत रुकी

सूत्रों ने कनाडा में 'खास राजनीतिक घटनाक्रम' का जिक्र किया, जिस वजह से बातचीत रुक गई है और कहा कि दोनों सरकारों के बीच मुद्दे सुलझने के बाद बातचीत फिर से शुरू होगी.

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नई दिल्ली : भारत और कनाडा के बीच मुक्त व्यापार समझौते को लेकर बातचीत रुक गई है, शुक्रवार को सूत्रों ने यह जानकारी दी.

सूत्रों ने कनाडा में ‘खास राजनीतिक घटनाक्रम’ का जिक्र किया, जिस वजह से बातचीत रुक गई है, और कहा कि दोनों सरकारों के बीच मुद्दे सुलझने के बाद बातचीत फिर से शुरू होगी.

पहले खबरें थीं कि दोनों देश इस साल के अंत तक अंतरिम व्यापार समझौते पर पहुंच सकते हैं.

कनाडा में खालिस्तान समर्थक तत्वों की बढ़ती भारत विरोधी गतिविधियों का असर द्विपक्षीय संबंधों पर पड़ रहा है.

जब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन के लिए भारत में थे, खालिस्तानी अलगाववादियों ने ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में एक तथाकथित ‘जनमत संग्रह’ आयोजित किया था.

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इन अलगावादियों ने भारतीय नेतृत्व के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया और भारत की क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ टिप्पणियां की थीं.

जी20 शिखर सम्मेलन से इतर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के साथ एक अलग चर्चा में प्रधानमंत्री मोदी ने कनाडा में चरमपंथी तत्वों द्वारा लगातार “भारत विरोधी गतिविधियों” के बारे में “गंभीर चिंता” जताई थी.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि इस तरह के खतरे से निपटने के लिए दोनों देशों को एक-दूसरे का सहयोग करना जरूरी है.

मोदी-ट्रूडो की बैठक के बाद आधिकारिक बयान में कहा गया, “प्रधानमंत्री ने कनाडा में चरमपंथी तत्वों द्वारा जारी भारत विरोधी गतिविधियों के बारे में हमारी कड़ी चिंताओं से अवगत कराया. वे अलगाववाद को बढ़ावा दे रहे हैं और भारतीय राजनयिकों के खिलाफ हिंसा भड़का रहे हैं, राजनयिक परिसरों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, और कनाडा में भारतीय समुदाय और उनके पूजा स्थलों को लेकर धमकी दे रहे हैं.”

भारत और कनाडा ने इस साल मई में व्यापार और निवेश पर छठी मंत्रिस्तरीय वार्ता (एमडीटीआई) की थी, जिसकी सह-अध्यक्षता वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और कनाडा के लघु व्यवसाय, निर्यात संवर्धन और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मंत्री, मैरी एनजी ने की थी.

मंत्रियों ने भारत और कनाडा के बीच व्यापार और आर्थिक संबंधों की ठोस नींव पर जोर दिया और द्विपक्षीय संबंधों व आर्थिक साझेदारी को गहरा करने के महत्वपूर्ण अवसर की पहचान की थी.

दोनों देश वस्तुओं और सेवाओं में व्यापार को बढ़ावा देने के लिए एक प्रारंभिक प्रगति व्यापार समझौते (ईपीटीए) पर विचार कर रहे थे, जैसा कि व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते के लिए बातचीत जारी थी.


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