बीजिंग : चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने सोमवार को अपना बहुप्रतीक्षित चार दिवसीय सम्मेलन शुरू किया. यह सम्मेलन राष्ट्रपति शी जिनपिंग के लिये राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि हांगकांग में प्रदर्शन और अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध व अर्थव्यवस्था में मंदी के मुद्दे पर पार्टी के अंदर बेचैनी बढ़ रही है.
बंद दरवाजों के अंदर हुई पूर्ण सत्र या ‘प्लेनम’ बैठक में सोमवार सुबह शी (66) ने काम की रिपोर्ट पेश की. शी 2012 में सत्ता संभालने के बाद से ही चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) और सेना प्रमुख के अलावा राष्ट्रपति पद की दोहरी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.
सरकारी संवाद समिति शिन्हुआ की खबर के मुताबिक, शी ने प्रमुख मुद्दों पर सीपीसी की केंद्रीय समिति के फैसलों के बारे में कार्य रिपोर्ट पेश की और अहम मुद्दों पर मसौदा दस्तावेज के बारे में जानकारी दी. इनमें चीन के मिजाज के मुताबिक समाजवादी प्रणाली को कैसे बरकरार रखते हुए इसमें सुधार किया जाए, चीन की शासन प्रणाली और क्षमता के आधुनिकीकरण जैसे मामले शामिल थे.
बैठक में जिन मुद्दों पर चर्चा हुई उनमें से अधिकतर जहां गोपनीय रहे वहीं पर्यवेक्षकों ने कहा कि हांगकांग में लंबे समय से चल रहे हिंसक प्रदर्शन, अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध और चीनी अर्थव्यवस्था में लगातार चल रही मंदी के एजेंडे में शामिल होने की उम्मीद है.
विदेश नीति के मोर्चे पर सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ दूसरे अनौपचारिक शिखर सम्मेलन के लिये हाल में किये गए ममलापुरम के दौरे का जिक्र भी इस सम्मेलन में होने की उम्मीद है.
चीन अमेरिका द्वारा रणनीतिक रूप से उसके अरबों डॉलर की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव पर लगाम लगाने की नीति से भी चिंतित है.
अधिवेशन सत्र में उच्च शक्ति प्रदत्त केंद्रीय समिति के करीब 370 सदस्य होते हैं. इसमें अधिकतर पार्टी के वरिष्ठ नेता, सेना के अधिकारी और सरकारी उपक्रमों के प्रमुख होते हैं.
पार्टी की 2017 में हुई कांग्रेस के बाद यह चौथा पूर्ण अधिवेशन सत्र है. पिछला पूर्ण सत्र फरवरी 2018 में हुआ था.