(टिम बायने, मोनाश विश्वविद्यालय)
मेलबर्न, एक मई (द कन्वरसेशन) कभी-कभी कहा जाता है कि ‘‘सिद्धांत दांत साफ करने वाले ब्रश की तरह होते हैं।’’ हर किसी के पास अपना खुद का सिद्धांत होता है और कोई भी किसी दूसरे का इस्तेमाल नहीं करना चाहता।
यह एक मजाक है, लेकिन जब चेतना के अध्ययन की बात आती है यानी जब सवाल यह उठता है कि हम किसी भी चीज का व्यक्तिपरक अनुभव कैसे प्राप्त करते हैं, तो यह सच्चाई से बहुत दूर नहीं है।
वर्ष 2022 में ब्रिटिश ‘न्यूरोसाइंटिस्ट’ (तंत्रिकातंत्र का अध्ययन करने वाले विज्ञानी)अनिल सेठ और मैंने मस्तिष्क के जीव विज्ञान पर आधारित 22 सिद्धांतों की सूची प्रकाशित की। वर्ष 2024 में कम प्रतिबंधात्मक दायरे के साथ काम करते हुए, अमेरिकी बुद्धिजीवी बौद्धिक रॉबर्ट कुह्न ने 200 से अधिक की गणना की।
यह इस पृष्ठभूमि के खिलाफ है कि ‘नेचर’ ने केवल कॉगिटेट कंसोर्टियम नामक एक समूह से ‘प्रतिकूल सहयोग’ के परिणामों को प्रकाशित किया जो दो प्रमुख सिद्धांतों (वैश्विक न्यूरोनल कार्यक्षेत्र सिद्धांत और एकीकृत सूचना सिद्धांत) पर केंद्रित है।
दो बड़े सिद्धांत आमने-सामने
इतने सारे विचार आस-पास घूम रहे हैं और एक अंतर्निहित व्यापक विषय-वस्तु है, सिद्धांतों को परखना कोई आसान काम नहीं है। वास्तव में विभिन्न सिद्धांतों के समर्थकों के बीच बहस जोरदार और कभी-कभी कटु रही है।
वर्ष 2023 में विशेष रूप से निम्न बिंदु पर, कॉगिटेट द्वारा औपचारिक रूप से प्रकाशित परिणामों की प्रारंभिक घोषणा के बाद, कई विशेषज्ञों ने एक खुले पत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसमें तर्क दिया गया कि एकीकृत सूचना सिद्धांत न केवल गलत है, बल्कि विज्ञान संगत होने के रूप में भी योग्य नहीं है।
फिर भी, वैश्विक न्यूरोनल कार्यक्षेत्र सिद्धांत और एकीकृत सूचना सिद्धांत ‘बड़े चार’ सिद्धांतों में से दो हैं जो चेतना की वर्तमान चर्चाओं पर हावी हैं।
अन्य उच्च-क्रम प्रतिनिधित्व सिद्धांत हैं, और स्थानीय पुनः प्रवेश या पुनरावृत्ति सिद्धांत है। सिद्धांतों को संक्षेप में प्रस्तुत करना कठिन है, लेकिन दोनों ही मस्तिष्क के विभिन्न हिस्सों में न्यूरॉन्स की गतिविधि से चेतना को जोड़ते हैं।
पूर्वानुमान और परिणाम
समूह इस बात पर सहमत था कि एकीकृत सूचना सिद्धांत अनुमान लगाता है कि सचेतन धारणा को मस्तिष्क के उस हिस्से में संकेतों के निरंतर समन्वय और गतिविधि से जोड़ा जाना चाहिए जिसे ‘पोस्टीरियर कॉर्टेक्स’ कहा जाता है।
दूसरी ओर उन्होंने कहा कि वैश्विक न्यूरोनल कार्यक्षेत्र सिद्धांत अनुमान लगाता है कि ‘‘न्यूरल इग्नीशन’’ की प्रक्रिया उत्तेजना की शुरुआत और अंत दोनों के साथ होनी चाहिए। इसके अलावा, यह डिकोड करना संभव होना चाहिए कि कोई व्यक्ति अपने प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स में गतिविधि से किस तरह से सचेत है।
इन परिकल्पनाओं (अन्य के बीच) का परीक्षण दुनिया भर की ‘सिद्धांत-तटस्थ’ टीमों ने किया था। लेकिन परिणाम निर्णायक नहीं थे। कुछ एक सिद्धांत के अनुमान के अनुरूप थे, तो कुछ दूसरे सिद्धांतों के अनुमानों के अनुरूप थे। लेकिन अन्य परिणामों ने चुनौतियां पेश कर दीं।
उदाहरण के लिए, टीम एकीकृत सूचना सिद्धांत के अनुमान के अनुरूप ‘पोस्टीरियर कॉर्टेक्स’ के भीतर निरंतर समन्वयन खोजने में विफल रही। साथ ही, वैश्विक न्यूरोनल कार्यक्षेत्र सिद्धांत को इस तथ्य से चुनौती मिलती है कि चेतना की सभी सामग्री को प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स से डिकोड नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा उत्तेजना को पहली बार प्रस्तुत किए जाने पर ‘‘न्यूरल इग्निशन’’ का पता लगाने में भी असफलता मिली।
विज्ञान की जीत
हालांकि यह अध्ययन किसी भी सिद्धांत के लिए जीत नहीं था, लेकिन यह विज्ञान के लिए एक निर्णायक जीत थी। यह चैतन्य समुदाय द्वारा सिद्धांत-परीक्षण के दृष्टिकोण में एक स्पष्ट प्रगति को दर्शाता है।
शोधकर्ताओं के लिए अपने स्वयं के सिद्धांत के पक्ष में सबूतों की तलाश करना असामान्य नहीं है। लेकिन चेतना विज्ञान में इस समस्या की गंभीरता 2022 में ही स्पष्ट हो गई, जब कॉगिटेट कंसोर्टियम में शामिल कई शोधकर्ताओं द्वारा एक महत्वपूर्ण पेपर प्रकाशित किया गया। पेपर ने दिखाया कि यह अनुमान लगाना संभव था कि कोई विशेष अध्ययन चेतना के किस सिद्धांत का समर्थन करता है, जो पूरी तरह से इसके डिजाइन पर आधारित है।
एक कठिन पहेली
चेतना का अध्ययन एक कठिन पहेली है। हम अभी तक नहीं जानते कि क्या इसे चेतना विज्ञान के वर्तमान तरीकों के जरिये सुलझाया जा सकेगा या क्या इसके लिए हमारी अवधारणाओं या तरीकों (या शायद दोनों) में क्रांति की आवश्यकता होगी।
हालांकि, यह स्पष्ट है कि यदि हम व्यक्तिपरक अनुभव की समस्या को सुलझाना चाहते हैं, तो वैज्ञानिक समुदाय को सहयोगी अनुसंधान के इस मॉडल को अपनाने की आवश्यकता होगी।
(द कन्वरसेशन)
संतोष मनीषा
मनीषा
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.