scorecardresearch
Friday, 10 May, 2024
होमविदेशवाशिंगटन डीसी में 70 प्रदर्शनकारियों को शरण देने के बाद भारतीय मूल के राहुल दुबे नायक बनकर उभरे

वाशिंगटन डीसी में 70 प्रदर्शनकारियों को शरण देने के बाद भारतीय मूल के राहुल दुबे नायक बनकर उभरे

44 वर्षीय राहुल दुबे ने वाशिंगटन डीसी में पुलिस द्वारा किए गए आंसू गैस के हमले के बाद जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे करीब 70 लोगों के लिए अपने घर के दरवाजे खोल दिए.

Text Size:

नई दिल्ली: भारतीय-अमेरिकी राहुल दुबे सोमवार रात वाशिंगटन डीसी में अपने घर में लगभग 70 प्रदर्शनकारियों को शरण देने के बाद अमेरिका में रातोंरात नायक बन गए.

मिनियापोलिस में 46 वर्षीय जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद अमेरिका में पिछले हफ्ते से हिंसक विरोध जारी हैं. एक श्वेत पुलिसकर्मी ने आठ मिनट से अधिक समय तक फ्लॉयड की सांस न ले पाने की दलीलों नजरअंदाज करते हुए उसकी गर्दन को घुटने से दबाये रखा, जिसके बाद उन्होंने दम तोड़ दिया था.

44 वर्षीय भारतीय-अमेरिकी दुबे ने सोमवार रात अपने घर का दरवाजा खोला, जब उन्होंने पुलिस द्वारा मिर्च स्प्रे और आंसू गैस के हमले से बचने की कोशिश कर रहे प्रदर्शनकारियों की एक बड़ी लहर सुनी.

वह पहले से ही प्रदर्शनकारियों को अपने वॉशरूम का उपयोग करने और अपने फोन को चार्ज करने की अनुमति दे रहे थे, लेकिन पुलिस के हमले के बाद, उन्होंने प्रदर्शनकारियों को अपने घर में शरण लेने के लिए कहा.

दुबे ने एक स्थानीय चैनल को बताया, ‘एक बड़ा धमाका हुआ, वहां स्प्रे था. मेरी आंखें जलने लगीं. मैंने ऐसी चीखें सुनी जो मैंने पहले कभी नहीं सुनी थीं.’

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

दूबे ने बताया, ‘मैं लगभग दस मिनट के लिए ‘घर में घुस जाओ’ कह कर चिल्ला रहा था. पुलिस लोगों के पीठ और उनके सिर के किनारे में काली मिर्च स्प्रे छिड़क रहे थे. यह लगभग डेढ़ घंटे तक चला और चारों और तबाही सा मंज़र था.’

दुबे के अनुसार, पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को कई बार बाहर निकालने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो सकी. उन्होंने 911 कॉल का भी झूठा इस्तेमाल करते हुए यह दावा करते हुए कि किसी ने उन्हें फोन करके बुलाया था.

दुबे ने कहा कि पुलिस खिड़की से मिर्ची स्प्रे कर रही थी. लगभग एक घंटे और पंद्रह मिनट के लिए तबाही हुई थी,और फिर जैसे ही मैंने सामने के बरामदे पर कदम रखा, पुलिस ने कहा, ‘घर में वापस जाओ, या हम तुम्हें गिरफ्तार करेंगे.’

अगले दिन सुबह 6 बजे कर्फ्यू ख़त्म होने पर प्रदर्शनकारियों ने दुबे का घर छोड़ दिया.

इस घटना ने दुबे को स्थानीय नायक के रूप में बदल दिया है, सोशल मीडिया पर हर और उनक प्रशंसा हो रही है.

हालांकि, उन्होंने द वाशिंगटन पोस्ट को बताया कि उन्हें विश्वास नहीं था कि उन्होंने जो किया वह कुछ भी ‘विशेष’ था.

मैंने बस एक दरवाजा खोला है. उन्होंने (प्रदर्शनकारियों) जो किया वह खास था.

दुबे 17 वर्षों से अमेरिका में रह रहे हैं और एक स्वास्थ्य सेवा कंपनी, अमेरिका स्वास्थ्य बीमा योजना के मालिक हैं. वह मिशिगन विश्वविद्यालय से व्यवसाय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति में स्नातक हैं.

एक साक्षात्कार में, उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि उनका 13 वर्षीय बेटा बड़ा होकर उतने ही अद्भुत बनेगा जितना वे प्रदर्शनकारी हैं.’ उन्होंने कहा, ‘मुझे आशा है कि वे शांति से लड़ना और विरोध करना जारी रखेंगे.’

इस बीच, दुबे के घर पर रात बिताने वाले प्रदर्शनकारियों और सोशल मीडिया पर अन्य लोगों ने उनके साहस की प्रशंसा की.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी दुबे की प्रशंसा की और उन्होंने प्रदर्शनकारियों के लिए जो किया उसके लिए धन्यवाद दिया.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

share & View comments