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Friday, 22 November, 2024
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पुतिन के साथ मोदी ने की भारत-रूस आर्थिक संबंधों पर चर्चा, बोले- यूक्रेन मामले का शांति से हो निपटारा

ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए रूस की अपनी 2 दिवसीय यात्रा पर, मोदी ने अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण पर चर्चा करने के लिए ईरान के राष्ट्रपति से भी मुलाकात की. दूसरे दिन, वह शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे जो कि पिछले 5 सालों में पहली बार होगा.

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नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठक के दौरान यूक्रेन के साथ चल रहे युद्ध में एक बार फिर शांति की वकालत की.

पुतिन के साथ बातचीत की शुरुआत करते हुए उन्होंने कहा, ”जैसा कि मैंने पहले भी कहा है, हमारा मानना है कि मुद्दों का समाधान शांतिपूर्ण तरीकों से ही हासिल किया जाना चाहिए. हम जल्द से जल्द शांति और स्थिरता बहाल करने का पूरा समर्थन करते हैं. हमारे सभी प्रयास मानवता को प्राथमिकता देते हैं. भारत भविष्य में भी हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए तैयार है.”

बैठक के दौरान भारत और रूस के बीच आर्थिक साझेदारी को गहरा करने पर भी ध्यान केंद्रित किया गया.

मोदी 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए दो दिवसीय (22 अक्टूबर और 23 अक्टूबर) रूस में हैं. ब्रिक्स ब्राजील, रूस, भारत और चीन द्वारा स्थापित एक समूह है, जिसमें दक्षिण अफ्रीका 2011 में शामिल हुआ है. हाल ही में वर्ष 2023 जोहान्सबर्ग ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में ईरान, मिस्र, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और इथियोपिया को शामिल करने के लिये समूह का विस्तार किया गया था.

बाद में एक प्रेस ब्रीफिंग में, विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने आगे बताया कि रूस-यूक्रेन युद्ध पर “काफी चर्चा” हुई, जहां भारतीय पीएम ने इस बात पर प्रकाश डाला कि युद्ध के मैदान से “कोई समाधान नहीं निकलेगा” और दोनों देशों को स्थिति को हल करने के लिए बातचीत में शामिल होना चाहिए.

मिस्री ने कहा, “मुझे लगता है कि हम सभी पक्षों के संपर्क में रहना जारी रखेंगे, यह देखते हुए कि हम उन कुछ वार्ताकारों में से हैं, जिनके पास सभी पक्षों पर बोलने या संघर्ष के सभी पक्षों के अभिनेताओं के साथ बात करने की सुविधा और क्षमता है. और जैसा कि मैंने पहले भी कहा है, राष्ट्रपति पुतिन ने भारत द्वारा निभाई जा रही भूमिका की सराहना की और भारत के प्रयासों के सिलसिले में प्रधानमंत्री के साथ निकट संपर्क में रहने का वादा किया.”

हाल के महीनों में, पीएम मोदी ने मॉस्को (जुलाई में) और कीव (अगस्त में) दोनों का दौरा किया और अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन के संपर्क में रहे हैं व रूस और यूक्रेन दोनों के नेताओं के साथ चल रहे युद्ध पर चर्चा की है. जुलाई में वार्षिक भारत-रूस शिखर सम्मेलन के दौरान, पुतिन और मोदी के बीच इस मुद्दे पर लंबी चर्चा हुई थी.

इसी तरह, यूक्रेन में एक भारतीय पीएम की ऐतिहासिक पहली यात्रा में, मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की से मुलाकात की, जहां दोनों नेताओं ने युद्ध को लेकर चर्चा की. जबकि इस वर्ष पुतिन और मोदी के बीच यह दूसरी बार द्विपक्षीय वार्ता थी, भारतीय प्रधानमंत्री ने सितंबर में संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन के मौके पर ज़ेलेंस्की के साथ मुलाकात की.

मिस्री ने कहा कि सभी पक्षों के संपर्क में रहने का भारत का प्रयास ‘संघर्ष को खत्म करने के लिए शांतिपूर्ण रास्ता तलाशने की संभावना का पता लगाना’ और ‘उन वैकल्पिक दृष्टिकोणों को तलाशना है जिन पर शायद अभी चर्चा नहीं हो रही है.’

मोदी और पुतिन के बीच हुई चर्चा में भारत और रूस के बीच तेजी से बढ़ते आर्थिक संबंधों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया. हाल के वर्षों में, विशेष रूप से फरवरी 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद, दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों का बहुत विस्तार हुआ है, क्योंकि नई दिल्ली रूसी तेल के सबसे बड़े खरीदारों में से एक रहा है.

बातचीत में आर्थिक सहयोग पर मुख्य रूप से चर्चा हुई और दोनों पक्षों ने वित्तीय क्षेत्र में और सहयोग की संभावना पर चर्चा की. रूस से उर्वरकों और कोयले की स्थिर और नियमित सोर्सिंग के लिए आपूर्ति श्रृंखला को बनाए रखने पर भी चर्चा की गई और राष्ट्रपति पुतिन ने इस संबंध में भी सहायता का वादा किया.

रूसी सेना द्वारा अनुबंधित भारतीय नागरिकों की रिहाई के मुद्दे पर भी चर्चा हुई. मोदी और पुतिन के बीच जुलाई में हुई शिखर वार्ता से पहले रूसी सेना में करीब 100 भारतीय नागरिकों के मुद्दे को संबंधों में एक प्रमुख बाधा के रूप में देखा गया था. हालांकि, भारत द्वारा पहली बार रूस के साथ इस मुद्दे को उठाए जाने के बाद से लगभग 85 भारतीय भारत लौट आए हैं.

अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण पर ईरान के साथ चर्चा

मोदी की रूस यात्रा के पहले दिन, भारतीय पीएम ने ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेज़ेशकियान के साथ द्विपक्षीय बैठक भी की. यह पेज़ेशकियान के ईरान की सरकार के प्रमुख के रूप में चुने जाने के बाद पहली बार भारत ने मुलाकात की है.

दोनों नेताओं के बीच बातचीत का फोकस अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण के साथ-साथ दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को गहरा करने, विशेष रूप से चाबहार में बंदरगाह के विकास के इर्द-गिर्द घूमता रहा.

उन्होंने कहा, ”जैसा कि मैंने कहा, अफगानिस्तान, नेताओं के बीच चर्चा का एक अन्य महत्वपूर्ण विषय था. दोनों ने अफगानिस्तान के लोगों को मानवीय सहायता जारी रखने के साथ-साथ क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के महत्व को रेखांकित किया.

भारतीय विदेश सचिव ने कहा कि दोनों नेताओं के बीच चर्चा का एक प्रमुख विषय “क्षेत्र में निर्बाध कनेक्टिविटी” था.

चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए भारत और ईरान के बीच हस्ताक्षरित नए दीर्घकालिक अनुबंध पर चर्चा की गई, लेकिन इसे अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण और विकास और मध्य एशिया के देशों के साथ व्यापार, आर्थिक और लोगों से लोगों के संपर्क को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण माना गया.

द्विपक्षीय बैठकों की समाप्ति के बाद मोदी ने कजान में ब्रिक्स के बाकी नेताओं के साथ एक अनौपचारिक रात्रिभोज में भी हिस्सा लिया, जहां एक तरफ भारतीय प्रधानमंत्री पुतिन के बगल में बैठे नजर आए, जबकि दूसरी तरफ चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग बैठे थे.

मिस्री ने इस बात की पुष्टि की कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर बुधवार को मोदी और शी के बीच द्विपक्षीय बैठक होगी.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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