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शुक्रवार, 23 मई, 2025
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बत्तख, बगुले और हंस दुनिया को कैसे देखते हैं – और बदलते परिवेश में यह उन्हें खतरे में क्यों डालता है

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(ग्राहम मार्टिन, बर्मिंघम विश्वविद्यालय और जेनी कैंटले, रॉयल होलोवे यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन)

लंदन, 23 सितंबर (द कन्वरसेशन) हर साल, लाखों पक्षी बिजली लाइनों, पवन टरबाइनों और अन्य मानव निर्मित संरचनाओं से टकरा जाते हैं जो खुली हवा में गंदगी फैलाते हैं। इन टकरावों के परिणामस्वरूप अक्सर पक्षियों की मृत्यु हो जाती है और, यदि बिजली प्रणालियाँ ख़राब हो जाती हैं, तो हमारे जीवन में बाधा आती है और बिजली कंपनियों के लिए वित्तीय चुनौतियाँ पैदा होती हैं।

ब्राज़ील में मकोय, यूके में बगुले और हंस, और दक्षिण अफ्रीका में ब्लू क्रेन सहित कई पक्षी प्रजातियों को बिजली लाइनों के साथ टकराव के लिए अतिसंवेदनशील पाया गया है। लेकिन कोई भी उड़ता हुआ पक्षी ऐसी टक्कर का शिकार हो सकता है।

कुछ स्थानों पर, ये टकराव इतनी बार होते हैं कि वे पक्षियों की लुप्तप्राय प्रजातियों की स्थानीय आबादी को खतरे में डाल सकते हैं।

लेकिन पक्षी अत्यधिक विकसित उड़ने वाली मशीनें हैं। वे झुंडों में उड़ सकते हैं जो बड़ी खूबसूरती से उड़ते हुए हमें हैरान कर देते हैं। तो वे चीज़ों में क्यों टकराते हैं?

हमारे नवीनतम शोध के अनुसार, इसका उत्तर इस बात में निहित है कि वे दुनिया को कैसे देखते हैं। हमने पाया कि बत्तख, बगुले और हंसों की कई प्रजातियों के लिए सीधे आगे देखना उतना महत्वपूर्ण नहीं होता है।

पक्षी दुनिया को कैसे देखते हैं

पक्षी टकराव का शिकार क्यों होते हैं, इसके पीछे के कारणों की खोज से नए विचार सामने आए हैं जो पक्षी क्या हैं, इसके बारे में हमारी मौलिक धारणा को चुनौती देते हैं। अतीत में, वैज्ञानिकों ने पक्षियों को ‘‘आंख द्वारा निर्देशित पंख’’ के रूप में वर्णित किया है।

इसका तात्पर्य यह है कि उड़ान उनके विकास के दौरान पक्षियों की दृष्टि को ढालने में केंद्रीय रही है।

लेकिन अब यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि एक पक्षी को ‘‘आंख द्वारा निर्देशित चोंच’’ के रूप में वर्णित किया जा सकता है।

उड़ान के बजाय, पक्षी दृष्टि के विकास का मुख्य चालक खाना खोजने से जुड़े प्रमुख कार्य रहे हैं, विशेष रूप से खाद्य पदार्थों का पता लगाना और उसे हासिल करने के लिए चोंच को सही समय पर सही जगह पर पहुंचाना।

शिकारियों का पता लगाने के साथ-साथ, दिन-ब-दिन पक्षियों की दृष्टि को सही रखना भी एक कार्य है।

पक्षियों में प्रत्येक आँख से दृश्य कितना ओवरलैप होता है (जिसे दूरबीन दृश्य क्षेत्र कहा जाता है) में भिन्नता होती है।

जितनी अधिक आंखें सीधी आगे की ओर होंगी, उतना ही अधिक प्रत्येक आंख से दृश्य ओवरलैप होगा – जितना कि मानव आंखें करती हैं – इस प्रकार दूरबीन क्षेत्र का विस्तार होता है।

बत्तख जैसे पक्षी के लिए, जिसकी आँखें सिर के दोनों ओर ऊपर की ओर स्थित हैं, प्रत्येक आँख से दृश्य बहुत अलग होगा (छोटे दूरबीन क्षेत्र के साथ)।

हमने बत्तख, बगुलों और हंसों की 39 प्रजातियों की एक विस्तृत श्रृंखला में दूरबीन क्षेत्र का आकार मापा। हमने पाया कि प्रजातियों के बीच दृष्टि में विविधता का मुख्य चालक उनका आहार है और वे भोजन की तलाश कैसे करते हैं।

जो पक्षी मुख्य रूप से अपनी दृष्टि का उपयोग बीज जैसे खाद्य पदार्थों का पता लगाने के लिए करते हैं, या कुछ पौधों को खाने के लिए करते हैं, उनके पास व्यापक दूरबीन क्षेत्र होते हैं।

हालाँकि, मैलार्ड और गुलाबी कान वाली बत्तख जैसी प्रजातियों के दूरबीन क्षेत्र बहुत संकीर्ण होते हैं।

ये पक्षी भोजन तलाशने के लिए अपनी आंखों पर कम और अपनी चोंच से मिलने वाले स्पर्श संकेतों पर अधिक भरोसा करते हैं। इसके बजाय इन जैसे पक्षियों की दृष्टि उन्हें अपने सिर के ऊपर और पीछे के क्षेत्र का व्यापक दृश्य प्रदान करती है।

पक्षियों को निश्चित रूप से उनके सामने कुछ दृश्य कवरेज की आवश्यकता होती है। लेकिन आंखें सिर के किनारे ऊंची होने के कारण, दूरबीन क्षेत्र बहुत संकीर्ण होने के कारण, वे आगे के दृश्य बहुत दूर तक नहीं देख पाते हैं।

उनके लिए जो बात अधिक मायने रखती है वह है अपनी चोंच को बिल्कुल नजदीक से देखना और यह देखना कि बगल से या पीछे से कौन उनकी ओर आ रहा है।

यह खोज बत्तखों, बगुलों और हंसों तक ही सीमित नहीं है। यह संभवतः सभी पक्षियों के लिए सामान्य है, शायद कुछ उल्लुओं को छोड़कर (जिनकी आंखें सामने की ओर अधिक होती हैं और शिकार का पता लगाने के लिए ध्वनि पर भरोसा करते हैं)। इसलिए अधिकांश पक्षी टकराव के प्रति संवेदनशील होते हैं।

हालाँकि, बगुले, हंस और बस्टर्ड जैसे बड़े पक्षियों को ही वास्तविक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उनकी आगे की ओर सीमित दृष्टि तेजी से उड़ने और जल्दी से दिशा बदलने में असमर्थ होने के कारण जटिल हो जाती है।

ये पक्षी अक्सर झुंड में उड़ते हैं, और शाम और सुबह के समय भी उड़ते हैं,जब रोशनी का स्तर कम होता है।

पक्षियों को आने वाले खतरों के प्रति सचेत करना

खाना खोजने और शिकारियों का पता लगाने के परिप्रेक्ष्य से पक्षियों की दृष्टि को समझने से टकराव के कारणों के बारे में हमारी समझ में सुधार होता है। लेकिन, इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह हमें इसके बारे में कुछ करने में मदद देता है।

हमें यह नहीं मानना ​​चाहिए कि दुनिया के बारे में पक्षियों का नजरिया हमारे जैसा ही है। हम विशिष्ट प्राणी हैं जिनके सिर के सामने आंखें होती हैं, और हम दुनिया को पक्षियों से बहुत अलग तरीके से देखते हैं, न केवल दृश्य क्षेत्रों के संबंध में बल्कि तीक्ष्णता और रंग दृष्टि के संबंध में भी।

इसलिए, हमें समस्या पर पक्षियों की नजर से विचार करने का प्रयास करना चाहिए।

पक्षी जब तेजी से उड़ते हैं, तो वे आगे क्या होने वाला है इसकी केवल स्थूल जानकारी ही ले रहे होते हैं – ठीक वैसे ही जैसे हम अपनी कार चलाते समय करते हैं।

कार के खतरे की चेतावनियों की तरह, मार्करों का उपयोग करके पक्षियों को सचेत करना आवश्यक है।

किसी पक्षी, विशेष रूप से बत्तख और बगुले जैसी प्रजातियों के लिए,आने वाले खतरों के बारे में चेतावनी देने वाले उपकरण बड़े और स्पष्ट रूप से दिखाई देने वाले होने चाहिएं और झिलमिलाहट पैदा करने वाले होने चाहिएं।

खतरों को चिह्नित करते समय सूक्ष्मता के लिए कोई जगह नहीं होती है।

द कन्वरसेशन एकता

एकता

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यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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