(शकूर राठर)
मॉन्ट्रियल, 19 दिसंबर (भाषा) चार साल तक चली जटिल वार्ता के बाद भारत सहित लगभग 200 देशों ने सोमवार को कनाडा के मॉन्ट्रियल में जैव विविधता के संरक्षण के लिए संयुक्त राष्ट्र सीओपी 15 शिखर सम्मेलन में पेरिस शैली के एक ऐतिहासिक समझौते को मंजूरी दे दी।
इस समझौते को सम्मेलन के अंतिम सत्र में गहन चर्चा के बाद स्वीकृति दी गई। यह समझौता दुनिया में भूमि व जल के संरक्षण और विकासशील देशों को जैव विविधता को बचाने के लिए धन मुहैया कराने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
एकत्रित प्रतिनिधियों की ज़ोरदार तालियों के बीच, सीओपी15 जैव विविधता शिखर सम्मेलन के अध्यक्ष एवं चीनी पर्यावरण मंत्री हुआंग रुनकिउ ने कुनमिंग-मॉन्ट्रियल समझौते को अपनाने की घोषणा की। यह सम्मेलन सात दिसंबर को शुरू हुआ था।
अध्यक्ष ने कांगो के अंतिम मिनट के कदम को नज़रअंदाज़ करने के लिए तरकीब से काम किया, जिसने मसौदा पाठ का समर्थन करने से इनकार कर दिया था और समझौते के हिस्से के रूप में विकासशील देशों के लिए अधिक धन की मांग की थी।
इस समझौते का उद्देश्य भूमि, महासागरों और प्रजातियों को प्रदूषण, क्षरण तथा जलवायु परिवर्तन से बचाना है।
वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) की लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट (एलपीआर) 2022 के अनुसार, निगरानी वाली वन्यजीव आबादी- स्तनधारियों, पक्षियों, उभयचरों, सरीसृप और मछलियों की संख्या में 1970 के बाद से औसतन 69 प्रतिशत की विनाशकारी गिरावट देखी गई है।
वार्ताओं में सबसे विवादास्पद मुद्दों में से एक विश्व स्तर पर और विशेष रूप से विकासशील देशों में संरक्षण प्रयासों का समर्थन करने के लिए वित्त पैकेज था।
समझौते में 2030 तक सभी स्रोतों से वित्तीय संसाधनों के स्तर को उत्तरोत्तर बढ़ाने और प्रति वर्ष कम से कम 200 अरब अमेरिकी डॉलर जुटाने की प्रतिबद्धता जताई गई है। यह मोटे तौर पर 2020 की आधार-रेखा से दोगुना अधिक की बात करता है।
इसकी बड़ी उपलब्धि 2025 तक अंतरराष्ट्रीय वित्त प्रवाह में 20 अरब अमेरिकी डॉलर और 2030 तक 30 अरब अमेरिकी डॉलर की प्रतिबद्धता भी है।
समझौते के 23 लक्ष्यों में पर्यावरणीय रूप से ‘विनाशकारी’ कृषि सब्सिडी में कटौती, कीटनाशकों से जोखिम को कम करना और आक्रामक प्रजातियों से निपटना शामिल है।
पिछले हफ्ते, भारत ने कहा था कि कृषि क्षेत्र में कीटनाशकों की कमी के लिए एक संख्यात्मक वैश्विक लक्ष्य अनावश्यक है और इसका फैसला देशों पर छोड़ दिया जाना चाहिए।
इसने यह भी कहा था कि भारत में कृषि क्षेत्र, अन्य विकासशील देशों की तरह, ‘लाखों लोगों के लिए जीवन, आजीविका और संस्कृति’ का स्रोत है, और इसके प्रति समर्थन को उन्मूलन लक्ष्य नहीं बनाया जा सकता।
अनेक लोगों द्वारा इस समझौते की तुलना वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने संबंधी पेरिस समझौते से की जा रही है।
पर्यावरण समूहों ने जहां नए समझौते के संभावित परिवर्तनकारी प्रभावों का स्वागत किया है, वहीं कई लोग महसूस करते हैं कि इसमें वित्तीय सहायता और संरक्षण के बारे में महत्वपूर्ण विवरण गायब है।
इसके तहत 2030 के लिए वैश्विक लक्ष्यों में जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र के कामकाज और सेवाओं के वास्ते विशेष महत्व के क्षेत्रों पर जोर देने के साथ ही दुनिया की कम से कम 30 प्रतिशत भूमि, अंतर्देशीय जल, तटीय क्षेत्रों और महासागरों का प्रभावी संरक्षण एवं प्रबंधन शामिल है।
वर्तमान में, दुनिया के क्रमशः 17 और 10 प्रतिशत जमीनी एवं समुद्री क्षेत्र संरक्षण के दायरे में हैं।
(यह खबर इंटरन्यूज अर्थ जर्नलिज्म नेटवर्क द्वारा आयोजित 2022 सीबीडी सीओपी 15 फेलोशिप के हिस्से के तौर पर जारी की गई है।)
भाषा
नेत्रपाल दिलीप
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