इस्लामाबाद, तीन अप्रैल (भाषा) क्रिकेट खिलाड़ी से राजनेता बने इमरान खान ने देश की राजनीतिक पिच पर ‘गुगली’ फेंककर विपक्षी नेताओं को चौंका दिया है। विपक्ष द्वारा नेशनल असेंबली में इमरान खान नीत सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान से पहले खान ने राष्ट्रपति से संसद भंग करने की सिफारिश कर बहुमत से दूर होने के बावजूद बाजी पलट दी। खान के समर्थकों ने इसे एक गेंद में तीन विकेट लेना करार दिया है।
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने प्रधानमंत्री इमरान खान की सलाह पर रविवार को नेशनल असेंबली भंग कर दी। इससे कुछ मिनट पहले ही नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष ने उनके खिलाफ पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। खान ने राष्ट्रपति को मध्यावधि चुनाव कराने की सलाह दी है।
इससे पहले 342-सदस्यीय नेशनल असेंबली में बहुमत गंवा चुके प्रधानमंत्री खान ने सदन के उपाध्यक्ष कासिम सूरी द्वारा संसद के हंगामेदार सत्र को स्थगित किए जाने के बाद देश के नाम संक्षिप्त संबोधन दिया।
खान ने अविश्वास प्रस्ताव खारिज किए जाने पर आवाम को बधाई देते हुए कहा कि उपाध्यक्ष ने ‘‘सरकार बदलने की कोशिश और विदेशी षडयंत्र को नाकाम’’ कर दिया।
वर्ष 2018 में पाकिस्तान की बागडोर संभालने के बाद से इमरान खान को सबसे बड़े राजनीतिक संकट का सामना करना पड़ रहा था क्योंकि उनकी पार्टी के सांसदों द्वारा बगावती तेवर अपनाए जाने और गठबंधन सहयोगियों में दरार के चलते खान की मुश्किलें लगातार बढ़ रही थीं।
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त करने वाले खान 2018 में नया पाकिस्तान बनाने का वादा कर सत्ता में आये थे। हालांकि, वह मंहगाई समेत आम जनता की बुनियादी समस्याओं को दूर करने में नाकाम रहे।
करीब 21 वर्षों तक क्रिकेट मैदान में अपनी पारी खेलने वाले इमरान खान का 26 वर्षों का राजनीतिक सफर उतार-चढ़ाव भरा रहा। सत्ता में रहने के दौरान खान पर अधिकतर विपक्षी नेताओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां करने के आरोप लगते रहे और यही कारण रहा कि विपक्षी नेता आसानी से एकजुट होकर खान के नेतृत्व वाली सरकार को अस्थिर करने में कामयाब होते दिखे।
हालांकि, पिछली बार जब मार्च 2021 में इमरान खान सरकार को अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा था, तब वह आसानी से बहुमत साबित करने में कामयाब रहे थे।
इमरान खान ने वर्ष 1996 पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) का गठन किया, जिसका अर्थ है न्याय के लिए आंदोलन। खान 2002 में चुनाव जीतकर नेशनल असेंबली के सदस्य बने। इसके बाद वह 2013 में दोबारा चुनाव जीतकर नेशनल असेंबली पहुंचे और उस दौरान उनकी पार्टी को लोगों का भारी समर्थन मिला। वर्ष 2018 के आम चुनाव में अपनी पार्टी को जीत दिलाने के बाद इमरान खान पहली बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने।
सत्ता में आने के बाद खान लगातार पाकिस्तान को एक ‘इस्लामिक कल्याणकारी राष्ट्र’ बनाने की बात करते रहे। हालांकि, वह अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर विफल रहे और आवश्यक वस्तुओं के दाम बेकाबू हो गए।
भाषा शफीक नरेश
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