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Friday, 1 November, 2024
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म्यांमार के घटनाक्रम पर भारत, अमेरिका ने जताई चिंता, कहां लोकतांत्रिक प्रक्रिया से न हो खिलवाड़

भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि हमने हमेशा से ही म्यांमार के लोकतंत्र की ओर बढ़ने की प्रक्रिया का समर्थन किया है. हमारा मानना है कि कानून का राज और  लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बरकरार करना चाहिए.

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नई दिल्ली: म्यांमार के घटनाक्रम पर भारत ने गहरी चिंता व्यक्त की है. विदेश मत्रालय ने एक वक्तव्य जारी कर कहा है कि ‘भारत ने हमेशा से ही म्यांमार के लोकतंत्र की ओर बढ़ने की प्रक्रिया का समर्थन किया है. हमारा मानना है कि कानून का राज और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बरकरार करना चाहिए. हम वहां की स्थिती का नज़दीक से आकलन कर रहे हैं.

वहीं अमेरिका ने भी वहां के घटनाक्रम पर चिंता जाहिर की है. व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जेन साकी ने कहा है कि ‘राष्ट्रपति बाइडन को स्थिति से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सलीवन ने अवगत कराया है. हम बर्मा के लोकतंत्र पर अपना मजबूत समर्थन दोहराते है और क्षेत्रीय सहयोगियों के साथ मिल कर हम वहां की सेना और अन्य दलों से आग्रह करते हैं कि वे लोकतांत्रिक प्रकिया और कानून के राज का पालन करें और जिनको आज हिरासत में लिया गया है उन्हे रिहा किया जाये.’

अमेरिका ने हाल में म्यांमार में हुए चुनाव के नतीजों को और लोकतंत्र की राह पर जाने में जो भी रोड़ा लगा रहा है- उन ताकतों को भी चेतावनी दी. साथ ही कहा कि वे स्थिति पर नजर रखें हुए है और बर्मा के लोगों के साथ खड़े हैं जिन्होंने लोकतंत्र और शांति के लिए इतनी बड़ी लड़ाई लड़ी है.

क्या हुआ म्यांमार में

आपको बता दें कि  म्यांमार में सेना ने सोमवार तड़के तख्तापलट कर स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची को नजरबंजद कर लिया था. मीडिया में आयी खबरों के अनुसार राजधानी में संचार के सभी माध्यम काट दिये गये है.

नेपीता में फोन और इंटरनेट सेवा बंद है और सू ची (75) की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी से संपर्क नहीं हो पा रहा है.

पिछले साल के चुनाव के बाद म्यामां के सांसद राजधानी नेपीता में संसद के पहले सत्र के लिए सोमवार को एकत्रित होने वाले थे. हालांकि सेना के हालिया बयानों से सैन्य तख्तापलट की आशंका दिख रही थी.

ऑनलाइन समाचार पोर्टल ‘म्यांमार नाउ’ ने अज्ञात सूत्रों के हवाले से बताया कि सू ची और उनकी पार्टी के अध्यक्ष को सोमवार तड़के गिरफ्तार कर लिया गया. हालांकि पोर्टल पर कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी गयी है. म्यांमार विजुअल टेलीविजन और म्यामां वॉइस रेडियो ने सुबह करीब साढ़े छह बजे फेसबुक पर पोस्ट किया कि उनके कार्यक्रम नियमित प्रसारण के लिए उपलब्ध नहीं हैं.

सू ची की पार्टी ने संसद के निचले और ऊपरी सदन की कुल 476 सीटों में से 396 पर जीत दर्ज की थी जो बहुमत के आंकड़े 322 से कहीं अधिक था.

लेकिन वर्ष 2008 में सेना द्वारा तैयार किए गए संविधान के तहत कुल सीटों में 25 प्रतिशत सीटें सेना को दी गयी हैं जो संवैधानिक बदलावों को रोकने के लिए काफी है. कई अहम मंत्री पदों को भी सैन्य नियुक्तियों के लिए सुरक्षित रखा गया है.

सू ची देश की सबसे अधिक प्रभावशाली नेता हैं और देश में सैन्य शासन के खिलाफ दशकों तक चले अहिंसक संघर्ष के बाद वह देश की नेता बनीं.

म्यामां में सेना को टेटमदॉ के नाम से जाना जाता है। सेना ने चुनाव में धोखाधड़ी का आरोप लगाया, हालांकि वह इसके सबूत देने में नाकाम रही. देश के स्टेट यूनियन इलेक्शन कमीशन ने पिछले सप्ताह सेना के आरोपों को खारिज कर दिया था.

इन आरोपों से पिछले सप्ताह उस वक्त राजनीतिक तनाव पैदा हो गया जब सेना के एक प्रवक्ता ने अपने साप्ताहिक संवाददाता सम्मेलन में एक पत्रकार के सवाल के जवाब में सैन्य तख्तापलट की आशंका से इनकार नहीं किया. मेजर जनरल जॉ मिन तुन ने कहा था कि सेना ‘संविधान के मुताबिक कानून का पालन करेगी.’

कमांडर इन चीफ सीनियर जनरल मिन आंग लाइंग ने भी बुधवार को वरिष्ठ अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि अगर कानून को सही तरीके से लागू नहीं किया गया तो संविधान को रद्द कर दिया जाएगा. इसके साथ ही देश के कई बड़े शहरों की सड़कों पर बख्तरबंद वाहनों की तैनाती से सैन्य तख्तापलट की आशंका बढ़ गयी.

हालांकि शनिवार को सेना ने तख्तापलट की धमकी देने की बात से इनकार किया और अज्ञात संगठनों एवं मीडिया पर उसके बारे में भ्रामक बातें फैलाने तथा जनरल की बातों को गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगाया.

सेना ने रविवार को भी अपनी बात दोहराते हुए तख्तापलट की आशंका को खारिज किया और इस बार उसने विदेशी दूतावासों पर सेना के बारे में भ्रामक बातें फैलाने का आरोप लगाया.

अमेरिका में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के अधिकारियों और विदेश मंत्रालय ने कहा कि वे म्यामां में हो रहे घटनाक्रम की खबरों से अवगत हैं हालांकि वे तख्तापलट और नेताओं को हिरासत में लिये जाने की पुष्टि नहीं कर सके.

भाषा के इंपुट के साथ.

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