(अदिति खन्ना)
लंदन, 23 मई (भाषा) अपने लघु कथा संग्रह ‘हृदय दीप’ के अंग्रेजी में अनूदित संस्करण ‘हार्ट लैंप’ के लिए इस सप्ताह अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार प्राप्त करने वाली लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता बानू मुश्ताक ने इसे शास्त्रीय द्रविड़ भाषा के साहित्य के लिए एक ‘‘ऐतिहासिक अवसर’’ बताया।
यह कथा संग्रह पहली कन्नड़ साहित्यिक कृति है जिसे इस पुरस्कार के लिए चुना गया है।
लंदन में मंगलवार रात को एक शानदार पुरस्कार समारोह में ट्रॉफी जीतने के कुछ देर बाद ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ साक्षात्कार में मुश्ताक और उनकी मूल कृति की अनुवादक दीपा भास्ती ने सैकड़ों साल पुराने कन्नड़ साहित्य को वैश्विक मान्यता मिलने पर अपनी खुशी व्यक्त की।
मुश्ताक ने कहा, ‘‘यह कन्नड़ साहित्य के लिए एक ऐतिहासिक अवसर है क्योंकि अब तक हमारे साहित्य को इतनी बड़ी वैश्विक मान्यता नहीं मिली थी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कन्नड़ में काफी संभावनाएं हैं, वहां बहुत सारा साहित्य मौजूद है, लेकिन इसे वैश्विक स्तर पर उजागर नहीं किया गया है और इसे मान्यता नहीं मिली है।’’
भास्ती ने उम्मीद जताई कि ‘हार्ट लैंप’ को बड़ा सम्मान मिलने से कई और कृतियों के अनुवाद को बढ़ावा मिलेगा और समृद्ध साहित्य अधिक व्यापक वैश्विक दर्शकों के लिए उपलब्ध होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं कन्नड़ से बहुत सारे अनुवाद देखने को लेकर बहुत उत्साहित हूं क्योंकि हमारे पास अद्भुत साहित्य है जो कम से कम 1,500 साल पुराना है। मुझे उम्मीद है कि कन्नड़ से बहुत अधिक रचनाएं अंग्रेजी में अनूदित होंगी।’’
‘हार्ट लैंप’ की कहानियां लेखक और अनुवादक के बीच साझा किए गए प्रतिष्ठित 50,000 पाउंड (करीब 57 लाख रुपये) के साहित्यिक पुरस्कार को जीतने वाला लघु कथाओं का पहला संग्रह है। मुश्ताक ने 1990 से 2023 के बीच 30 से अधिक वर्षों की अवधि में इस लघु कथा संग्रह को लिखा था। भास्ती ने उनका चयन किया और इन कथाओं को संजोया। भास्ती दक्षिण भारत की बहुभाषी प्रकृति को संरक्षित करने में काफी दिलचस्पी रखती हैं।
बुकर पुरस्कार के निर्णायक मंडलों को इन कालजयी कहानियों की गुणवत्ता काफी पसंद आई। इसके बारे में मुश्ताक ने उन महान ‘क्लासिक्स’ की ओर इशारा किया जो सैकड़ों वर्षों से लोगों की कल्पनाओं को प्रभावित कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘आज भी हम जो महान साहित्य पढ़ रहे हैं, वह लगभग 200-300 साल पुराना है, या 500 साल भी पुराना है। यह समय की कसौटी पर खरा उतरता है और आज भी प्रासंगिक है। तीस साल तो कुछ भी नहीं है।’’
भास्ती ने कहा, ‘‘मैं यह बहुत बार कहती हूं और मैं इसके बारे में बहुत बार सोचती हूं, कि भले ही कहानियां 30 वर्षों में लिखी गई हों, लेकिन लगभग हर एक कहानी में अंतर्निहित विषय यह है कि महिलाएं कैसे रहती हैं, वो कैसे प्रेम को दर्शाती हैं, हंसती हैं, असहमति जताती हैं और पितृसत्ता के दबावों का प्रबंधन कैसे करती हैं।’’
अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार एक वार्षिक साहित्यिक पुरस्कार है। मई 2024 और अप्रैल 2025 के बीच अंग्रेजी में अनूदित तथा ब्रिटेन और/या आयरलैंड में प्रकाशित लंबी-गल्प या लघु कथाओं के संग्रह वाली सर्वश्रेष्ठ कृतियों को यह पुरस्कार प्रदान किया गया।
भाषा सुरभि वैभव
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